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RBI ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर रखा स्थिर, GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.6 फीसदी
RBI ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर रखा स्थिर, GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.6 फीसदी
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, December 6, 2024
Updated On: Friday, December 6, 2024
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 11वीं बार अपनी नीतिगत दर (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। इसका मतलब है कि कर्ज लेने वालों को राहत मिली है, क्योंकि इससे आपकी ईएमआई में कोई वृद्धि नहीं होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई का यह निर्णय महंगाई पर नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।
Authored By: सतीश झा
Updated On: Friday, December 6, 2024
आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया था।
गवर्नर ने दी जानकारी
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की द्वैमासिक समीक्षा बैठक के बाद यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि 4.2 के बहुमत से रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया गया। स्थायी जमा सुविधा (Permanent Deposit Facility) दर 6.25 फीसदी पर और सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Permanent Facility) दर 6.75 फीसदी पर स्थिर बनी रहेगी। ग्रोथ और महंगाई पर नजर आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है, जो पहले 7.2 फीसदी था। इसके साथ ही, खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) का अनुमान 4.5 फीसदी से बढ़ाकर 4.8 फीसदी कर दिया गया है। गवर्नर दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से तटस्थ नीति रुख बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की है। यह मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाता है।
एमपीसी में शामिल सदस्य
आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति में तीन सदस्य केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधि हैं: गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव रंजन। केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर को समिति में तीन बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की थी: राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार।
पिछली दर में बदलाव का संदर्भ
फरवरी 2023 के बाद से आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा है। इसका उद्देश्य कर्जदारों को राहत देना और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है।
विशेषज्ञों ने कहा
आरबीआई गवर्नर दास की घोषणा से पहले, लेमन मार्केट डेस्क के रिसर्च एनालिस्ट गौरव गर्ग ने कहा, “बाजार को उम्मीद है कि ब्याज दरों में कटौती होगी, जिसके कारण हाल के दिनों में पीएसयू बैंकों, निजी बैंकों और वित्तीय सेवाओं में तेजी देखी गई है। हालांकि, अगर ये उम्मीदें पूरी नहीं होती हैं, तो यह संभावित रूप से इस सेक्टर की रफ्तार को प्रभावित कर सकता है। दूसरी तरफ, आरबीआई ब्याज दरों में कटौती में देरी कर सकता है ताकि मुद्रास्फीति (Inflation) को लक्ष्य स्तरों के अनुरूप अधिक स्थिरता से बनाए रखा जा सके, जिससे आर्थिक स्थिरता को तत्काल बाजार भावनाओं पर प्राथमिकता दी जा सके।“
(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)