केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की खरी-खरी, केवल मजे के लिए न पैदा करें बच्चे

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की खरी-खरी, केवल मजे के लिए न पैदा करें बच्चे

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, December 19, 2024

Nitin Gadkari ki khari-khari, keval maze ke liye na paida karein bachche
Nitin Gadkari ki khari-khari, keval maze ke liye na paida karein bachche

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बेबाक बयान दिया। उन्होंने कहा कि "बच्चे केवल मजे के लिए नहीं, बल्कि उनकी परवरिश और भविष्य के लिए पैदा किए जाने चाहिए।" उनका यह बयान तेजी से वायरल हो रहा है और चर्चा का विषय बन गया है। नितिन गडकरी ने लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि ये प्रथाएं समाज के नियमों के खिलाफ हैं और इससे सामाजिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Thursday, December 19, 2024

एक यूट्यूब साक्षात्कार के दौरान, स्वतंत्र पत्रकार समदीश भाटिया के साथ बातचीत में, गडकरी (Nitin Gadkari) ने लिव-इन रिलेशनशिप (Live In Relationship) को “गलत” करार दिया। उन्होंने इसे समाज की पारंपरिक संरचना के लिए हानिकारक बताया।

लंदन का अनुभव साझा किया

गडकरी ने अपने ब्रिटिश संसद दौरे का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने वहां के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने पूछा कि उनके देश का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है। गडकरी ने कहा, “मैंने सोचा कि वे गरीबी, बेरोजगारी, या भुखमरी की बात करेंगे। लेकिन उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों में सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि युवा आबादी शादी नहीं कर रही है।”

समाज पर प्रभाव की चिंता

गडकरी ने कहा कि भारत में विवाह एक संस्था और सामाजिक संरचना का हिस्सा है। लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह जैसी प्रथाएं इस संरचना को कमजोर कर सकती हैं। कहा कि यह समाज स्थिर क्यों है, महिलाओं और पुरुषों का अनुपात सही है, कल अगर महिलाओं का अनुपात 1500 होगा और पुरुषों का अनुपात 1000 होगा तो हमें पुरुषों को दो पत्नियां रखने की अनुमति देनी होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या आदर्श भारत में तलाक पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, गडकरी ने जवाब दिया, बिल्कुल नहीं। लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप अच्छे नहीं हैं।

चर्चा का विषय बने गडकरी

गडकरी के इस बयान के बाद सामाजिक और राजनीतिक हलकों में बहस शुरू हो गई है। जहां कुछ लोग उनके विचारों को पारंपरिक मूल्यों की रक्षा के रूप में देख रहे हैं, वहीं कुछ इसे प्रगतिशील विचारों के खिलाफ बता रहे हैं। केंद्रीय मंत्री का यह बयान समाज के बदलते परिवेश और पारंपरिक मूल्यों के बीच संतुलन को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है।

सामाजिक और राजनीतिक चर्चा

गडकरी के इस बयान ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग इसे सटीक और जागरूकता बढ़ाने वाला बयान मानते हैं, वहीं कुछ इसे विवादास्पद मान रहे हैं।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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