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Holi 2025 : होली में खेले जाने वाले हर रंग का है विशेष अर्थ
Holi 2025 : होली में खेले जाने वाले हर रंग का है विशेष अर्थ
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, February 25, 2025
Updated On: Tuesday, February 25, 2025
Holi 2025 : वसंत ऋतु की शुरुआत और फसल की कटाई का प्रतीक है होली. कई तरह के खूबसूरत रंगों से खेले जाने के कारण यह दिन प्रेरणा का भी स्रोत है. क्योंकि हर रंग अपने में विशेष अर्थ समेटे हुए है. हरा रंग नई शुरुआत से, तो नारंगी रंग आशा का प्रतीक है. वहीँ खुशी और प्रेम से लाल रंग, तो जीवन शक्ति का प्रतीक नीला रंग है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Tuesday, February 25, 2025
रंगीन और जीवंत होली (Holi 2025) बस आने ही वाली है. रंगों के इस त्योहार का हम सालभर से इंतजार करते रहते हैं. यह फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस साल 13 मार्च को होलिका दहन, तो 14 मार्च (शुक्रवार), 2025 को होली (Kab hai Holi 2025) है. इस दिन लोग सारे गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे का स्वागत करते हैं और एक-दूसरे को रंग भी लगाते हैं. सभी लोग लाल, पीला, हरा, नीला, केसरिया रंग से रंग जाते हैं. सभी रंग विशेष अर्थ (Holi Colors) रखते हैं.
क्या है होली का आध्यात्मिक अर्थ (Spiritual Meaning of Holi)
होली मन पर जमे मैल को साफ़ करने का प्रतीक है. यह बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक है. बुराई न सिर्फ समाज में मौजूद होती है, बल्कि क्रोध, मोह, लोभ, ईर्ष्या के रूप में मन में भी मौजूद होती है. होली हमें अपने मन और समाज की बुराइयों का नाश करने के लिए प्रेरित करती है. ऊंच-नीच और अमीर-गरीब का भेदभाव से खुद को मुक्त कर रंगों से खेलने के लिए प्रेरित करती है.
रंगों से होली खेलने की पौराणिक कथा (Holi Mythological Story)
कृष्ण और राधा शाश्वत प्रेम की कहानी कहती है होली. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण बाल्यावस्था में अपने नटखट स्वभाव के लिए जाने जाते थे. एकबार उन्होंने मैया यशोदा से शिकायत की कि राधा गौर वर्ण की है, जबकि वे श्याम वर्ण के हैं. मां और अन्य गोपियों के सुझाव पर श्रीकृष्ण ने राधा के चेहरे पर रंग मल दिया. श्रीकृष्ण ने सभी गोपियों को रंग से सरोबार कर दिया, जिससे गोरे और सांवले का भेद मिट गया. तब से आज तक यह रंगों का त्योहार होली मनाई जा रही है.
क्या हैं रंगों के विशेष अर्थ (Significance of Holi Color)
हर रंग अपने-आप में ख़ास है. हर रंग का विशेष अर्थ है.
हरा (Green Color)
वसंत में धरती हरियाली से भर जाती है. इसलिए हरा रंग वसंत का पहला रंग कहा जाता है. होली फसल के मौसम और वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है. इसलिए हरा रंग नई शुरुआत से जुड़ा है. रंग मनोविज्ञान के सिद्धांतों के अनुसार, हरा रंग शांति, प्रकृति, नई शुरुआत और नए विकास से जुड़ा है.
पीला (Yellow Color)
पीले रंग को सबसे खुशनुमा और चमकीला रंग माना जाता है. मान्यता है कि यह भगवान विष्णु का प्रिय रंग है. वे पीला वस्त्र धारण करते हैं. पीला रंग जीवन शक्ति, आनंद, खुशी और बढ़िया स्वास्थ्य का प्रतीक है.
केसरिया (Orange Color)
केसरिया रंग शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. यह सूर्य से जुड़ा रंग है. सूर्योदय के समय रंग केसरिया की आभा आसमान में फ़ैल जाती है. इसलिए इस रंग की जीवंतता सर्वमान्य है. इस रंग के साथ प्रकाश और नई शुरुआत जुड़ी हुई है. इस रंग का एक और अर्थ है- गलती को माफी देकर दोबारा शुरुआत करना.
गुलाबी (Pink Color)
गुलाबी रंग धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं है. यह रंग आकर्षण और सुंदरता से जुड़ा है. होली के दिन यह सबसे लोकप्रिय रंग बन जाता है. हल्का गुलाबी रंग सुंदरता और वफादारी का प्रतिनिधित्व करता है.
नीला रंग (Blue Color)
लाल के बाद नीला रंग हिंदू धर्म में सबसे शुभ रंगों में से एक माना जाता है. समुद्र और आकाश का रंग भी नीला है. हिंदू धर्म में नीला रंग को असंभव को संभव बनाने वाले रंग के रूप में देखा जाता है. रंग मनोविज्ञान में अंतर्ज्ञान, आत्मनिरीक्षण, शांति और स्पष्टता सभी का प्रतिनिधित्व नीला रंग करता है.
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