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World Environment Day 2025: प्रकृति की बात, जिम्मेदारी के साथ – थीम, इतिहास और समाधान भी खास
World Environment Day 2025: प्रकृति की बात, जिम्मेदारी के साथ – थीम, इतिहास और समाधान भी खास
Authored By: Nishant Singh
Published On: Wednesday, June 4, 2025
Last Updated On: Wednesday, June 4, 2025
5 जून का दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि प्रकृति के लिए जागरूक होने का एक मौका है. यह लेख आपको बताएगा कि विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day 2025) की शुरुआत कैसे हुई, क्या है इसका इतिहास, हर साल की थीम क्यों मायने रखती है, और हम छोटे-छोटे कदमों से बड़े बदलाव कैसे ला सकते हैं. अगर आप प्रकृति के साथ अपना रिश्ता और मजबूत करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Wednesday, June 4, 2025
हर साल 5 जून को हम विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि सिर्फ एक दिन प्रकृति के नाम काफी है? धरती माँ हर दिन हमें हवा, पानी, भोजन और जीवन देती है — बिना कुछ माँगे. लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? जंगल काटते हैं, नदियाँ दूषित करते हैं और प्लास्टिक से ज़मीन भरते हैं. यह दिन हमें याद दिलाता है कि समय अब भी है — बदलाव लाने का. पेड़ लगाना, पानी बचाना, और प्रकृति से जुड़ाव बढ़ाना अब ज़रूरत बन चुका है. आइए, इस पर्यावरण दिवस पर सिर्फ बातें नहीं, बल्कि छोटे-छोटे काम करके एक बड़ा फर्क लाएँ.
क्यों ज़रूरी है विश्व पर्यावरण दिवस?
5 जून को हर साल मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस हमें प्रकृति के साथ अपने रिश्ते को फिर से समझने का मौका देता है. आज जब वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं, यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें रुककर सोचने की ज़रूरत है. यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि हम सभी जागरूक हों कि पर्यावरण सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि जीवन का आधार है. इसका उद्देश्य है लोगों को प्रेरित करना कि वे छोटे-छोटे कदम उठाकर पृथ्वी को बचाने में योगदान दें—जैसे पेड़ लगाना, कचरा कम करना, जल और ऊर्जा की बचत करना. यह दिन हर नागरिक को यह सोचने का मौका देता है कि अगर हम आज नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी.
विश्व पर्यावरण दिवस: एक हरित इतिहास

विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत एक ऐसे समय में हुई जब दुनिया तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण और पर्यावरणीय खतरों को लेकर चिंतित थी. इसका पहला आयोजन 1974 में हुआ, लेकिन इसकी नींव 1972 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र की पहली पर्यावरण सम्मेलन में रखी गई. इस सम्मेलन के बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की स्थापना हुई, जिसने इसे हर साल 5 जून को मनाने का निर्णय लिया. इसका मकसद था पर्यावरणीय मुद्दों पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाना और सभी देशों को इस दिशा में एकजुट करना. आज यह दुनिया के सबसे बड़े पर्यावरणीय अभियानों में से एक बन चुका है.
इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
वर्ष | घटना |
---|---|
1972 | स्टॉकहोम सम्मेलन (UN Conference on Environment), Stockholm, Sweden |
1972 | UNEP (United Nations Environment Programme) की स्थापना, Stockholm, Sweden |
1974 | पहला विश्व पर्यावरण दिवस स्पोकेन, संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया. |
हर वर्ष | एक नई थीम के साथ 5 जून को आयोजन |
विश्व पर्यावरण दिवस की हर वर्ष की थीम: एक नई दिशा की ओर

विश्व पर्यावरण दिवस हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है, जो हमें पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है. पिछले कुछ वर्षों की
प्रमुख थीम्स इस प्रकार रही हैं:
वर्ष | थीम |
---|---|
2021 | Ecosystem Restoration |
2022 | Only One Earth |
2023 | Solutions to Plastic Pollution |
2024 | Land Restoration, Desertification and Drought Resilience |
2025 | Ending Plastic Pollution Globally |
2025 की थीम: “Ending Plastic Pollution Globally”
2025 में, विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है: “Ending Plastic Pollution Globally”, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को वैश्विक स्तर पर समाप्त करना है. इस वर्ष की थीम हमें यह समझने की आवश्यकता है कि प्लास्टिक प्रदूषण केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य, वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गंभीर प्रभाव डालता है. इस दिन का उद्देश्य हमें जागरूक करना है कि हम सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना होगा और प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा.

पर्यावरण की स्थिति: चेतावनी की घंटी बज चुकी है!
आज का पर्यावरण पहले से कहीं ज़्यादा संकट में है. प्रदूषण हर दिशा में फैल रहा है — हवा में ज़हर, पानी में गंदगी और ज़मीन पर प्लास्टिक का पहाड़. ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण मौसम का संतुलन बिगड़ गया है, कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा. जानवरों की प्रजातियाँ तेजी से लुप्त हो रही हैं.
बड़ी समस्याएँ आज की तारीख में:
- वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियाँ
- प्लास्टिक प्रदूषण से समुद्री जीवन को खतरा
- पेड़ों की कटाई से तापमान में वृद्धि
- जल स्रोतों का प्रदूषण
पर्यावरणीय संकट पर संक्षिप्त तथ्य
प्रदूषण | प्रभाव |
---|---|
वायु प्रदूषण | अस्थमा, फेफड़ों की बीमारियाँ |
जल प्रदूषण | पीने योग्य पानी की कमी |
ग्लोबल वॉर्मिंग | बर्फबारी में गिरावट, समुद्र स्तर बढ़ना |
प्लास्टिक प्रदूषण | समुद्री जीवों की मौत, ज़मीन की बर्बादी |
अब समय है कि हम इन समस्याओं को समझें और हल की दिशा में मिलकर कदम उठाएँ.
हमारी जिम्मेदारियाँ: हमारे घर से बदलाव की शुरुआत
पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों या संगठनों की नहीं है—यह हम सभी की साझा ज़िम्मेदारी है. अगर हम सच में बदलाव चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत अपने घर, अपने मोहल्ले और अपने रोज़मर्रा के जीवन से करनी होगी. हर छोटा कदम मिलकर एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है. पेड़ लगाना हो या बिजली बचाना, हर कार्य मायने रखता है. आइए जानते हैं हम कैसे पर्यावरण की रक्षा में अपनी भूमिका निभा सकते हैं:
- प्लास्टिक का कम उपयोग करें- जितना हो सके, प्लास्टिक बैग्स, बोतलें और पैकिंग से दूरी बनाएं. कपड़े या जूट के बैग इस्तेमाल करें.
- बिजली और पानी की बचत करें- बिना जरूरत के पंखा, लाइट बंद रखें. टपकते नल को ठीक कराएँ और कम से कम पानी बर्बाद करें.
- पेड़ लगाएँ और पौधे अपनाएँ- हर मौसम में एक पौधा लगाएँ और उसका ध्यान रखें. इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है.
- कचरे को सही तरीके से निपटाएं- सूखे और गीले कचरे को अलग करें और रीसायक्लिंग को बढ़ावा दें.
सरकार और संगठनों की भूमिका: मिलकर ही बदलेगा भविष्य

पर्यावरण की रक्षा में सरकारों और सामाजिक संगठनों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. सरकारें कानून बनाती हैं, नीतियाँ तैयार करती हैं और पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े अभियानों को अंजाम देती हैं. भारत में स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे योजना, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) जैसे कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के बड़े उदाहरण हैं.
इसी तरह, कई गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं — जैसे UNEP, WWF और Greenpeace — जागरूकता फैलाने, वृक्षारोपण करने और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं.
लेकिन इन प्रयासों की सफलता जनता की भागीदारी पर निर्भर करती है. जब नागरिक और संगठन साथ मिलकर काम करते हैं, तभी असली बदलाव आता है. सरकार दिशा दिखा सकती है, लेकिन मंज़िल तक पहुंचाने के लिए हर किसी को साथ चलना होगा.
प्रकृति से नाता फिर से जोड़ने का समय
विश्व पर्यावरण दिवस हमें यह सोचने का अवसर देता है कि हम अपनी धरती के लिए क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर रहे हैं. यह केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — प्रकृति के पक्ष में खड़ा होने का. अगर हम आज छोटे-छोटे कदम उठाएँ जैसे पेड़ लगाना, प्लास्टिक कम करना और संसाधनों की बचत करना, तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण छोड़ सकते हैं. बदलाव सरकार से नहीं, हमारे घर से शुरू होता है. आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि पर्यावरण को बचाना अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि हमारी प्राथमिकता होगी. यही है असली बदलाव की शुरुआत.