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श्रीलंका दौरा: कप्तान सूर्य यादव का संघर्ष और जीवटता हर नवोदित क्रिकेटर के लिए उदहारण
श्रीलंका दौरा: कप्तान सूर्य यादव का संघर्ष और जीवटता हर नवोदित क्रिकेटर के लिए उदहारण
Authored By: अनुराग श्रीवास्तव
Published On: Monday, July 22, 2024
Updated On: Friday, October 25, 2024
मोटिवेशनल कहानियां हमारे इर्द-गिर्द बहुत हैं, इनसे हमें सीखना भी चाहिए, लेकिन सूर्या की कहानी सिखाती ही नहीं है, जीवन में कठिनाइयों को काटने की कला से भी परिचित कराती है।
Authored By: अनुराग श्रीवास्तव
Updated On: Friday, October 25, 2024
भारत में क्रिकेट महज एक खेल भर नहीं है। यह जीवनधारा है, धर्म की तरह है। क्रिकेट को यहां पूजा जाता है। कभी आलोचना तो कभी सिर-आंखों पर बिठाने वाले फैंस इंसान रूपी खिलाड़ियों को भगवान का दर्जा तक दे डालते हैं। सचिन को ‘गॉड ऑफ क्रिकेट’ कहा ही जाता है। जीवन में कठिन समय भी आता है। कुछ इसमें मिट जाते हैं, कुछ हिम्मत, हौसले और संकल्प की अमिट छाप बनकर सामने आते हैं। इसी तरह के खिलाड़ी हैं, सूर्य कुमार यादव यानी एसकेवाई।
सूर्य का जीवन है मोटिवेशनल
उनके नाम के इनीशियल्स ‘स्काई’ ही इशारा कर देते हैं कि वह आकाशीय ऊंचाइयों पर बैठे खिलाड़ी हैं। इस ऊंचाई का नया आयाम है, भारतीय टी20 टीम का कप्तान बनना। श्रीलंका के खिलाफ शुरू हो रही टी20 सीरीज में सूर्या भाऊ मैदान पर केवल बल्ला ही नहीं भाजेंगे या अकल्पनीय कैच लेकर मैच का रुख नहीं पलटेंगे, गेंद दर गेंद रणनीति बनाते भी दिखेंगे। अब वो कप्तान जो बन गए हैं। मोटिवेशनल कहानियां हमारे इर्द-गिर्द बहुत हैं, इनसे हमें सीखना भी चाहिए, लेकिन सूर्या की कहानी सिखाती ही नहीं है, जीवन में कठिनाइयों को काटने की कला से भी परिचित कराती है।
डोमेस्टिक क्रिकेट (Domestic Cricket) में खूब किया संघर्ष
यूपी के गोंडा से मूल रिश्ता रखने वाले इस करामाती खिलाड़ी के जीवन के पन्ने भी करामाती ही हैं। कोई और होता तो डोमेस्टिक क्रिकेट में परफार्म करके थक गया होता। निराश हो गया होता। देश के लिए खेलने के लिए उम्मीद छोड़ चुका होता। इतनी बार सूर्या का सपना टूटा है, टीम इंडिया की जर्सी पहनने के लिए कि आम इंसान तो यह सपना देखना ही बंद कर दे। लेकिन एसकेवाई तो एसकेवाई ही हैं आखिर…।
परिवार का मिला साथ
सपना देखते रहे और पूरा भी किया। टीम इंडिया की कप्तानी की जिम्मेदारी के साथ आज तो यह सपना अपने चरम पर है। हालांकि यह सब सूर्या का अकेले किया हुआ नहीं है। उनकी अर्द्धांगिनी देविशा की इसमें अहम भूमिका है। एक डांस कोच देविशा सूर्य कुमार के लिए लाइफ कोच भी बनीं और उनके खान-पान से लेकर फिटनेस तक सारी जिम्मेदारी निभाई। निराशा से भी दूर रखा। माता-पिता ने भी अपने बेटे को पूरा सहयोग दिया। परिणाम सामने है। इंतजार का ग्रहण काटकर आज सूर्य पूरी दमक के साथ चमक रहा है।
टीम इंडिया में वाया मुंबई इंडियंस
गोंडा से मुंबई और फिर दुनिया की यात्रा सूर्य और उनके परिवार के लिए परीकथा सरीखी नहीं रही है। यह कहानी है संकल्प की, बेटे पर भरोसे की, पत्नी के साथ की और परिवार के संस्कारों की। मुंबई इंडियंस के लिए जो धमाकेदार पारियां सूर्या ने खेली हैं, वह उन्हें सपनों की नगरी में पहले ही स्टार का दर्जा दिला चुकी थीं। मुंबई टीम में भी उनकी धाक रही है, बस नहीं मिल रही थी तो टीम इंडिया की जर्सी। इंतजार लंबा हो चला था, 30 की उम्र क्रिकेट में अधिकांश खिलाड़ियों के लिए रिटायरमेंट की योजना बनाने की शुरुआत की तरह होती है, लेकिन सूर्य तो सूर्य। उसका तो काम ही है चमकना, चमकेगा ही। भले ही थोड़ा समय ले ले। जीवटता देखिए बंदे की…। लंबे समय तक बुलावा नहीं आया टीम इंडिया से…और जब 2021 में आया तो इंटरनेशनल क्रिकेट की अपनी पहली ही गेंद पर भाऊ ने छक्का जड़ दिया।
टी20 (T20) का बादशाह
टी20 में दुनिया को अपना परिचय देने का इस तरह का साहस भला सूर्या के अलावा और कौन कर सकता है। 65 टी20 पारियों में चार सैकड़े, वह भी नंबर तीन या चार की पोजीशन पर…। कमाल है यह बंदा। टाइमिंग के बादशाह हैं सूर्या। मेहनत सारी गेंदबाज करता है, पूरी ताकत से गेंद फेंकता है और एसकेवाई उसी ताकत को अपने दिमाग, कलाइयों और एंगिल से छक्का लगाने में प्रयोग कर लेते हैं।
सूर्य की सफलता का राज
घरेलू क्रिकेट में 170 टी20 खेलने तक भी भारतीय टीम से खेलने का मौका न मिलने से कोई भी टूट सकता है, लेकिन बंदा हंसकर डटा रहा। परिणाम आज टीम का कप्तान है। दूसरा-खुद को और अपने खेल को पहचानो। वह न कोहली की तरह क्लासिकल बल्लेबाज हैं और न रोहित की तरह पावर हिटर, लेकिन सूर्य कुमार को यह पता है कि वह कलाई और एंगिल के खिलाड़ी हैं। टाइमिंग उनका अस्त्र है। इसी पर भरोसा करते हैं। आप भी दूसरों की नहीं, अपनी शक्तियों को खोजिए, तराशिए। और तीसरी बात-होमवर्क डटकर करो। परीक्षा में सफलता के लिए होमवर्क में मन लगाना बहुत जरूरी है। सूर्या के लिए बैटिंग प्रैक्टिस ही सफलता की सबसे बड़ी आधारशिला है। वह कह भी चुके हैं कि प्रैक्टिस सेशन में बल्ले पर गेंद लगने की जो ‘टक’ से आने वाली आवाज है, वही उनके लिए प्रेरणा भी है। सम्मोहन भी और आगे बढ़ते रहने की शक्ति भी और चौथी बात-क्रिएटिव सोचो। गेंदबाज की योजना से आगे बढ़कर अपनी योजनाएं तैयार करो और लगातार उसे चौंकाते रहो। हां, फिजिकली और मेंटली फिट रहने की भी सीख देता है सूर्य कुमार का करियर। आप दोनों तरह से फिट रहेंगे तो अवसर मिलते ही चमक उठेंगे। तो फिर क्या श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में देखिए सूर्या-द कैप्टन का चमत्कार…