बांग्लादेश: डर के साए में जीने को मजबूर हिंदू समुदाय, कब सुधरेंगे हालात?

बांग्लादेश: डर के साए में जीने को मजबूर हिंदू समुदाय, कब सुधरेंगे हालात?

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, December 19, 2024

Updated On: Thursday, December 19, 2024

Bangladesh mein Hindu community ki suraksha aur unki isthiti par charcha
Bangladesh mein Hindu community ki suraksha aur unki isthiti par charcha

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचार और हिंसा की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हाल ही में हिंदू नेता और अवामी लीग समर्थक मणि कर्मकार और उनके परिवार पर हुए क्रूर हमले ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। इस घटना ने न केवल हिंदू समुदाय के भीतर डर पैदा किया है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक और न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Thursday, December 19, 2024

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अवामी लीग समर्थक और हिंदू समुदाय की नेता मणि कर्मकार ने अपने और अपने परिवार पर हुए हमले के बाद न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने सवाल किया है कि क्या हिंदू होना और अवामी लीग का समर्थन करना अपराध बन गया है?

परिवार पर क्रूर हमला

मणि कर्मकार ने बताया कि उनके परिवार पर एक हिंसक हमला किया गया, जिसमें उनकी मां की उंगली काट दी गई और उनकी बहन की गर्दन पर गंभीर वार किए गए। उन्होंने कहा, “मेरे बच्चों का क्या अपराध है? वे तो सिर्फ स्कूल जाते हैं। मेरी मां और बहन को जान से मारने की कोशिश की गई। मैं इस अन्याय के खिलाफ न्याय चाहती हूं।”

हिंदू समुदाय पर बढ़ते अत्याचार

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लंबे समय से धार्मिक हिंसा और भेदभाव का सामना कर रहा है। हाल के दिनों में ऐसी घटनाओं में तेजी देखी गई है:

  • चांपाई नवाबगंज जिले में हत्या: “जय बांग्ला” का नारा लिखने के कारण अवामी छात्र लीग के दो सदस्यों की निर्मम हत्या कर दी गई।
  • चटगांव विश्वविद्यालय हमला: हिंदू प्रोफेसर कुशलबरण चक्रवर्ती पर कट्टरपंथियों ने हमला किया, जब उन्होंने अत्याचारों का विरोध किया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में मणि कर्मकार ने बताया कि वे अवामी लीग की राजनीति करती हैं और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के आदर्शों से प्रेरित हैं। एक पोस्ट में बताया गया कि यह हमला धार्मिक और राजनीतिक कारणों से किया गया। पोस्ट में यह भी कहा गया कि यह हमला सिर्फ एक परिवार पर नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था पर हमला है।

हिंदू समुदाय पर बढ़ते अत्याचार

हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अंतरिम सरकार के कार्यभार संभालने वाले मोहम्मद यूनुस के कार्यकाल में इन घटनाओं में वृद्धि हुई है।

निष्पक्ष जांच की मांग

मणि कर्मकार ने अपने परिवार पर हुए हमले के पीछे की सच्चाई उजागर करने के लिए निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित कर रहा है और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील

हिंदू समुदाय पर बढ़ते अत्याचारों और धार्मिक असहिष्णुता के बीच अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों से हस्तक्षेप की अपील की जा रही है। यह घटना बांग्लादेश में लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के प्रति सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

कब सुधरेंगे हालात?

प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के बाद से देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। अंतरिम सरकार के कार्यकाल में इन घटनाओं में तेजी आना चिंता का विषय है।  यदि इन घटनाओं पर तुरंत लगाम नहीं लगाई गई, तो बांग्लादेश में लोकतंत्र और सामाजिक समरसता पर गहरा असर पड़ेगा। हिंदू समुदाय उम्मीद कर रहा है कि उनके हालात में जल्द सुधार आएगा और वे बिना डर के अपना जीवन जी सकेंगे।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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