Sister Nivedita Jayanti : स्वामी विवेकानंद की अनन्य भक्त और दार्शनिक सिस्टर निवेदिता की जयंती आज
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, October 28, 2024
Last Updated On: Monday, October 28, 2024
स्वामी विवेकानंद जी की शिष्या भगिनी निवेदिता को उनकी जयंती पर कई महत्वपूर्ण लोगों ने उनके जन्म और कर्म को याद किया। उन्होंने स्वामी जी के क्रांतिकारी उपदेशों का विश्व भर में प्रसार कर मानवता की अनूठी सेवा की। उन्होंने दुनिया भर में भारतीय संस्कृति-दर्शन का परचम लहराया।
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, October 28, 2024
स्वामी विवेकानंद भारतीय हिंदू भिक्षु, दार्शनिक, लेखक, धार्मिक शिक्षक और भारतीय रहस्यवादी गुरु रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य थे। वे पश्चिमी दुनिया में वेदांत और योग की शुरुआत करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। स्वामी विवेकानंद के कई शिष्य थे, जिनमें से सिस्टर निवेदिता प्रमुख थीं।सिस्टर निवेदिता एक आयरिश शिक्षिका, लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता, स्कूल संस्थापक और स्वामी विवेकानंद की अनुआयी थीं। आज 28 अक्टूबर को उनकी जयंती है। उनकी जयंती (Sister Nivedita Jayanti) पर कई प्रमुख व्यक्तियों ने उन्हें याद किया।
स्वामी विवेकानंद ने दिया निवेदिता नाम (Preacher Swami Vivekanand)
सिस्टर निवेदिता का मूल नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल था। वह आइरिश मूल की थीं। उनका जन्म आयरलैंड के काउंटी टाइरोन में हुआ था। उनका जन्म 28 अक्टूबर, 1867, डुंगानन, आयरलैंड (अब उत्तरी आयरलैंड) में हुआ था। उनकी मृत्यु 13 अक्टूबर, 1911 को दार्जिलिंग, भारत में हुई। उन्होंने अपना बचपन और युवावस्था आयरलैंड में बिताई। उनकी सगाई एक वेल्श युवक से हुई थी, लेकिन सगाई के कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद से ही वे गृहस्थ जीवन के प्रति विमुख हो गईं। स्वामी विवेकानंद ने उन्हें निवेदिता नाम दिया था। स्वामी विवेकानंद उन्हें भगिनी निवेदिता भी कहते थे।उनकी जयंती पर देश के कई महत्वपूर्ण लोगों ने उन्हें याद किया।
भारतीय संस्कृति-दर्शन का प्रचार-प्रसार (Indian Culture)
स्वामी विवेकानंद जी की शिष्या भगिनी निवेदिता को उनकी जयंती पर कई महत्वपूर्ण लोगों ने उनके जन्म और कर्म को याद किया। उन्होंने स्वामी जी के क्रांतिकारी उपदेशों का विश्व भर में प्रसार कर मानवता की अनूठी सेवा की। उन्होंने दुनिया भर में भारतीय संस्कृति-दर्शन का परचम लहराया। भारत की आजादी के आंदोलन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देशवासी उनके योगदानों के लिए सदा कृतज्ञ रहेंगे।
लेखन के लिए भारत का व्यापक दौरा
निवेदिता समृद्ध, प्रगतिशील और आदर्शवादी थीं। उन्हें हिंदू धर्म के प्रति अनुराग था। मुख्य रूप से विवेकानंद के कारण वे हिन्दू धर्म की प्रशंसक बनीं। अगर वह जीवन भर उनकी साथी बनी रहती तो वह बहुत खुश और संतुष्ट होती। जब उन्होंने अपने गुरु के करीब जाने की कोशिश की, तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया। उन्होंने भारत पर खूब लिखा। एक विपुल लेखिका बन गईं। उन्होंने व्याख्यान देने के लिए भारत का व्यापक दौरा किया। खास तौर पर भारतीय संस्कृति और धर्मों पर। उन्होंने भारत के युवाओं से स्वामी विवेकानंद के आदर्शों के अनुरूप अपने देश के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने की अपील की।
द मास्टर ऐज़ आई सॉ हिम (The Master As I Saw Him)
उनकी कई किताबों में से द मास्टर ऐज़ आई सॉ हिम: बीइंग पेजेस ऑफ़ द लाइफ़ ऑफ़ द स्वामी विवेकानंद, सबसे अधिक पसंद की गयी। सिस्टर निवेदिता ने 1910 में यह किताब लिखी। इस पुस्तक में निवेदिता के स्वामी विवेकानंद के साथ अनुभवों को शामिल किया गया है। उनसे उनकी मुलाकात नवंबर 1895 में लंदन में हुई थी।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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