Women’s Day Special : महिलाओं को मिलने जा रहा बड़ा मौका, 8 मार्च को प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करेंगी चुनिंदा महिलाएं

Women’s Day Special : महिलाओं को मिलने जा रहा बड़ा मौका, 8 मार्च को प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करेंगी चुनिंदा महिलाएं

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Thursday, March 6, 2025

Updated On: Friday, March 7, 2025

महिला दिवस पर पीएम मोदी का सोशल मीडिया संभालेंगी महिलाएं
महिला दिवस पर पीएम मोदी का सोशल मीडिया संभालेंगी महिलाएं

Women’s Day Spl : महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की ‘नारी शक्ति’ को एक सुनहरा अवसर देने जा रहे हैं. महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 8 मार्च को कुछ चुनिंदा महिलाएं प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैंडल करेंगी. प्रधानमंत्री ने नमो एप फोरम (Namo App Forum) पर महिलाओं से अपने संघर्ष एवं सफलता की कहानियां साझा करने की अपील भी की है. इससे पहले साल 2020 में भी प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति को उनका सोशल मीडिया हैंडल करने का मौका दिया था.

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Friday, March 7, 2025

देश में महिला (Womens Day Special) सशक्तीकरण की दिशा में कहने को तो काफी कार्य हो रहे हैं. सरकार उनके उत्थान एवं विकास के लिए कई योजनाएं भी चला रही है. बेटियों को बचाने, पढ़ाने एवं उनके साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई महत्वकांक्षी योजनाओं का संचालन हो रहा है. महिलाएं खुद भी आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हो रही हैं. वे उन तमाम क्षेत्रों में अपने कौशल का परिचय दे रही हैं, जिन पर पुरुषों का वर्चस्व या एकाधिपत्य हुआ करता था. वे ट्रेन, बस, ट्रक, मेट्रो चलाने से लेकर फाइटर विमान तक उड़ा रही हैं. खेतों में नवोन्मेष कर नई वेरायटी के पौधे उपजा रही हैं, तो ड्रोन दीदी बनकर किसानों की मदद कर रही हैं. उनके खेतों को कीटनाशकों से मुक्त बना रही हैं. डिफेंस फोर्सेज से लेकर सिविल सेवा में महिलाओं का दखल साल दर साल बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर महिलाओं की संघर्ष गाथा

महिलाओं की उपलब्धियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अनजान नहीं हैं. इसलिए उन्होंने देश की महिलाओं से नमो एप फोरम पर अपनी उपलब्धियों एवं संघर्ष की कहानी साझा करने की अपील की है. साथ ही महिला दिवस के मौके पर उन्हें एक उपहार भी दिया है. प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखा है, ‘ मैंने नमो एप फोरम पर अनेक महिलाओं की प्रेरक यात्रा की कहानियां पढ़ी हैं. उनमें से ही कुछ चुनिंदा महिलाओं को आगामी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के दिन उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैंडल करने का अवसर दिया जाएगा. मंच उनका होगा, लेकिन वहां पर महिलाओं के अनुभव, उनके द्वारा किए गए इनोवेशन, उनकी चुनौतियों और उपलब्धियों की बातें होंगी. इससे देश-दुनिया तक उन महिलाओं के बारे में लोग जान सकेंगे.

प्रधानमंत्री सोशल मीडिया (एक्स, इंस्टाग्राम, यूट्यूब) पर सबसे अधिक फॉलो (100 मिलियन से अधिक) किए जाने वाले वैश्विक नेताओं में से एक हैं. उन्होंने मन की बात के 119वें एपिसोड में इसका पहली बार जिक्र किया था कि वे महिला दिवस पर ऐसी पहल करने जा रहे हैं, जो नारी शक्ति को समर्पित होगी. इससे पहले साल 2020 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन के लिए सात महिलाओं को अपना सोशल मीडिया हैंडल करने का अवसर दिया था, जिनमें स्नेहा मोहनदॉस, मालविका अय्यर, अरीफा जान, कल्पना रमेश, विजया पंवार, कलावती देवी एवं वीणा देवी शामिल थीं.

जब पहली बार पीएम के सोशल मीडिया हैंडल से दिया संदेश

साल 2020 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रधानमंत्री का एक्स हैंडल संभालने वाली मोटिवेशनल स्पीकर मालविका अय्यर (Malvika Iyer) का कहना है कि हम अपनी जिंदगी को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन हम निश्चित ही जिंदगी को लेकर अपने दृष्टिकोण को बदल सकते हैं. जब अय्यर मात्र 13 वर्ष की थीं, तब वे एक बम विस्फोट की शिकार हो गईं थीं. इस हादसे में उनके दोनों हाथ उड़ गए थे और पैर बुरी तरह घायल हो गए थे. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पीएचडी पूरी की.

मालविका के अनुसार, मुसीबतों से निपटना अधिक महत्वपूर्ण है. कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, क्योंकि हिम्मत हारना विकल्प नहीं होता. दुनिया का सामना विश्वास के साथ करना होता है. इसी साल, मशरूम की खेती से अपनी विशेष पहचान बनाने वाली बिहार के मुंगेर की वीणा देवी (Veena Devi) ने भी प्रधानमंत्री के एक्स हैंडल से संदेश दिया था, ‘जहां चाह होती है, वहां राह निकल आती है. इच्छाशक्ति से सब कुछ हासिल किया जा सकता है. मेरी वास्तविक पहचान पलंग के नीचे एक किलो मशरूम की खेती से शुरू हुई थी. इसी खेती ने मुझे न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाकर एक नया जीवन भी दिया.’

वीणा ने पहली बार पलंग के नीचे उगाया मशरूम

वीणा बताती हैं कि उनके पास जगह की कमी थी. जिस पलंग पर सोती थीं, उसके नीचे ही बस थोड़ी जगह थी. ये साल 2013 की बात है. उन्होंने उसी पलंग के नीचे मशरूम की खेती शुरू कर दी. शुरुआत एक किलो बीज से हुई. जैसे ही उनके इस इनोवेशन की तस्वीरें और वीडियो बाहर आई, तो उसे वायरल होते देर नहीं लगी. तब कृषि विश्वविद्यालय की टीम उनके घर पहुंची और बात मुख्यमंत्री से लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति सभी तक पहुंची. उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. आज वीणा देवी की प्रेरणा से पांच ब्लॉक एवं 105 गांवों के लोग मशरूम की खेती कर रहे हैं, जिससे उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में भी बड़ा सुधार आया है.

वे अब तक करीब दस हजार ग्रामीण महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दे चुकी हैं. इसके साथ ही वे किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग, वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि के बारे में जागरूक करती हैं. मशरूम की खेती के अलावा वे पांच साल तक जिले के धौरी पंचायत की सरपंच भी रही हैं. किसी समय अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहने वाली वीणा के चारों बच्चे अच्छी शिक्षा हासिल कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब बेटियों को उचित सहयोग एवं प्रोत्साहन मिलता है, तो वे नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाती हैं.

कोविड ने एक फैशन डिजाइनर को बनाया समाजसेविका

‘अलकेमिस्ट’ नॉवेल के रचयिता पाओलो कोएले का एक कथन है, ‘जब हमें उम्मीद नहीं होती, तभी जिंदगी हमारे सामने चुनौती पेश करती है. यह चुनौती हमारे साहस एवं इच्छाशक्ति की परीक्षा लेती है कि हम अमुक क्षण में स्वयं को कितना परिवर्तित या परिस्थिति से सामंजस्य बिठा पाते हैं. तब यह मायने नहीं रखता कि हम तैयार थे या नहीं. क्योंकि चुनौती किसी का इंतजार नहीं करती. लखनऊ की फैशन डिजाइनर अरायना खान ने कोविड-19 के दस्तक देने के कुछ महीने पहले ही महिलाओं का एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की योजना बनाई थी, जिससे कि उनके लिए रोजगार क्रिएट कर सकें. लेकिन सारी योजनाएं ठप पड़ गईं.

कोरोना के कारण शहर में रोजाना मौतें हो रही थीं, जिससे दिल दहल गया था. वे अवसाद से घिरती जा रही थीं. तभी मुंबई से एक दोस्त ने बाराबंकी में कोविड से ग्रसित गर्भवती महिला को मदद पहुंचाने के लिए अनुरोध किया. वह पहला केस था. उसके बाद अरायना ने देश के अलग-अलग शहरों में रहने वाले दोस्तों को एक ग्रुप से जोड़ा. वीडियो क्रिएट कर, उसे इंटरनेट मीडिया पर अपलोड किया. इससे कई स्वयंसेवी संगठनों ने उनसे संपर्क किया. उनकी मदद से वे अलग-अलग स्थानों (राज्यों में) पर पीड़ितों एवं जरूरतमंदों तक पहुंच सकीं. बात चाहे अस्पताल में बेड उपलब्ध कराने, एंबुलेंस, ऑक्सीजन सिलेंडर या कंसनट्रेटर की व्यवस्था कराने की हो, इनकी टीम ने दिन या रात की परवाह किए बगैर जरूरतमंदों तक राहत पहुंचाई. लखनऊ के अलावा अरायना ने उत्तराखंड, दिल्ली, पटना, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरू, कश्मीर आदि स्थानों पर अपने दोस्तों व सहयोगी संपर्कों के जरिये लोगों की जरूरत पूरी की.

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About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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