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Agra Kailash Temple: स्वयं परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने यहां स्थापित किया दो शिवलिंग
Agra Kailash Temple: स्वयं परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने यहां स्थापित किया दो शिवलिंग
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, June 12, 2025
Last Updated On: Thursday, June 12, 2025
Agra Kailash Temple: आगरा के यमुना तट पर स्थित कैलाश मंदिर इन दिनों न केवल अपने ₹40 करोड़ के जीर्णोद्धार कार्य और कॉरिडोर परियोजना को लेकर चर्चा में है, बल्कि अपनी रहस्यमयी धार्मिक मान्यताओं के कारण भी सुर्खियों में है. माना जाता है कि इस प्राचीन शिवधाम में दो शिवलिंग स्थापित हैं—एक सामने दिखाई देने वाला और दूसरा आज भी जमीन के भीतर छिपा हुआ. कथा यह भी है कि इन शिवलिंगों की स्थापना स्वयं परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने त्रेता युग में की थी. आखिर क्या है इस हज़ारों साल पुराने Mandir का पौराणिक रहस्य? क्यों इसे कभी रंगमहल कहा जाता था? जानिए इस लेख में Kailash Mandir से जुड़ी वो सब बातें, जो इसे साधारण नहीं, बल्कि एक अलौकिक तीर्थस्थल बनाती हैं.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Thursday, June 12, 2025
Agra Kailash Temple: आगरा स्थित कैलाश मंदिर में इन दिनों जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है. हाल में कॉरिडोर परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी गई है। इसलिए यह मंदिर एक बार फिर चर्चा में है. मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए ₹40 करोड़ आवंटित किया गया है. साथ ही, एक महत्वपूर्ण जीर्णोद्धार परियोजना भी चल रही है. मान्यता है कि मंदिर में दो शिवलिंग हैं, एक दृश्यमान और दूसरा छिपा हुआ. कथा है कि इस हजारों साल पुराने मंदिर (Agra Kailash Temple) से महर्षि परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि का संबंध है.
हजारों साल पुराना मंदिर (Agra Kailash Mandir History)
आगरा का कैलाश मंदिर सिकंदरा के पास यमुना नदी के तट पर स्थित है. यह मथुरा-आगरा मार्ग पर है. इसे आगरा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है. यह अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, जो पूरे देश से भक्तों को आकर्षित करता है. भगवान शिव को समर्पित कैलाश मंदिर का इतिहास हज़ारों साल पुराना है. मंदिर महाशिवरात्रि समारोहों के लिए एक प्रमुख स्थल है, जहां भक्त पूजा करने के लिए मंदिर आते हैं.
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा (Agra Kailash Mandir Mythological Story)
मंदिर भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि से जुड़ा हुआ माना जाता है. मान्यता है कि त्रेता युग में पिता जमदग्नि और पुत्र भगवान परशुराम भगवान शिव की पूजा करने के लिए कैलाश पर्वत की यात्रा की. आशीर्वाद पाने के लिए उन्होंने वहां शिव देवता को पशुओं की बलि दी। उन दोनों को आशीर्वाद के रूप में दो शिवलिंग प्राप्त हुए. वे शिवलिंगों को यमुना नदी के तट पर ले आए और उन्हें स्थानांतरित करने का प्रयास किया, लेकिन ऐसा करने में असमर्थ रहे. यही कारण है कि शिवलिंगों को अंततः कैलाश मंदिर में स्थापित किया गया.
कैलाश पर्वत की छवि
आगरा स्थित कैलाश मंदिर शांत और आध्यात्मिक रूप से अध्यात्म और ईश्वर के प्रति समर्पित हैं. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख स्थान है. मान्यता है कि इस मंदिर में शिव की पूजा और प्रार्थना करने से सभी दुःख दूर हो जाते हैं. भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. आम धारणा यह है कि कैलाश मंदिर पर मूल रूप से सफ़ेद प्लास्टर की एक मोटी परत थी, जो इसे पवित्र कैलाश पर्वत जैसा बनाती थी. इसलिए इसका नाम कैलाश पड़ा। विद्वानों का दावा है कि वास्तव में पूरे मंदिर को रंगा गया था और प्लास्टर किया गया था. यही वजह है कि इसे रंग महल या चित्रित महल के रूप में भी जाना जाता था.