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Mahakumbh 2025 : विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख संतों ने कुंभ में फर्जी बाबाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया,फर्जी बाबा करते हैं सनातन धर्म को बदनाम
Mahakumbh 2025 : विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख संतों ने कुंभ में फर्जी बाबाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया,फर्जी बाबा करते हैं सनातन धर्म को बदनाम
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, September 9, 2024
Updated On: Monday, September 9, 2024
महाकुंभ 2025 का आयोजन 14 जनवरी से 26 फरवरी तक गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर किया जाएगा। हरित और स्वच्छ महाकुंभ के रूप में प्रचारित आयोजन में मेला क्षेत्र को 4000 हेक्टेयर तक बढ़ाया गया है।विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख संतों ने 'फर्जी संतों' की एक सूची जारी करने की योजना की घोषणा की। इन सभी बाबाओं को आयोजन में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा। उन्होंने सरकार और प्रशासन को इन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया।
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, September 9, 2024
भारत में चार स्थानों पर हर बारह साल में एक बार कुंभ मेला (Kumbh Mela) आयोजित होता है। इस आयोजन में बड़ी आबादी का समागम होता है। इसमें देश भर के विभिन्न राज्यों से तीर्थयात्री गंगा और यमुना नदियों के जल में स्नान करने आते हैं। यह पौराणिक कथाओं से संबंधित सामूहिक तीर्थयात्रा और आस्था का त्योहार है। यह हर बारह साल में चार धार्मिक स्थानों में से किसी एक पर आयोजित होने वाले स्थान इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक (Maha Kumbh) हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मानव समागम है। संगम तट पर जुटने वाले अखाड़ों ने सरकार से कुंभ में फर्जी बाबाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
जीवन के सभी दुखों और पीड़ाओं से मिल सकती है मुक्ति (liberate from one’s all miseries & sufferings of life)
कुंभ 12 साल में एक बार आता है, लेकिन यह हर तीसरे साल चार पवित्र स्थानों में से एक पर आयोजित होता है। यह दुनिया भर से आये पर्यटकों को देखना जीवन में एक बार होने वाला अनुभव जैसा है। इस त्योहार में फूल, धूप, सुगंध से संतृप्त पवित्र जल में अनुष्ठान स्नान के बाद वेदों, भजनों और मंत्रों का जाप किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महान मेले में आने से सभी पाप धुल जाते हैं। इससे जीवन के सभी दुखों और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है। जीवन, जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ 2025 की तैयारी (Maha Kumbh 2025 Preparation)
महाकुंभ 2025 का आयोजन 14 जनवरी से 26 फरवरी तक गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर किया जाएगा। हरित और स्वच्छ महाकुंभ के रूप में प्रचारित आयोजन में मेला क्षेत्र को 4000 हेक्टेयर तक बढ़ाया गया है। इसे 25 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। महाकुंभ 2025 की तैयारियों पर चर्चा करने के लिए प्रमुख संतों और अधिकारियों ने बैठक की। इसमें बेहतर सुविधाओं की जरूरत, फर्जी बाबाओं पर प्रतिबंध और प्लास्टिक मुक्त आयोजन के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया। एआई आधारित निगरानी और बायोमेट्रिक आईडी के साथ लोगों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। जनवरी में होने वाले इस आयोजन में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
फर्जी बाबा सुरक्षा के लिए खतरा (Fake babas)
विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख संत महाकुंभ मेला प्राधिकरण के साथ बैठक के लिए एकत्र हुए। इसमें जनवरी 2025 में संगम तट पर होने वाले आगामी धार्मिक आयोजन की तैयारियों पर चर्चा की गई। बैठक का उद्देश्य इस आयोजन का सुचारू और भव्य आयोजन सुनिश्चित करना था। इसमें भारत और विदेश से 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी), 13 मठों के सर्वोच्च शासी निकाय के संतों ने हाल ही में हाथरस में हुई भगदड़ के बाद फर्जी बाबाओं के प्रवेश पर चिंता व्यक्त की थी। हाथरस में हुई भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई थी। उन्होंने इन व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख संतों ने यह तर्क दिया कि फर्जी बाबाओं की उपस्थिति सनातन धर्म को बदनाम करती है। ये सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।
फर्जी संतों की होगी सूची जारी (fake baba’s list)
संतों ने पर्याप्त भूमि और पार्किंग प्रावधानों सहित बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने ‘फर्जी संतों’ की एक सूची जारी करने की योजना की घोषणा की। इन सभी बाबाओं को आयोजन में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा। उन्होंने सरकार और प्रशासन को इन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया।
स्वच्छ और हरित पहल (green and clean Maha Kumbh)
बैठक का एक महत्वपूर्ण संकल्प महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) को ‘स्वच्छ और हरित (green and clean)’ बनाने की प्रतिबद्धता है। मेला अधिकारियों ने आयोजन को प्लास्टिक मुक्त (Plastic free maha kumbh) बनाने में साधु-संतों से सहयोग मांगा और उन्हें इस पहल के लिए आवश्यक सुविधाएं देने का आश्वासन दिया। महाकुंभ को प्लास्टिक मुक्त घोषित किया गया है। इसके साथ ही कई नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। फर्जी साधुओं के मुद्दे पर प्रशासन मेला परिषद के साथ मिलकर काम करेगा।