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Chaitra Navratra 2025: आध्यात्मिक शांति और समस्त जीवों के कल्याण के लिए देवी के नौ रूपों की पूजा
Chaitra Navratra 2025: आध्यात्मिक शांति और समस्त जीवों के कल्याण के लिए देवी के नौ रूपों की पूजा
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, March 5, 2025
Updated On: Wednesday, March 5, 2025
Chaitra Navratra 2025 : नवरात्र भक्ति और उत्सव के नौ दिनों के उत्सव का प्रतीक है. नवरात्र देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिनों का त्योहार है. इस वर्ष यह 30 मार्च, 2025 को शुरू होगा और 7 अप्रैल,2025 को समाप्त हो जाएगा. यह आध्यात्मिक शांति और समस्त जीवों के कल्याण के लिए पूजा-अर्चना करने का सही समय है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, March 5, 2025
Chaitra Navratra 2025: नवरात्र देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिनों का त्योहार है. चैत्र नवरात्र हिंदू त्योहार है, जो मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है. भारत में ज्यादातर दो नवरात्र त्योहार- चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र मनाया जाता है. चैत्र नवरात्र वसंत ऋतु में आता है. मार्च या अप्रैल के आसपास अनुष्ठान शुरू होता है. विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत है. इस साल चैत्र नवरात्र 30 मार्च, 2025 को शुरू होगा और 7 अप्रैल,2025 को समाप्त हो जाएगा. चैत्र नवरात्र 2025 को हिंदुओं के लिए शुभ अनुष्ठान और देवता से आशीर्वाद लेने का सबसे अच्छा समय (Chaitra Navratra d2025) माना जाता है.
कैसे की जाती है पूजा (How to do puja on Navratri)
इस अवसर पर भक्तगण 9 दिनों तक उपवास रखते हैं, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और प्रार्थना-भजन कर देवी दुर्गा की उपासना करते हैं. मन की शांति और देवी पूजा के लिए दीये अवश्य जलाए जाते हैं. पहले दिन घटस्थापना (कलश स्थापना) से पूजा शुरू हो जाती है. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र दोनों के लिए घटस्थापना अनुष्ठान एक जैसा ही किया जाता है.
किस दिन कौन-सी देवी की होती है पूजा (Devi Puja)
- 30 मार्च – प्रतिपदा के दिन घटस्थापना और मां शैलपुत्री पूजन
- 31 मार्च – द्वितीया और तृतीया एक साथ, मां ब्रह्मचारिणी पूजा, मां चंद्रघंटा पूजा
- 1 अप्रैल – चतुर्थी के दिन मां कुष्मांडा पूजा
- 2 अप्रैल – पंचमी के दिन मां स्कंदमाता पूजा
- 3 अप्रैल – षष्ठी के दिन मां कात्यायनी पूजा
- 4 अप्रैल – सप्तमी के दिन मां कालरात्रि पूजा
- 5 अप्रैल – अष्टमी के दिन मां महागौरी पूजा
- 6 अप्रैल – नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री पूजा
- 7 अप्रैल – दशमी के दिन नवरात्र पारण
यह त्योहार देवी की दिव्य ऊर्जा और नौ रूपों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है.
घटस्थापना के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त (Ghatsthapna Time & Muhurt)
ज्योतिषशास्त्री और धर्म-अध्यात्म के ज्ञाता पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार, वर्तमान प्रतिपदा के तीसरे प्रहर में घटस्थापना शुभ मुहूर्त में की जाएगी. अभिजीत मुहूर्त के समय और जब भी किसी कारण से समय सीमा छूट जाती है, तब भी अनुष्ठान किया जाना चाहिए.
चैत्र नवरात्र के दौरान अभिजीत मुहूर्त के रूप में जाना जाने वाला 48 मिनट का समय होता है, जिसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है, यह सुबह और शाम के बीच होता है. कई लोग नए निवेश की शुरुआत करने और विभिन्न कर्म दोषों को दूर करने के लिए इस समय को भाग्यशाली मानते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त का महत्व (Braham Muhurt)
पंडित अनिल शास्त्री बताते हैं, ‘घटस्थापना के दौरान चौघड़िया मुहूर्त से बचना चाहिए. यदि चैत्र नवरात्र में भोर में द्वि-स्वभाव लग्न कन्या प्रबल हो, तो घटस्थापना करना सौभाग्यशाली होता है. सूर्योदय के बाद, रात में या दोपहर में घटस्थापना निषिद्ध है.
घटस्थापना पूजा अनुष्ठान (Ghatsthapana Puja Anushthan)
घटस्थापना या कलश स्थापना अच्छे स्वास्थ्य, धन और भाग्य लाने वाला माना जाता है. कलश स्थापना के दौरान पवित्र जल के साथ कलश में रखने के लिए जौ के बीजों का उपयोग किया जाता है.घटस्थापना के लिए सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें. कलश को साफ करने के साथ-साथ जगह को भी साफ करें. मूर्ति को भी साफ कर घट के पास स्थापित करें. लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा रखें. भगवान गणेश का आह्वान करने के लिए मंत्रों का पाठ करें. लाल कपड़े पर कुछ मात्रा में कच्चे चावल रखें. कलश में थोड़ा पानी डालें.
कलश पर स्वस्तिक का शुभ चिह्न (Swastik)
सिंदूर के लेप का उपयोग करके कलश पर स्वस्तिक का शुभ चिह्न बनाएं. बाद में कलश की गर्दन को ढकने के लिए मौली (एक पवित्र धागा) बांधें. कलश में आम के कुछ पत्ते रखें और सुपारी और सिक्के भी डालें. पवित्र धागे की मदद से लाल कपड़े में नारियल लपेटें. इसे कलश के ऊपर रखें और देवी का आह्वान करें. देवताओं पर फूल अर्पित करें और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करें. प्रसाद भी अर्पित करें.
चैत्र नवरात्र का महत्व (Chaitra Navratri Significance)
हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्र की एक कहानी से जुड़ी हुई है. त्योहार के पीछे की कहानी देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर जीत है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संकेत देती है. 9 दिवसीय उत्सव का समापन भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में राम नवमी उत्सव के साथ होता है. भगवान राम भगवान विष्णु के अवतार हैं. वे इस त्योहार को भक्ति की एक अतिरिक्त परत देते हैं। यह उत्सव वसंत ऋतु से जुड़ा हुआ है, जो आध्यात्मिक और प्राकृतिक दोनों तरह की नई चीजों को शुरू करने का समय है।
देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों को समर्पित पूजा (Devi Durga PUJA 2025)
चैत्र नवरात्र 9 दिनों का त्योहार है. हर दिन देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों को समर्पित है. हर दिन को अनोखे रीति-रिवाजों, भक्ति और रंगों के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करना दिव्य स्त्री शक्तियों के कई पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है. नौ रूप शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं. इस अवसर पर कोई भी नया काम शुरू किया जा सकता है.