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Chaturmas 2025: चार महीने का आध्यात्मिक तप, व्रत और नियमों की पूरी जानकारी
Chaturmas 2025: चार महीने का आध्यात्मिक तप, व्रत और नियमों की पूरी जानकारी
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, June 5, 2025
Last Updated On: Thursday, June 5, 2025
चार महीने की अवधि है चातुर्मास, जो देवशयनी एकादशी से शुरू होकर देवोत्थान एकादशी पर समाप्त होती है. यह भक्ति, तपस्या और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए पवित्र समय माना जाता है. चातुर्मास 2025 की अवधि 6 जुलाई से 1 नवंबर 2025 तक होगी.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Thursday, June 5, 2025
Chaturmas 2025: चातुर्मास्य हिंदू चंद्र माह आषाढ़ या देवशयनी एकादशी के ग्यारहवें दिन से शुरू होता है. यह उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब देवता विष्णु अपने शेषनाग पर चार महीने की अवधि के लिए योग निद्रा में लीन हो जाते हैं और प्रबोधिनी एकादशी को जागते हैं. चातुर्मास (Chaturmas 2025) का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है.
क्या है चातुर्मास (What is Chaturmas)
चातुर्मास्य एक संस्कृत शब्द है, जिसे चातुर्मास भी कहा जाता है. यह चार महीनों की एक पवित्र अवधि है, जो हिंदू धर्म में शयनी एकादशी (जून-जुलाई) से शुरू होकर प्रबोधिनी एकादशी (अक्टूबर-नवंबर) पर समाप्त होती है. यह अवधि मानसून मौसम के साथ भी मेल खाती है. चातुर्मास्य विशेष रूप से तपस्या, उपवास, पवित्र नदियों में स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण है. भक्त किसी न किसी प्रकार का व्रत रखने का संकल्प लेते हैं, चाहे वह मौन रहना हो या किसी पसंदीदा खाद्य पदार्थ से परहेज करना हो या दिन में केवल एक बार भोजन करना हो।
चातुर्मास का शाब्दिक अर्थ (Meaning of Chaturmas)
चातुर्मास को चौमासा भी कहा जाता है. यह चार महीने की अवधि है. मान्यता है कि इन महीनों में भगवान विष्णु शयन करते हैं. इसलिए इस अवधि में धार्मिक अनुष्ठान और शुभ कार्य आम तौर पर निषिद्ध होते हैं. लोग ध्यान, साधना और भक्ति में अधिक व्यस्त रहते हैं.
धार्मिक और पौराणिक मान्यता (Mythological Aspects of Chaturmas)
यह पुराणों में उद्धृत राजा बलि और विष्णु के वामन अवतार की कथा से जुड़ा है. असुरों के राजा बलि ने देवताओं के राजा इंद्र से सत्ता छीन ली थी. बलि पूरे ब्रह्मांड पर शासन कर रहा था. देवताओं ने अपनी शक्ति वापस पाने के लिए विष्णु से शरण मांगी. विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया और बलि से तीन पग जमीन मांगी. जैसे ही बलि ने आज्ञा दी, वामन ने एक विशाल रूप धारण कर लिया. धरती-आकाश और अपने तीसरे पग के साथ बलि को पाताल भेज दिया. बलि को विष्णुजी द्वारा दिए वरदान के अनुसार, बलि ने वामन या विष्णुजी से पाताल में उनके साथ रहने का अनुरोध किया. विष्णुजी के वरदान देने पर देवी लक्ष्मी सहित सभी देवता चिंतित हो गए. तब लक्ष्मीजी ने एक योजना बनाई, जिसके अनुसार विष्णुजी को केवल एक निश्चित अवधि के लिए बलि के साथ रहने की अनुमति दी गई. इस अवधि को चातुर्मास्य या वह अवधि भी कहा जाता है जब विष्णु राजा बलि से मिलने के दौरान “सोते” हैं.
शैव संप्रदाय में मानी जाने वाली कथा (Chaturmas Katha)
शैव संप्रदाय के अनुयायी सागर मंथन की कथा को इससे जोड़कर देखते हैं. कथा के अनुसार, शिव ने “हलाहल” विष पीकर सृष्टि को बचाया, जो असुरों और देवों द्वारा मंथन किए जाने के दौरान समुद्र से निकला था. विष को उन्होंने कंठ में रोक लिया, ताकि यह शरीर के बाकी हिस्सों में न फैल जाए. इससे उनका कंठ नीला पड़ गया.
चातुर्मास नियम (Chaturmas Rules)
चतुर्मास की चार महीने की अवधि के दौरान कुछ नियमों का पालन किया जाता है.
चतुर्मास नियम का मुख्य उद्देश्य इंद्रिय तृप्ति को कम करना और आध्यात्मिक रूप से विकसित होना है. चातुर्मास के दौरान कई भक्त उपवास रखते हैं. कुछ खाद्य पदार्थों, जैसे मांस, मछली और कुछ विशिष्ट अनाज से परहेज किया जाता है. इस अवधि में मंत्रोच्चार, प्रार्थना, मंदिर सेवाओं में भाग लेना जैसे अनुष्ठानों में भाग लेने का नियम है.
चातुर्मास व्रत (Chaturmas Vrat 2025)
चातुर्मास में स्वाध्याय, तपस्या और उपवास किया जाता है. यह तपस्या और भक्ति का समय है. कुछ भक्त व्रत करते हैं. व्रत के अंतर्गत कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाता है या दिन में एक बार भोजन किया जाता है. संन्यास धर्म का पालन करने वाले लोग इस अवधि के दौरान एक स्थान पर रहते हैं. वे खुद को आध्यात्मिक विकास और ज्ञान फैलाने के काम में समर्पित करते हैं.
चातुर्मास का महत्व (Chaturmas Significance)
हिंदू कैलेंडर में चतुर्मास या “चार महीने” की अवधि आध्यात्मिक ध्यान और ईश्वर भक्ति में खुद को समर्पित करने का समय है. यह वह अवधि है जब भगवान विष्णु को योगनिद्रा में माना जाता है. उनकी यह योगनिद्रा गहन ध्यान की अवस्था मानी जाती है. इस समय ब्रह्मांड की देखरेख भगवान शिव के हाथों में होने की मान्यता है. चतुर्मास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसी शुभ गतिविधियों से आमतौर पर परहेज किया जाता है. भक्त अक्सर गहन प्रार्थना, ध्यान और तपस्या में संलग्न होते हैं.
चातुर्मास पूजा विधि (Chaturmas Rituals)
चातुर्मास को सभी लोगों के लिए तपस्या, व्रत, पवित्र नदियों में स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. भक्त किसी न किसी प्रकार का व्रत रखने का संकल्प लेते हैं. यह मौन व्रत में रहना या किसी पसंदीदा खाद्य पदार्थ से परहेज करना करना या दिन में केवल एक बार भोजन करना भी हो सकता है.
चातुर्मास 2025 की तिथियां (Chaturmas Date & Times)
वर्ष 2025 में चातुर्मास 6 जुलाई से शुरू होकर 1 नवंबर को समाप्त होगा. यह चार महीने की अवधि है, जो देवशयनी एकादशी से शुरू होकर देवउठनी एकादशी पर समाप्त होती है. चातुर्मास में सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने शामिल हैं.
चातुर्मास के दौरान पड़ने वाले त्योहार (Chaturmas Tyohar)
तिथि | पर्व |
---|---|
06 जुलाई 2025 | देवशयनी एकादशी – चातुर्मास की शुरुआत |
10 जुलाई 2025 (गुरुवार) | गुरु पूर्णिमा |
11 जुलाई 2025 (शुक्रवार) | श्रावण माह की शुरुआत |
27 जुलाई 2025 (रविवार) | हरियाली तीज |
29 जुलाई 2025 (मंगलवार) | नाग पंचमी |
9 अगस्त 2025 (शनिवार) | रक्षा बंधन |
16 अगस्त 2025 (शनिवार) | कृष्ण जन्माष्टमी |
27 अगस्त 2025 (बुधवार) | गणेश चतुर्थी |
22 सितंबर – 2 अक्टूबर 2025 | नवरात्र / दुर्गा पूजा |
20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) | दिवाली |
1 नवंबर 2025 | देवउठनी एकादशी – चातुर्मास का समापन |
किन चीजों का त्याग करना चाहिए
- चातुर्मास के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाता है.
- पालक और पत्तेदार सब्जियां: पहले महीने श्रावण में परहेज किया जाता है.
- दही: दूसरे महीने भाद्रपद में परहेज किया जाता है.
- दूध और दूध से तैयार सामान: तीसरे महीने अश्विन) में परहेज किया जाता है।
- उड़द दाल: चौथे महीने कार्तिक में परहेज किया जाता है।
- अन्य सामान्य प्रतिबंध: पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं.
- इन आहार प्रतिबंधों का उद्देश्य इंद्रिय तृप्ति को कम करना और आध्यात्मिक अभ्यासों पर ध्यान केंद्रित करना है.
किन शुभ कार्यों की चातुर्मास में होती है करने की मनाही (Chaturmas Restrictions)
- शादी और सगाई: इन्हें आमतौर पर चातुर्मास के दौरान टाला जाता है
- भूमि खरीदना या गृह प्रवेश: इन्हें भी इस अवधि के दौरान अशुभ माना जाता है.
- अन्य शुभ संस्कार: मुंडन और जनेऊ संस्कार जैसे अनुष्ठान भी प्रतिबंधित हैं.
चातुर्मास में कैसी दिनचर्या का करें पालन
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें
- दिन की शुरुआत भगवान विष्णु की पूजा करने से करें.
- सात्विक भोजन करें. इस दौरान मांस, मछली, अंडे, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन से बचें.
- इन चार महीनों में उपवास, जप, तप, साधना और योग का विशेष महत्व है.
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और वाणी पर नियंत्रण रखें.
- बिस्तर की बजाय जमीन पर सोने की कोशिश करें.
- प्रतिदिन संध्या आरती करें
- कपड़े, चप्पल, छाता, भोजन, फल आदि दान करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं
- पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं
क्या नहीं करें
- शुभ कार्य नहीं करने के अलावा
- मांस, मदिरा, सुपारी आदि का सेवन वर्जित माना गया है.
- तेल वाली चीजें, दूध, दही, चीनी, मिठाई, अचार, पत्तेदार सब्जियां, मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करें.
- किसी का अपमान नहीं करें, न ही किसी से लड़ाई करें.
- कटु वचन, चोरी, अनैतिक कार्य, झूठ आदि का त्याग करें.
Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1. चातुर्मास में कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज क्यों किया जाता है?
Ans: कुछ खाद्य पदार्थों को “तामसिक” यानी जड़ता और नकारात्मकता को बढ़ावा देने वाला माना जाता है. अन्य खाद्य पदार्थों को “सात्विक” यानी सकारात्मकता को बढ़ावा देने वाला माना जाता है. आयुर्वेद मानता है कि मानसून के मौसम में दही जैसे कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करने से पाचन तंत्र को लाभ होता है. पाचन तंत्र बारिश के महीनों में कमज़ोर हो सकता है.
Q2. क्या चातुर्मास में घर खरीदा जा सकता है?
Ans: वास्तु और ज्योतिष के अनुसार, जिन महीनों में आपको घर नहीं बदलना चाहिए उनमें श्रावण, भाद्रपद, अश्विन कार्तिक या चातुर्मास शामिल हैं. ये हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं. इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.
Q3. क्या चातुर्मास में शादी की जा सकती है?
Ans: चातुर्मास के दौरान विवाह जैसे जीवन चक्र संस्कार करना अशुभ माना जाता है. इसकी बजाय गृहस्थों के लिए आध्यात्मिक प्रवचन सुनें, आत्म-नियंत्रण के लिए ध्यान और व्रत करें.