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Astrology and Vastu Shastra : भारतीय संस्कृति और परंपरा के महत्वपूर्ण हिस्सा हैं ज्योतिष और वास्तु शास्त्र
Astrology and Vastu Shastra : भारतीय संस्कृति और परंपरा के महत्वपूर्ण हिस्सा हैं ज्योतिष और वास्तु शास्त्र
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, November 29, 2024
Updated On: Friday, November 29, 2024
प्राचीन भारतीय ज्योतिष और वास्तु विद्या को आधुनिक समाज से जोड़ने का उद्देश्य न केवल लोगों को जागरूक करना होता है, बल्कि उन्हें यह समझाना भी होता है कि यह विद्या उनके जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, November 29, 2024
हाल में एस्ट्रोलॉजी पर एक दिवसीय एस्ट्रोलॉजी कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि ज्योतिष और वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ज्योतिष और वास्तु शास्त्र न केवल हमारी प्राचीन धरोहर हैं, बल्कि आज के आधुनिक समय में भी ये हमें बेहतर जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं। आयोजनों से इन प्राचीन विद्याओं को वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझने और अपनाने का अवसर मिलता है। इस तरह के आयोजन प्राचीन भारतीय विज्ञानों को आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बनाने की दिशा में एक कदम है। ज्योतिष और उससे संबंधित विद्या को समाज के हर वर्ग तक सरल और प्रभावशाली तरीके से पहुंचाया (Astrology and Vastu Shastra) जाना चाहिए।
सकारात्मक रूप से प्रभाव
ज्योतिषविज्ञानी डॉ. मधु के अनुसार, प्राचीन भारतीय ज्योतिष और वास्तु विद्या को आधुनिक समाज से जोड़ने का उद्देश्य न केवल लोगों को जागरूक करना होता है, बल्कि उन्हें यह समझाना भी होता है कि यह विद्या उनके जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। ऐसे आयोजन में प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी प्रेरित करती है कि भविष्य में इस तरह के और कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें।
ग्रहों, नक्षत्रों, और तारों की स्थिति का अध्ययन है ज्योतिष शास्त्र
ज्योतिष शास्त्र सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों, नक्षत्रों, और तारों की स्थिति और गति का अध्ययन करने और उनसे जुड़ी भविष्यवाणी करने का विज्ञान है। ज्योतिष शास्त्र को भारतीय ज्योतिष, वैदिक ज्योतिष, या हिंदू ज्योतिष भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र वेदों से जुड़ा हुआ छह सहायक विषयों में से एक है। ज्योतिष शास्त्र से जुड़े कुछ प्रमुख ग्रंथ हैं: गार्गीय-ज्योतिष, गर्ग-संहिता, बृहद पाराशर होराशास्त्र, जैमिनीसूत्र, स्फुजिध्वज होरा, बृहत्संहिता, बृहज्जातकम्, दैवज्ञवल्लभ, फलदीपिका, होरासार, सर्वार्थचिन्तामणि, होरारत्न, जातक पारिजात, चमत्कारचिन्तामणि, उत्तरकालामृतम्, ताजिकनीलकण्ठी, प्रश्नमार्ग, दशाध्यायी। ज्योतिष शास्त्र से जुड़े कुछ पाठ्यक्रम हैं: ज्योतिष प्रवेशिका, ज्योतिष प्राज्ञ, ज्योतिष भूषण, भैषज्य ज्योतिष।
वास्तुकला का उद्देश्य
प्राचीन भारत में वास्तु शास्त्र की उत्पत्ति हुई थी। वास्तु शास्त्र शाब्दिक रूप से वास्तुकला का विज्ञान है। वास्तुकला एक पारंपरिक हिंदू प्रणाली है, जो प्राचीन ग्रंथों पर आधारित है। यह डिजाइन, लेआउट, माप, जमीन की तैयारी, अंतरिक्ष व्यवस्था और स्थानिक ज्यामिति के सिद्धांतों का वर्णन करता है। डिजाइन का उद्देश्य वास्तुकला को प्रकृति, संरचना के विभिन्न हिस्सों के सापेक्ष कार्यों और ज्यामितीय पैटर्न, समरूपता और दिशात्मक संरेखण का उपयोग करते हुए कार्य करना होता है। निष्कर्ष में ये बातें सामने आती हैं कि ज्योतिष और वास्तु शास्त्र न केवल हमारी प्राचीन धरोहर हैं, बल्कि आज के आधुनिक समय में भी ये हमें बेहतर जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं ज्योतिष और वास्तु शास्त्र।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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