Margashirsha Amavasya 2024 : कृष्ण अमावस्या पर अपने पूर्वजों को प्रदान करें तर्पण

Margashirsha Amavasya 2024 : कृष्ण अमावस्या पर अपने पूर्वजों को प्रदान करें तर्पण

Authored By: स्मिता

Published On: Saturday, November 30, 2024

Updated On: Saturday, November 30, 2024

margashirsha amavasya 2024
margashirsha amavasya 2024

मार्गशीर्ष अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पूजा, तिल तर्पण और पिंड दान जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से पूर्वजों का सम्मान करने का यह दिन है। माना जाता है कि ये कार्य पूर्वजों की आत्माओं को मुक्ति दिलाने में मदद करती हैं।

Authored By: स्मिता

Updated On: Saturday, November 30, 2024

पूर्णिमा की तरह अमावस्या भी पवित्र और महत्वपूर्ण होता है। खासकर मार्गशीर्ष या अगहन माह में पड़ने वाला अमावस्या। यह कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला अमावस्या स्वयं को ईश्वर से जोड़ने के लिए प्रेरित करता है। यह अपने पूर्वजों को याद करने और उन्हें तर्पण प्रदान करने का भी दिन है। सबसे पहले जानते हैं क्या है कृष्ण अमावस्या और यह दिन (Margashirsha Amavasya 2024) किस तरह महत्वपूर्ण है।

क्या है कृष्ण अमावस्या (Krishna Amavasya 2024)

कृष्ण पक्ष 15 दिनों की अवधि है, जो पूर्णिमा के दिन से शुरू होकर अमावस्या (नवचंद्र) पर समाप्त होती है। कृष्ण पक्ष को अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस अवधि के दौरान चंद्रमा अपना प्रकाश खो देता है। प्रकाश की तरह अंधकार भी आवश्यक है। जीवन के कई कार्य अंधकार में ही संपन्न होते हैं। कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले अमावस्या यानी कृष्ण अमावस्या का भी अपना महत्व है।

मार्गशीर्ष या कृष्ण अमावस्या का महत्व (Margashirsha Amavasya Importance)

मार्गशीर्ष अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पूजा, तिल तर्पण और पिंड दान जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से पूर्वजों का सम्मान करने का यह दिन है। माना जाता है कि ये कार्य पूर्वजों की आत्माओं को मुक्ति दिलाने में मदद करती हैं।

कौन सी अमावस्या सबसे श्रेष्ठ है?

इस अवधि का अंतिम दिन महालया अमावस्या कहलाता है, जिसे वर्ष में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह दिन अंतिम संस्कार और अनुष्ठान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। कई संस्कृतियां इस दिन को नए उद्यम शुरू करने, महत्वपूर्ण कार्य करने या सकारात्मक विचार से खुद को भरने के लिए बढ़िया मानती हैं। अमावस्या से एक दिन पहले, जिसे चतुर्दशी या चंद्र महीने का 14वां दिन कहा जाता है, तैयारी और आत्मनिरीक्षण का समय माना जाता है।

अमावस्या पर क्या न करें (What not to do in Amavasya) ?

ज्योतिष और धर्म शास्त्र के ज्ञाता डॉ. अनिल शास्त्री बताते हैं, ‘अमावस्या पर मांस खाने, पूजा का सामान खरीदने, अनाज और आटा खरीदने, विवाह समारोह आयोजित करने और अन्य शुभ अनुष्ठानों में भाग लेने से बचन चाहिए। अमावस्या के दिन बड़े लेन-देन करने और नए उद्यम शुरू करने की भी सलाह नहीं दी जाती है। यदि आवश्यक हो, तो ये सारे कार्य किए जा सकते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भाद्रपद मास के अमावस्या के दिन ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यदि ईश्वर ने ही धरती पर अवतार लेने के लिए यह दिन चुना, तो इसका मतलब है कि यह दिन श्रेष्ठ है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या कहते हैं।

भाद्रपद अमावस्या (Bhadrapad Amavasya)

भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। साथ ही भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तो और भी महत्व रखती है। यह तिथि पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। भाद्रपद अमावस्या को ‘कुशग्रहणी अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है।

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।

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