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Kalki Jayanti 2025 : कब है कल्कि जयंती, जानें महत्ता और पुराणों में उल्लेख
Kalki Jayanti 2025 : कब है कल्कि जयंती, जानें महत्ता और पुराणों में उल्लेख
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, July 23, 2025
Last Updated On: Wednesday, July 23, 2025
कल्कि को भगवान विष्णु का अंतिम अवतार माना गया है. मान्यता के अनुसार, कल्कि का जन्म श्रावण मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी को होगा. इसलिए इस दिन को कल्कि जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह दिन बुधवार, 30 जुलाई 2025 को पड़ रहा है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, July 23, 2025
Kalki Jayanti 2025: मान्यता है कि दशावतार श्रीविष्णु का अंतिम अवतार कल्कि के रूप में होगा. यह दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी को नियत किया गया है. इस दिन को जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, कल्कि का जन्म कलियुग के अंत में बुराइयों को मिटाने, असुरों का वध करने और धर्म की पुनर्स्थापना (Kalki Jayanti 2025) करने के लिए जन्म होगा.
कब है कल्कि जयंती (Kalki Jayanti 2025)
- दिन – श्रावण मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी
- तिथि – बुधवार, 30 जुलाई 2025
सत्ययुग की शुरुआत (Satya Yug)
इससे समय का पहिया सत्ययुग की ओर मुड़ जाएगा. कल्कि का जन्म समारोह पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है. जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह चंद्रमा के बढ़ते चरण का बारहवां दिन है.
क्या है महत्व (Kalki Jayanti Significance)
कल्कि पुराण में कहा गया है कि कल्कि का जन्म शम्बाला गांव में एक ब्राह्मण परिवार में होगा. उनके माता-पिता का नाम विष्णुयशा और सुमति होगा. यह घटना कलियुग के अंत के निकट शुरू होगी. वर्णन मिलता है कि जब कल्कि बड़े होकर एक प्रशिक्षित योद्धा बनेंगे, तो वे एक धधकती तलवार लिए देवदत्त नामक दिव्य श्वेत घोड़े पर सवार होंगे. उनके साथ एक बोलने वाला तोता, शुक होगा, जो भूत, वर्तमान और भविष्य सब कुछ जानता होगा. इसके बाद वे दुष्ट राज्यों और असुरों से लड़ने के लिए दुनिया भर में जायेंगे. कल्कि के पास प्राणियों को नियंत्रित करने और उन्हें अधर्म करने से रोकने के लिए योगी जैसी शक्तियां हैं. इसके बाद वे धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं और अंत में अपने राज्य और वैकुंठ लौट जाते हैं.
त्योहार के दिन क्या करते हैं भक्त (Kalki Jayanti)
त्योहार के दिन भक्त सुबह जल्दी उठते हैं. सूर्योदय से पहले वे स्नान करते हैं. पूजा-उपासना बीजमंत्र के साथ शुरू होती है. मंत्रोच्चार के बाद कल्कि को आसन अर्पित किया जाता है. इसके बाद मूर्ति का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है. पुष्प, दीप और धूप अर्पित की जाती है.
किस तरह होती है पूजा (Kalki Jayanti Puja 2025)
कल्कि की मूर्ति की पूजा दो रूपों में की जाती है. पहले रूप में वे तलवार लिए घोड़े पर सवार होते हैं. कभी-कभी वे दुष्टों का संहार करते हुए दिखाई देते हैं. यह रूप उत्तर भारत में आम है. दूसरे रूप में उन्हें घोड़े के मुख के साथ सीधा खड़ा दिखाया गया है, जो दक्षिण भारत में आम है.
इस अवसर पर हरि स्तोत्र, विष्णु सहस्रनाम, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और अन्य मंत्रों का 108 बार पाठ किया जाता है. इसके बाद उपासक दान करते हैं.
कैसा है कल्कि पुराण (Kalki Puran)
कल्कि पुराण विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के बारे में वर्णन करता है. यह 18 महा-पुराणों में से एक नहीं है. इसे उपपुराण या द्वितीयक पुराण माना जाता है.
विकीपीडिया के अनुसार, यह संस्कृत ग्रंथ संभवतः बंगाल में उस काल में रचा गया था जब इस क्षेत्र पर बंगाल सल्तनत या मुगल साम्राज्य का शासन था. इतिहासकार वेंडी डोनिगर इसे 1500 ईस्वी और 1700 ईस्वी के बीच का मानते हैं.
दशावतार श्रीविष्णु (Dashavatara Shree Vishnu)
दशावतार विष्णु के दस प्राथमिक अवतार हैं. माना जाता है कि विष्णु ब्रह्मांडीय व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने के लिए अवतार लिए थे. दशावतार शब्द दस और अवतार से बना है. शामिल अवतारों की सूची विभिन्न संप्रदायों और क्षेत्रों में भिन्न है, विशेष रूप से बलराम (कृष्ण के भाई) या बुद्ध को शामिल करने के संबंध में. जिन परंपराओं में कृष्ण को छोड़ दिया जाता है, उनमें वे अक्सर सभी अवतारों के स्रोत के रूप में विष्णु का स्थान लेते हैं. कुछ परंपराओं में विठोबाया जगन्नाथ देव को कृष्ण या बुद्ध के स्थान पर अंतिम से पहले स्थान पर रखा गया है. एक को छोड़कर सभी अवतार प्रकट हुए हैं. कल्कि, जो कलियुग के अंत में प्रकट होंगे.