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Kamika Ekadashi 2025: आध्यात्मिक विकास और आत्मिक शुद्धि का दिन कामिका एकादशी
Kamika Ekadashi 2025: आध्यात्मिक विकास और आत्मिक शुद्धि का दिन कामिका एकादशी
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, June 16, 2025
Last Updated On: Monday, June 16, 2025
Kamika Ekadashi 2025: आध्यात्मिक विकास, आत्मिक शुद्धि और सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए श्रीविष्णु से आशीर्वाद मांगने का दिन है कामिका एकादशी.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, June 16, 2025
कामिका एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण एकादशी है. यह सावन महीने के दौरान पड़ता है. अंग्रेजी में यह महीना जुलाई-अगस्त होता है. इस दिन आध्यात्मिक विकास, आत्मिक शुद्धि, समृद्धि तथा सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए श्रीविष्णु से आशीर्वाद (Kamika Ekadashi 2025) मांगा जाता है.
कामिका एकादशी का महत्व (Kamika Ekadashi Significance)
माना जाता है कि कामिका एकादशी पर उपवास करने से मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है. इससे सकारात्मक कर्म और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है. भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं. भक्तगण श्रीविष्णु का प्यार, स्नेह और मार्गदर्शन चाहते हैं. माना जाता है कि यह एकादशी दुखों का शमन करती है और सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाती है.
कामिका एकादशी व्रत 2025 (Kamika Ekadashi 2025 Vrat)
तिथि | विवरण |
---|---|
20 जुलाई 2025 | एकादशी तिथि प्रारंभ – दोपहर 12:12 बजे से |
21 जुलाई 2025 | एकादशी तिथि समाप्त – सुबह 09:38 बजे |
21 जुलाई 2025 (सोमवार) | उदया तिथि के कारण कामिका एकादशी |
22 जुलाई 2025 | पारण का समय – प्रातः 05:37 बजे से 07:05 बजे तक |
22 जुलाई 2025 | द्वादशी समाप्ति क्षण – प्रातः 07:05 बजे |
क्या है कामिका एकादशी की कथा (Kamika Ekadashi Katha)
कथा है कि एक बार श्रीविष्णु के भक्त राजा पुंडरीक जुए के आदी हो गए थे. जुए में उन्होंने और अपना राज्य और धन खो दिया. निराश होकर उन्होंने अपने गुरु से मार्गदर्शन मांगा. गुरु ने उन्हें कामिका एकादशी व्रत का पालन करने का निर्देश दिया. व्रत करने से राजा की लत छूट गई और उन्हें अपना खोया हुआ राज्य और धन भी मिल गया.
कामिका एकादशी 2025 पारण (Kamika Ekadashi 2025 Paran)
पारण का अर्थ है व्रत तोड़ना. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद एकादशी पारण किया जाता है. पारण द्वादशी तिथि के भीतर करना जरूरी है जब तक कि द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त न हो जाए. द्वादशी के भीतर पारण न करना धार्मिक कारणों से असंगत है.
क्या है हरि वासर (Hari Vasar)
व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए. व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए. हरि वासर द्वादशी तिथि का पहला एक चौथाई भाग होता है. व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है. व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए.
क्या करें जब एकादशी दो दिनों का हो (Ekadashi is for two days)
कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है. जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन व्रत करना चाहिए. जब-जब स्मार्त के लिए दूजी एकादशी का व्रत किया जाता है तब-तब वह वैष्णव एकादशी भी होती है.