Lifestyle News
Khatu Shyam Lakhi Mela 2025 : प्रसिद्ध खाटू श्याम फाल्गुन लक्खी मेला में होगा खाटू जी का विशेष श्रृंगार
Khatu Shyam Lakhi Mela 2025 : प्रसिद्ध खाटू श्याम फाल्गुन लक्खी मेला में होगा खाटू जी का विशेष श्रृंगार
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, February 28, 2025
Updated On: Friday, February 28, 2025
Khatu Shyam Lakhi Mela 2025 : राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव स्थित खाटूश्याम बाबा के मंदिर में प्रसिद्ध लक्खी मेला (28 फरवरी- 11 मार्च) शुरू हो चुका है. 12 दिन तक चलने वाले इस मेले का मुख्य आकर्षण बाबा की विशेष सेवा-पूजा और श्रृंगार होता है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, February 28, 2025
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में है. यह भगवान कृष्ण और बर्बरीक की पूजा के लिए एक तीर्थ स्थल है, जिन्हें श्याम बाबा के रूप में पूजा जाता है. खाटू श्याम मंदिर में मनाए जाने वाले त्योहारों में श्याम बाबा का फाल्गुन लक्खी मेला यानी फागोत्सव मुख्य त्योहार है. यह मेला (Khatu Shyam Lakhi Mela 2025) राजस्थान के सबसे बड़े और मुख्य त्योहारों में से एक है.
कब मनाया जाता है फाल्गुन लक्खी मेला (Falgun Lakhi Mela 2025)
माना जाता है कि फाल्गुन एकादशी को बाबा खाटू श्याम श्याम कुंड के स्थान पर प्रकट हुए थे. मान्यता यह भी है कि द्वादशी तिथि को उन्होंने अपना सिर भगवान कृष्ण को दान कर दिया था. इसलिए यह मेला फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होता है और द्वादशी (बारस) तक चलता है. एकादशी मेले का मुख्य दिन है. आमतौर पर यह मेला दस दिनों तक चलता है. इस वर्ष यह मेला 28 फरवरी से 11 मार्च तक चलेगा.
क्या है खाटू का असली नाम (Khatu Shyam Real Name)
खाटू श्याम को भगवान कृष्ण का प्रिय रूप माना जाता है. खाटू श्याम रूप भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखते हैं, खासकर उत्तरी भारत में. उन्हें करुणा, त्याग और चमत्कारी आशीर्वाद के देवता के रूप में पूजा जाता है. बर्बरीक उर्फ खाटू श्यामजी या श्याम बाबा, पांडव भाइयों में से दूसरे बहादुर राजकुमार भीम के पोते थे. वे घटोत्कच के पुत्र थे, जिसे भीम ने अपनी एक पत्नी हिडिम्बा से जन्म दिया था. बचपन में भी बर्बरीक एक बहुत साहसी योद्धा था.
क्या है खाटू श्याम की कथा (Khatu Shyam Story)
भगवान कृष्ण और बर्बरीक की पूजा करने के लिए यह एक तीर्थ स्थल है, जिन्हें अक्सर श्याम बाबा के रूप में पूजा जाता है. भक्तों का मानना है कि मंदिर में बर्बरीक या खाटू-श्याम का सिर है, जो एक महान योद्धा थे. उन्होंने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान कृष्ण के अनुरोध पर अपना सिर बलिदान कर दिया था.
कैसे मनाया जाता है खाटू श्याम फाल्गुन मेला (Khatu Shyam Phalgun Mela 2025)
बाबा श्याम के फाल्गुन मेले को निशान यात्रा या फाल्गुन महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. फाल्गुन मेले के दौरान विशेष निशान यात्रा का आयोजन किया जाता है. यह पवित्र यात्रा खाटू धाम से 18 किलोमीटर दूर रींगस से शुरू होती है. इस यात्रा में श्याम जी के भक्त हाथों में निशान (ध्वजा) लेकर पैदल ही खाटू श्याम मंदिर जाते हैं. मेले के समय देश भर से बाबा श्याम के भक्त 10 दिनों के लिए खाटू आते हैं. वे बाबा श्याम के निशान के साथ नाचते-गाते हुए खाटूश्यामजी के दर्शन करने आते हैं.
खीर और चूरमा का विशेष प्रसाद (Kheer & Churma Prasad)
भक्त मंदिर में बाबा के भक्तों की सेवा करते हैं. भक्तों के खाने-पीने के लिए निशुल्क भंडारे चलाए जाते हैं. इसके साथ ही वे झाड़ू लगाकर मंदिर की सफाई भी करते हैं. मेले में विशेष भजन संध्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक आते हैं. वे अपने भजनों से भक्तों का आध्यात्मिक मनोरंजन करते हैं. बाबा के भक्त भक्ति में खो जाते हैं और मंत्रमुग्ध होकर नाचने लगते हैं. कुछ भक्त गुलाल से खेलते हैं। मेले के आखिरी दिन बाबा के लिए खीर और चूरमा का विशेष प्रसाद (Kheer & Churma Prasad) बनाया जाता है, जिसे बाद में सभी भक्तों को दिया जाता है.
यह भी पढ़ें :- Phalguna Amavasya 2025 : दर्श अमावस्या पर करें पितृ तर्पण और दान