Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2025: श्रीगणेश सभी भक्तों को करते हैं स्वास्थ्य समस्याओं से दूर

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2025: श्रीगणेश सभी भक्तों को करते हैं स्वास्थ्य समस्याओं से दूर

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, June 10, 2025

Last Updated On: Tuesday, June 10, 2025

2025 की कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी पर श्रीगणेश सभी भक्तों को स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्त करते हैं, जानें व्रत और पूजा का महत्व.
2025 की कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी पर श्रीगणेश सभी भक्तों को स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्त करते हैं, जानें व्रत और पूजा का महत्व.

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2025: पौराणिक कथा के अनुसार, कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान शिव ने भगवान गणेश को सर्वोच्च देवता घोषित किया था. कई भक्त सभी स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी के दिन उपवास रखते हैं. इस साल यह 14 जून को है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, June 10, 2025

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2025: कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित त्योहार है. यह आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है. इस साल यह शनिवार, 14 जून 2025 को पड़ रहा है. इस अवसर पर भक्तगण उपवास रखते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. बाधाओं से मुक्त और समृद्धि से भरे जीवन के लिए भक्त भगवान का आशीर्वाद मांगते हैं.

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी तिथि और समय (Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2025 Date & Time)

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी शनिवार, 14 जून 2025 को है

  • संकष्टी के दिन चंद्रोदय – रात्रि 10:07 बजे
  • चतुर्थी तिथि आरंभ – 14 जून 2025 को दोपहर 03:46 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त – 15 जून 2025 को अपराह्न 03:51 बजे
  • अनुष्ठान: भक्त व्रत रखते हैं, भगवान गणेश से प्रार्थना करते हैं, और उन्हें मोदक और लड्डू जैसी उनकी पसंदीदा मिठाइयां चढ़ाते हैं.
  • चंद्रोदय: चंद्रोदय चतुर्थी के दिन शाम को होता है.

क्या है पूजा विधि (Krishnapingala Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

पूजा आमतौर पर सुबह के स्नान के साथ शुरू होती है. इसके बाद पूजा-स्थल और विग्रह की साफ़-सफाई होती है. फिर देवता को प्रसाद चढाया जाता है. मंत्र और जाप किया जाता है. आरती के साथ पूजा का समापन होता है. चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ा जाता है.

कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Krishnapingala Sankashti Chaturthi Significance)

उत्तर भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह आषाढ़ महीने में पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी पर अपने सभी भक्तों के लिए पृथ्वी पर अपनी उपस्थिति प्रदान करते हैं. प्रत्येक महीने, गणेश को एक अलग नाम और पीठ के साथ पूजा जाता है. भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के स्वामी हैं. वे अपने भक्तों को स्वस्थ कर उन्हें विवेकपूर्ण बनाते हैं, ताकि वे जीवन में कोई गलत निर्णय नहीं लें. उनपर सकारात्मक प्रभाव पड़े. इसलिए भगवान गणेश की इस दिन विशिष्ट पूजा होती है.

कृष्णपिंगला संकष्टी व्रत कथा (Krishnapingala Sankashti Chaturthi Vrat Katha)

संकष्टी चतुर्थी पर सुनाई जाने वाली कथा के अनुसार, यह भगवान गणेश को समर्पित त्योहार है. यह भक्ति, कठिनाई और प्रार्थना की शक्ति की कथा है. कथा के अनुसार, भास्कर नाम का एक व्यक्ति कठिन समय का सामना कर रहा था. वह एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था. उसका परिवार निराशा में था, और वह खुद उम्मीद खो चुका था. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में, जब संकष्टी चतुर्थी पड़ती है, भास्कर की पत्नी ने उन्हें इस दिन उपवास रखने और भगवान गणेश की पूजा करने का सुझाव दिया. यह उपवास फलीभूत हुआ और भास्कर स्वस्थ हो गया. तब से लेकर आज तक यह व्रत और उपवास किया जा रहा.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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