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Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर से है प्रभु श्री राम का खास नाता
Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर से है प्रभु श्री राम का खास नाता
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, December 23, 2024
Updated On: Monday, December 23, 2024
Prayagraj Mahakumbh 2025 : प्रभु श्रीराम का भी महाकुंभ स्थल प्रयागराज से अटूट संबंध है। प्रयागराज स्थित श्रृंगवेरपुर प्रभु श्रीराम और उनके सखा निषादराज का यह मिलन स्थल है। जानते हैं श्रृंगवेरपुर के आध्यात्मिक महत्व के बारे में।
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, December 23, 2024
श्रृंगीऋषि की तपोस्थली होने के कारण यह क्षेत्र श्रृंगवेरपुर कहलाता है। प्रभु श्रीराम और उनके सखा निषादराज का यहीं मिलन स्थल है। इस स्थल पर भव्य कॉरिडोर और निषादराज पार्क का निर्माण हो चुका है। प्रयागराज सनातन संस्कृति की प्राचीनतम नगरियों में से एक है। यहां की महत्ता और प्राचीनता का विवरण हमें ऋगवेद से लेकर पुराणों और रामायण, महाभारत जैसे महाकाव्यों में मिलता है। सनातन मतावलंबियों के आराध्य प्रभु श्रीराम के जीवन और वनवास प्रसंग से प्रयागराज (Prayagraj Mahakumbh 2025 ) का विशेष सम्बंध है।
अयोध्या से निकलकर प्रभु श्रीराम का प्रयागराज के श्रृंगवेरपुरधाम आगमन (Shringaverpur Dham)
रामायण में वर्णन मिलता है कि वनवास के लिए अयोध्या से निकल कर प्रभु श्रीराम प्रयागराज के श्रृंगवेरपुरधाम पहुंचे थे। वहां उन्होंने रात्रि निवास कर सखा निषादराज की मदद से गंगा नदी पार की थी। वहां से भरद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचे थे। श्रृंगी ऋषि की तपस्थली होने कारण ही यह क्षेत्र श्रृंगवेरपुर कहलाता है। महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) में श्रृंगवेरपुर में भव्य कॉरिडोर, विशाल प्रतिमा और निषादराज पार्क का निर्माण हुआ है।
श्रृंगी ऋषि और शांता मां का मंदिर (Shri Shringi Rishi and Mata Shanta Temple)
श्रृंगवेरपुर धाम और प्रभु श्रीराम का संबंध उनके जन्म के भी पहले का है। रामायण में वर्णन आता है कि पुत्रकामेष्टी यज्ञ के लिए राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि के कहने पर श्रृंगी ऋषि को अयोध्या बुलाया था। श्रृंगी ऋषि के यज्ञ फल से ही राजा दशरथ को राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। ऋषि विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी ऋषि की तपस्थली होने के कारण गंगा तट का यह क्षेत्र श्रृंगवेरपुर कहलाता है। रामायण की कथा में वर्णित है कि प्रभु श्रीराम की बहन शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि के साथ ही हुआ था। आज भी श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि और शांता मां का मंदिर है, जहां श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना और पूजन करते हैं।
रामचौरा के नाम से जाना जाता है केवट-राम का मिलन स्थल
प्रभु श्रीराम और उनके सखा निषादराज का मिलन श्रृंगवेरपुर धाम में हुआ था। बाल्मीकि रामायण और तुलसी कृत रामचरितमानस में वर्णन आता है कि जब प्रभु श्रीराम राजा दशरथ की आज्ञा का पालन कर वनवास के लिए अयोध्या से निकले थे तो सबसे पहले वो श्रृंगवेरपुर पहुंचे थे। यहां उनका मिलन सखा निषादराज से हुआ था, जिनके कहने पर उन्होंने यहां एक रात्रि निवास भी किया था। केवटों का वह गांव आज भी रामचौरा के नाम से जाना जाता है। गंगाजी के तट के पास राम शयन आश्रम भी है। मान्यता है प्रभु श्रीराम ने माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ यहां रात्रि निवास किया था। श्रृंगवेरपुर के घाट से ही निषादराज ने प्रभु श्रीराम को अपनी नौका में बैठा कर गंगा पार करवाई थी और भरद्वाज मुनि के आश्रम लेकर गये थे।
यहां प्रभु श्रीराम और उनके अनन्य मित्र निषादराज के मिलन की 52 फिट की प्रतिमा और पार्क का निर्माण कराया गया है। इसके साथ ही श्रृंगवेरपुर धाम में गंगाजी के तट पर संध्या और रामचौरा घाट तथा निषादराज पार्क में प्रभु श्रीराम के आगमन के दृश्यों के म्यूरल बनाये गये हैं।
( हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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