महाकुंभ मेला 2025: प्रयागराज महाकुंभ जा रहे हैं तो यहां जाना न भूलें
महाकुंभ मेला 2025: प्रयागराज महाकुंभ जा रहे हैं तो यहां जाना न भूलें
Authored By: संतोष आनंद
Published On: Friday, December 6, 2024
Updated On: Saturday, April 26, 2025
महाकुंभ मेला का मुख्य आकर्षण त्रिवेणी संगम है, जहां पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, मगर प्रयागराज में कुछ ऐसे स्थान भी हैं जिन्हें हर श्रद्धालु को देखना चाहिए।
Authored By: संतोष आनंद
Updated On: Saturday, April 26, 2025
महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा है। यह न केवल एक धार्मिक आयोजन होगा, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अनुभव भी प्रदान करेगा। इस मेले में लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए शामिल होंगे। हालांकि कुंभ मेला का मुख्य आकर्षण त्रिवेणी संगम है, जहां पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, मगर प्रयागराज में कुछ ऐसे स्थान भी हैं जिन्हें हर श्रद्धालु को देखना चाहिए। यहां हम प्रयागराज के मुख्य आकर्षणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जो कुंभ मेला में आने वाले लोगों के लिए खास हैं।
त्रिवेणी संगम
त्रिवेणी संगम वह पवित्र स्थान है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इसे भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। कुंभ मेला के दौरान लाखों लोग यहां पवित्र स्नान के लिए आते हैं। शाही स्नान, जो मेले का मुख्य आकर्षण होता है, वह यहीं होता है। इस दौरान यहां के दृश्य अपने आप में भव्य और श्रद्धापूर्ण होता है, जब लाखों लोग नदी में डुबकी लगाते हैं। संगम की रमणीयता और यहां का आध्यात्मिक वातावरण इसे हर भक्त के लिए अनमोल अनुभव बनाता है।
मनकामेश्वर मंदिर
त्रिवेणी संगम के पास स्थित मनकामेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है और यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को लेकर आते हैं। मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है जहां भक्त शिव के दर्शन के लिए आते हैं। कुंभ मेला के दौरान इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है और यह स्थान श्रद्धालुओं से भर जाता है। यह मंदिर प्रयागराज के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
अलोपी देवी मंदिर
अलोपी देवी मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है और यह देवी अलोपी को समर्पित है, जिन्हें शक्ति का रूप माना जाता है। यहां कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि देवी का रूप छत्र (छतरी) के रूप में होता है। यह मंदिर उन लोगों के लिए बहुत खास है जो संतान सुख और समृद्धि के लिए पूजा करते हैं। यह एक ऐसा स्थान है जहां भक्त अपने जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। कुंभ मेला के समय यहां आने वाले भक्तों की संख्या बहुत अधिक होती है।
हनुमान मंदिर
प्रयागराज का हनुमान मंदिर भारत के सबसे पुराने हनुमान मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और यहां स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को स्वयंभू माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास भी बहुत महत्वपूर्ण है और कुंभ मेला के समय यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। यह स्थान भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक शक्ति केंद्र बन जाता है।
प्रयागराज पंचकोशी परिक्रमा
प्रयागराज पंचकोशी परिक्रमा एक ऐतिहासिक धार्मिक परंपरा है, जिसमें भक्त 50 किलोमीटर की यात्रा करते हैं और शहर के प्रमुख मंदिरों और धार्मिक स्थलों के आसपास परिक्रमा करते हैं। यह यात्रा उन भक्तों के लिए है जो अपनी धार्मिक आस्थाओं को और गहरा करना चाहते हैं। इस यात्रा के दौरान प्रमुख स्थल जैसे द्वादश माधव मंदिर आते हैं। माना जाता है कि इन माधव मंदिरों के दर्शन करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अशोक स्तंभ
अशोक स्तंभ इलाहाबाद किले में स्थित है और यह मौर्य काल के एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्तंभ सम्राट अशोक के शिलालेख से सज्जित है, जो भारतीय इतिहास की धरोहर है। यह स्थल उन लोगों के लिए है जो भारतीय इतिहास और संस्कृति में रुचि रखते हैं। हालांकि यह स्थल कुंभ मेला से सीधे जुड़ा नहीं है, लेकिन यहां आने से शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गहराई का अहसास होता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय भवन
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का भवन वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है, जिसे 19वीं सदी में नियो-गॉथिक शैली में बनाया गया था। यह भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है और इस भवन का ऐतिहासिक महत्व है। पर्यटक इस भवन की सुंदरता और इसे बनाने के अद्वितीय तरीके को देख सकते हैं, जो प्रयागराज के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
महाकुंभ मेला 2025 में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा, जो मेले को एक अलग ही रंग में रंग देंगे। इन कार्यक्रमों में बॉलीवुड के मशहूर कलाकार भी शामिल होते हैं। इसके अलावा, नृत्य, संगीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए जाएंगे,भारतीय संस्कृति की विविधता और गहराई को दर्शाएंगे। यह एक बेहतरीन मौका होगा दर्शकों को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होने का।
गंगा आरती
प्रत्येक शाम गंगा नदी के किनारे गंगा आरती का आयोजन किया जाता है। यह आरती श्रद्धालुओं के लिए बेहद खूबसूरत और आत्मिक अनुभव होता है। जब दीपक जलाए जाते हैं और मंत्रोच्चार किया जाता है, तो यह दृश्य बहुत ही मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। गंगा आरती का आयोजन मेले के दौरान एक महत्वपूर्ण और अविस्मरणीय अनुभव होता है जो भक्तों की श्रद्धा को और भी बढ़ाता है।
स्वराज भवन
स्वराज भवन वह ऐतिहासिक स्थल है, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का पैतृक घर था। यह प्रयागराज के एक प्रमुख स्थल के रूप में प्रसिद्ध है और भारतीय राजनीति के इतिहास को जानने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। यहां आने से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और नेहरू के जीवन के बारे में जानकारी मिलती है।
प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 केवल आध्यात्मिक अनुभव ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण होगा। इस अवसर पर श्रद्धालु और पर्यटक न केवल त्रिवेणी संगम पर स्नान करेंगे, बल्कि शहर के अन्य धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का भी आनंद ले सकेंगे। यह एक ऐसा अनुभव होगा जिसे लोग जीवनभर याद रखेंगे।
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