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Mithuna Sankranti 2025: क्या है मिथुन संक्रांति का महत्व और दिलचस्प रस्म की मान्यता
Mithuna Sankranti 2025: क्या है मिथुन संक्रांति का महत्व और दिलचस्प रस्म की मान्यता
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, May 26, 2025
Last Updated On: Monday, May 26, 2025
Mithuna Sankranti 2025 : सूर्य के वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करने के कारण मिथुन संक्रांति या राजा पर्व देश भर में मनाया जाता है. इस वर्ष यह 15 जून को मनाया जा रहा है. इस दिन लड़कियां राम डोली, दांडी डोली और चकरी डोली जैसे कई तरह के झूले पर झूलने और नृत्य-गायन का आनंद लेती हैं. जानते हैं मिथुन संक्रांति पर इस दिलचस्प आयोजन के पीछे क्या है मान्यता.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, May 26, 2025
Mithuna Sankranti 2025: “संक्रांति” का अर्थ है गति या परिवर्तन (Transition). यह विशेष रूप से सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को बताता है. यह हिंदू कैलेंडर में एक नए महीने की शुरुआत का भी प्रतीक है. इसलिए संक्रांति के अवसर पर उत्सव और धार्मिक अनुष्ठान (Rituals) आयोजित किए जाते हैं. मिथुन संक्रांति भी महत्वपूर्ण तिथि है. यह न सिर्फ व्यक्ति को अध्यात्म की तरफ मोड़ता है, बल्कि बौद्धिक विकास में भी मददगार है. जानते हैं मिथुन संक्रांति (Mithuna Sankranti 2025) के अवसर पर लड़कियों के झूला झूलने की मान्यता का अर्थ…
क्या है मिथुन संक्रांति (Mithuna Sankranti)
मिथुन संक्रांति को पूर्वी भारत में ‘अशर्’, दक्षिणी भारत में ‘आनी’ और केरल में ‘मिथुनम ओंथ’ के नाम से जाना जाता है. यह वह दिन है जब सूर्य वृषभ (Taurus) राशि से मिथुन (Gemini) राशि में प्रवेश करता है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, सूर्य के इन परिवर्तनों को महत्वपूर्ण माना जाता है. इन दिनों स्वयं को पूजा-अनुष्ठान और पूजा से जोड़ना चाहिए. इस दिन को ओडिशा में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. यहां इस त्योहार को ‘राजा पर्व’ के नाम से जाना जाता है.
मिथुन संक्रांति 2025 तिथि और समय (Mithuna Sankranti 2025 Date & Time)
- द्रिक पंचांग के अनुसार, मिथुन संक्रांति 2025 रविवार, 15 जून, 2025 को है.
- मिथुन संक्रांति पुण्य काल – 06:53 AM से 02:19 PM
- अवधि – 07 घंटे 27 मिनट
- मिथुन संक्रांति महा पुण्य काल – 06:53 AM से 09:12 AM
- अवधि – 02 घंटे 20 मिनट
- मिथुन संक्रांति क्षण – 06:53 AM
मिथुन संक्रांति पर किए जाने वाले अनुष्ठान (Mithuna Sankranti 2025 Rituals)
इस दिन भगवान विष्णु और देवी पृथ्वी की पूजा की जाती है. ओडिशा में इस त्योहार को विशेष रूप से मनाया जाता है. इस अवसर पर लोग पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं. किसी ख़ास पत्थर पर धरती माता का चित्रण कर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. पत्थर को फूलों और सिंदूर से सजाया जाता है. इस विशेष अनुष्ठान के पीछे मान्यता यह है कि जैसे धरती बारिश के लिए तैयार होती है, वैसे ही सृष्टि के कुशल संचालन के लिए लड़कियों का विशिष्ट तरीके से लालन-पालन और उन्हें श्रृंगार का आनंद लेने के लिए तैयार करना चाहिए. इया अवसर पर ईश्वर का उन्हें विशेष आशीर्वाद मिलता है.
क्या है संक्रांति त्योहार की महत्ता (Mithuna Sankranti Significance)
अन्य सभी संक्रांति त्योहारों की तरह इस दिन भी अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहिए. इस दिन नदी के पवित्र जल से स्नान करना चाहिए और पूर्वजों को पवित्र जल अर्पित भी करना चाहिए. यह चार दिनों का त्योहार है, जिसमें भक्त बारिश का स्वागत करते हैं. खुशी और उल्लास के साथ जश्न मनाते हैं. ओडिशा में भगवान जगन्नाथ का मंदिर सजाया जाता है. भक्त बड़ी संख्या में भगवान और उनकी पत्नी भूदेवी (देवी पृथ्वी) की पूजा करने के लिए मंदिर (Jagannath Temple) आते हैं. सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए मिथुन संक्रांति पर उपवास भी रखा जाता है.
विशिष्ट आयोजन (Mithuna Sankranti Interesting Events)
राजा पर्व या मिथुन संक्रांति के अवसर पर एक दिलचस्प आयोजन होता है. इस अवसर पर बरगद के पेड़ पर झूला डाला जाता है. लड़कियां झूला झूलने और नृत्य-गायन का भी आनंद लेती हैं। राम डोली, दांडी डोली और चकरी डोली जैसे कई तरह के झूले प्रयोग में लाए जाते हैं. मान्यता है कि मिथुन संक्रांति जरूरतमंद लोगों को वस्त्र दान करने के लिए बढ़िया माना जाता है. पुरुष और स्त्रियां बारिश का स्वागत करने के लिए नंगे पैर धरती पर चलते हैं और खूब नाचते-गाते हैं.
मिथुन संक्रांति पर खाने योग्य खाद्य पदार्थ (Eatables for Mithuna Sankranti)
ओडिशा में विशेष रूप से मिथुन संक्रांति पर पोडा-पीठा बनाया जाता है. यह एक स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे गुड़, नारियल, कपूर, मक्खन और चावल के आटे से बनाया जाता है. इस दिन अनुष्ठान के अनुसार चावल के दाने खाने से बचना चाहिए.
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