Pitru Paksha Do’s & Don’ts: क्या हैं श्राद्ध के कर्मकांड, क्या करें क्या नहीं करें
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, August 14, 2025
Last Updated On: Thursday, August 14, 2025
Pitru Paksha Do’s & Don’ts: पितृ पक्ष में श्राद्ध के कर्मकांड कुश घास से बनी अंगूठी पहनकर की जाती है. क्या है इसके पीछे वजह. साथ ही, जानते हैं पितृ पक्ष में क्या करें और क्या नहीं करें.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Thursday, August 14, 2025
पितृ पक्ष 16 दिनों की अवधि है, जो पूर्वजों की पूजा और अनुष्ठान को समर्पित होती है. श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा को तृप्त करने के लिए दान दिया जाता है. इस पक्ष के दौरान कुछ कार्य किए जाते हैं और कुछ कार्य नहीं किए जाते हैं, जानते हैं कौन (Pitru Paksha Do’s & Don’ts) हैं वे.
क्या है पितृ पक्ष की मान्यता (Pitru Paksha Myths)
मान्यता है कि इन 16 दिनों की अवधि के दौरान पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. मान्यता है कि इन अनुष्ठानों से पूर्वजों को उनके नियत लोकों में जाने में मदद मिलती है.
क्या हैं श्राद्ध के कर्मकांड (Shradh Rituals)
ज्योतिष विशेषज्ञ पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार,
श्राद्ध कर्मकांड में पुरुष सदस्य आमतौर पर परिवार का सबसे बड़ा पुत्र शामिल होता है. स्नान करने के बाद उसे कुश घास से बनी अंगूठी पहननी होती है. कुश घास परोपकार का प्रतीक है. इसका उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है. माना जाता है कि ‘कुशल बुद्धि’ शब्द कुश से लिया गया है. पिंडदान के लिए चावल, तिल और जौ के आटे से बने गोलों का अर्पण करने का अनुष्ठान किया जाता है. इसके बाद भगवान विष्णु का आशीर्वाद एक अन्य पवित्र घास दुर्वा घास का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है.
दुर्वा घास की क्या है मान्यता (Durva Significance)
दुर्वा अपने जीवन की हर बाधा दूर कर अपनी निर्बाध वृद्धि के लिए जानी जाती है. इसी तरह हम मनुष्यों का जीवन भी निर्बाध गति से चलता रहे, यही आशीर्वाद पूर्वजों से मांगा जाता है. इस अवसर पर विशेष रूप से तैयार किया गया भोजन पूर्वजों की स्मृति में अर्पित किया जाता है. यम के दूत माने जाने वाले कौए का भोजन करना शुभ माना जाता है. इसके बाद, ब्राह्मण पुरोहितों को भोजन कराया जाता है, जिसके बाद परिवार के सदस्य भोजन करते हैं.
पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें (Pitru Paksha Do’s & Don’ts)
पितृ पक्ष के दौरान गरुड़ पुराण, अग्नि पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों और नचिकेता व गंगा अवतरण की कथाओं का पाठ करना शुभ माना जाता है. पितृ पक्ष के दौरान कुछ कार्य करने से बचना चाहिए.
- यह नई शुरुआत के लिए अच्छा समय नहीं माना जाता है. कुछ भी नया शुरू करने से बचें. यहां तक कि कोई छोटा-मोटा काम भी जैसे नए कपड़े खरीदना और पहनना, बाल धोना, बाल कटवाना और यहां तक कि दाढ़ी बनाना भी इस दौरान वर्जित है. खासकर अंतिम दिन, यानी महालया अमावस्या को.
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह, नवजात शिशु के जन्म का उत्सव, नए घर में बसना, नया व्यवसाय शुरू करना और ऐसे अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को स्थगित या पहले ही कर देना चाहिए ताकि वे पितृ पक्ष के अंतर्गत न आयें.
- मांसाहारी भोजन या भोजन में प्याज-लहसुन का प्रयोग भी वर्जित माना जाता है.
- माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति पूरी ईमानदारी और बिना किसी द्वेष के अनुष्ठान करता है, तभी उसके प्रयास फल देते हैं. इसलिए अपने मन से सभी नकारात्मक विचारों को दूर कर अपने पूर्वजों के प्रति पूरी ईमानदारी और सम्मान के साथ श्रद्धा व्यक्त करना महत्वपूर्ण है.
- श्राद्ध अनुष्ठान की सफलता के लिए उस दौरान किसी भी प्रकार के मनोरंजक और आनंद प्रदान करने वाली गतिविधियों से परहेज करना जरूरी है.
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