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ईश्वर में मन रमाने के लिए भागवत कथा सुनें : युगल कृष्ण महाराज
ईश्वर में मन रमाने के लिए भागवत कथा सुनें : युगल कृष्ण महाराज
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, November 22, 2024
Updated On: Friday, November 22, 2024
गोविंद के श्रीचरणों का आश्रय लेना चाहिए। चरण, शरण ग्रहण करना ही परम धर्म है। भागवत कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, November 22, 2024
श्रीमद् भागवत महापुराण कथा जीवन के हर क्षण में मदद कर सकती है। दुख में आपका हाथ पकड़ आगे बढ़ा सकती है। कथा वाचक युगल कृष्ण महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि भागवत कथा सुनने की कोशिश करनी चाहिए। इससे मन शांत होता है। कई लोगों को सांसारिक सामग्री पर भरोसा होता है, लेकिन भगवान पर नहीं। यह जान लें कि भगवान के भक्त को कोई कष्ट नहीं होता, बस वह भगवान पर भरोसा रखे और स्मरण करते रहे। लोग चाहते हैं कि भगवान मेरा बन जाएं, लेकिन खुद उलझे रहते हैं जगत के संबंधों को साधने में। सांसारिक ऐश्वर्य यहीं रह जाने वाला है, साथ केवल भजन, सत्कर्म, यज्ञ एवं पुण्य ही जाएंगे और कुछ साथ नहीं जाने वाला। इसलिए भागवत कथा (Yugal Krishna Maharaj Pravchan) सुनते रहना चाहिए।
भगवान का स्मरण करने से मन पवित्र होता है
कथा वाचक युगल कृष्ण महाराज के अनुसार, गोविंद के श्रीचरणों का आश्रय लेना चाहिए। चरण, शरण ग्रहण करना ही परम धर्म है। भागवत कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सदैव हमें संतों की शरण में जाकर भगवान का भजन करना चाहिए, क्योंकि भगवान का स्मरण करने से मन पवित्र होता है, साथ ही घर का कोई भी धार्मिक आयोजन हो उसे स्वयं आगे होकर सभी कार्य को हमें स्वयं करना चाहिए, क्योंकि स्वयं कार्य करने से पुण्य की प्राप्ति हमें स्वयं मिलेगी।
प्राण रहने तक सुनें कथा
युगल कृष्ण महाराज ने आगे कहा कि भागवत में परम धर्म का निरूपण व्यास जी ने किया है। परम धर्म कहता है कि संसार से आसक्ति हटाकर गोंविद का ध्यान करें। भागवत कथा श्रवण में बड़े -बड़े महापापी भी मुक्त हो जाते हैं। मान्यता है कि बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। शरीर में जब तक प्राण है तब तक कथा सुननी चाहिए। ब्रह्मा की उत्तम सृष्टि मनुष्य है। अगर मन में किसी प्रकार का क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार की भावनाएं आ जाए, तो हमें कुछ समय निकालकर प्रभु की भक्ति में लीन रहना चाहिए, जिससे हमारे मन के विकार का नाश हो जाता है।
हरि की भक्ति और भजन
तप साधना करने से जीवन में दिव्यता आती है। दुर्लभ मानव तन के द्वारा हरि की भक्ति करनी चाहिए। केवल और केवल हरि ही हमारा है। प्रतिदिन हमें समय निकालकर प्रभु का भजन करना चाहिए। प्रभु के कथाओं को श्रवण कर अपने जीवन उपदेश में स्वीकार करें, जिससे हमारा जीवन सफल हो।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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