क्या भाजपा में जाएंगे आनंद मिश्रा? जनसुराज से इस्तीफे के बाद बढ़ी अटकलें!

क्या भाजपा में जाएंगे आनंद मिश्रा? जनसुराज से इस्तीफे के बाद बढ़ी अटकलें!

Authored By: सतीश झा

Published On: Tuesday, May 20, 2025

Last Updated On: Tuesday, May 20, 2025

जन सुराज से इस्तीफा देने के बाद आनंद मिश्रा समर्थकों से बातचीत करते देखे गए, जिससे उनके भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गईं.
जन सुराज से इस्तीफा देने के बाद आनंद मिश्रा समर्थकों से बातचीत करते देखे गए, जिससे उनके भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गईं.

बिहार की राजनीति में इन दिनों जनसुराज (JanSuraj) और उसके भीतर मचे घमासान को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है. ताजा घटनाक्रम में पूर्व नौकरशाह आनंद मिश्रा (Anand Mihsra, IPS) ने जनसुराज से नाता तोड़ लिया है. मिश्रा के इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनसुराज में आरसीपी सिंह (RCP Singh) की बढ़ती भूमिका इसके पीछे की वजह है?

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Tuesday, May 20, 2025

Anand Mishra leaves Jan Suraaj party: सूत्रों के अनुसार, आनंद मिश्रा हाल के दिनों में पार्टी के कामकाज और दिशा को लेकर असंतुष्ट थे. पार्टी में उनकी सक्रिय भूमिका थी और वे संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में जुटे थे. हालांकि, आरसीपी सिंह के शामिल होने के बाद से जनसुराज की रणनीतियों और प्राथमिकताओं में बदलाव देखने को मिला, जिससे कई पुराने और निष्ठावान सदस्य खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे.

पूर्व IPS अधिकारी आनंद मिश्रा का जनसुराज से जुड़ना एक बड़ा संदेश था, जो नीतीश कुमार के शासनकाल में उनके कामकाज को लेकर चर्चित रहे थे. उनके द्वारा पार्टी को अलविदा कहने से साफ संकेत मिल रहा है कि पार्टी के भीतर नेतृत्व और दिशा को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं.

हाथी का दांत बनने नहीं आया था : आनंद मिश्रा

वीआरएस लेकर जनसुराज पार्टी से जुड़े पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने पार्टी में मिले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वह यहां काम करने आए थे, केवल दिखावे के लिए कोई पद पकड़ने नहीं. आनंद मिश्रा ने कहा, “मैंने जिस पद को छोड़ा था, वह इस पद से कहीं बड़ा था. मैं पद की लालसा लेकर नहीं आया था. अगर मुझे ही काम नहीं करने दिया जाएगा और केवल नाम के लिए पद दिया जाएगा, तो उसका कोई मतलब नहीं.”

जनसुराज में शामिल होने के बाद मिश्रा को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन हाल के दिनों में पार्टी के भीतर की गतिविधियों से वे असंतुष्ट नजर आ रहे थे. उन्होंने यह भी संकेत दिए कि उन्होंने अपनी आगे की रणनीति तय कर ली है और जल्द ही उस पर काम शुरू करेंगे. मिश्रा के इस बयान ने एक बार फिर पार्टी के अंदरूनी हालात पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा, “मैं हाथी का दांत बनने नहीं आया था. अगर मुझे जनता के लिए काम करने से रोका जाएगा, तो पद छोड़ना ही उचित है.”

क्यों नाराज हैं आनंद मिश्रा?

मिश्रा ने अपनी नाराजगी का कारण बताते हुए कहा, “मेरे पीठ पीछे कई चीजें बदल जाती हैं. मुझे इसकी जानकारी किसी और से मिलती है. जब मुझे नहीं पता कि किस जिले में कौन अध्यक्ष कब बदल गया, तो फिर मेरे पद पर रहने का क्या मतलब?” उन्होंने संगठन के अंदर अधिक लोकतंत्र की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “जिसे जिम्मेदारी दी जाती है, उसकी निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी भी होनी चाहिए, लेकिन यहां ऐसा नहीं है.”

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि हाल ही में पप्पू सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही आनंद मिश्रा असहज महसूस कर रहे थे. यह भी उनकी नाराजगी की एक प्रमुख वजह मानी जा रही है.

बीजेपी की तरफ रुख?

गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में आनंद मिश्रा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग लिया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद वे जनसुराज से जुड़े और प्रशांत किशोर के साथ जनता के बीच सक्रिय दिखे. हालांकि, पिछले कुछ समय से उनकी सक्रियता में कमी आई है और पार्टी से दूरी बढ़ती नजर आ रही है.

मिश्रा ने हाल ही में भाजपा की भी खुलकर तारीफ की थी और कहा था, “मैं नौकरी छोड़कर भाजपा में ही आने वाला था, लेकिन मुझे नहीं पता कि ऐसा क्या हो गया कि मुझे वहां स्वीकार नहीं किया गया.”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनसुराज की शुरुआत एक वैकल्पिक राजनीतिक सोच के साथ हुई थी, लेकिन आरसीपी सिंह जैसे पारंपरिक और सत्ता से जुड़े नेताओं के शामिल होने से इसकी मूल अवधारणा पर असर पड़ा है. आनंद मिश्रा जैसे ईमानदार और विचारधारा आधारित लोगों का जाना यही दर्शाता है कि पार्टी के भीतर अंतर्विरोध बढ़ते जा रहे हैं.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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