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मिथिला के लिए मखाना बोर्ड है कितना खास, कहीं इसका सियासी कनेक्शन तो नहीं
मिथिला के लिए मखाना बोर्ड है कितना खास, कहीं इसका सियासी कनेक्शन तो नहीं
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, February 23, 2025
Updated On: Sunday, February 23, 2025
दशकों तक केंद्र सरकार बिहार के मिथिला क्षेत्र को साइड करती रही. अचानक से अब केंद्र सरकार के नेताओं-मंत्रियों का मिथिला प्रेम जागता हुआ दिखाई दे रहा है. रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान मिथिला मखाना बोर्ड (Mithila Makhana Board) पर विशेष बात करने की तैयारी में है. मिथिला के प्रमुख केंद्र दरभंगा जाकर नई घोषणाओं के क्या मायने हैं ? कुछ महीने पहले स्वयं प्रधानमंत्री का दरभंगा जाना, उसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अब केंद्रीय कृषि मंत्री ? कहीं विधानसभा चुनाव के मोड में तो नहीं आ रही है बिहार ?
Authored By: सतीश झा
Updated On: Sunday, February 23, 2025
दिल्ली में भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता हासिल कर लिया है. अब भाजपा की नजर बिहार पर है. इस साल के आखिर में वहां विधानसभा चुनाव होना है. बिहार का मिथिला क्षेत्र भाजपा के राजनीतिक हिसाब से लाभकारी रहा है, लेकिन हाल के दिनों में वहां का डेमोग्राफ बदल रहा है. जिसके कारण भाजपा के रणनीतिकारों की चिंता बढ़ने लगी है. संघ की ओर से भी इसका संकेत दिया जा चुका है. ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्रियों की डयूटी भी इस ओर लगाई है.
मामा की छवि को मिथिला में भुनाने की कोशिश
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने प्रदेश मध्य प्रदेश में मामा की छवि लिए महिलाओं और युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं, उनकी कार्यशैली और सहज स्वभाव का लाभ पार्टी को मिलता रहा है. अब बतौर केंद्रीय कृषि मंत्री केंद्र सरकार में वो काम कर रहे हैं. मिथिला का प्रमुख उत्पाद मखाना, जिसका हाल के वर्षों में मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है, उससे किसानों को लाभ हो रहा है. अब केंद्रीय स्तर पर मखाना बोर्ड की मंशा लिए शिवराज सिंह चौहान सियासी निहितार्थ को साधने मिथिला की प्रमुख नगरी दरभंगा में किसानों से मिलने जा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर शिवराज ने कही है ये बात
शनिवार को अपनी सोशल मीडिया पर शिवराज सिंह चौहान ने पोस्ट करते हुए लिखा है कि मैं कृषि भवन में बैठने वाला कृषि मंत्री नहीं हूं… कल मैं बिहार जाऊंगा, जहां मखाना उत्पादक किसानों से मुलाकात करूंगा. बिहार में मखाना बोर्ड बनेगा तो किसानों की सलाह के आधार पर बनेगा.
मखाना से उन्नति का रास्ता
सुपरफूड में शुमार मखाना केवल सेहत ही नहीं, किसानों की आर्थिक उन्नति का रास्ता खोल चुका है. जो मखाना करीब दस साल पहले बाजार में 300 से 500 रुपये किलो मिल रहा था, बीते साल से उसकी कीमत 1200 से 1600 रुपये प्रति किलो हो चुका है. मिथिला क्षेत्र में कई प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित हो चुके हैं. लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष से मखाना का लाभ मिल रहा है. ऐसे में यदि मखाना बोर्ड को लेकर केंद्र सरकार नई शुरुआत करती है, तो मिथिला के विकास में यह मील का पत्थर साबित होंगा. इससे किसानों का झुकाव भाजपा की ओर हो सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी भी दिखा चुके हैं मिथिला प्रेम
कुछ महीना पहले ही स्वयं प्रधानमंत्री दरभंगा में एम्स के शिलान्याय के मौके पर दरभंगा पहुंच चुके हैं. मिथिला सहित बिहार के दूसरे इलाकों में विकास परियोजनाओं की घोषणा करके आए थे. उसके कुछ दिनों बाद ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी मिथिलावासियों को हजारों करोड़ की सौगात दी. एक फरवरी को जब केंद्रीय बजट पेश होना था, उस दिन पद्श्री दुलारी देवी के हाथों बनाई गई मिथिला पेंटिंग्स वाली साड़ी पहनकर उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से मिथिला के महत्व को दर्शाने वाला सियासी संकेत दिया था.
अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मखाना बोर्ड और मिथिला के विकास से भाजपा की आगामी रणनीति को सहज ही समझा जा सकता है. हालांकि, सवाल यह भी है कि प्रशांत किशोर क्या मिथिला में बेहद प्रभाव रख रहे हैं ? क्या मखाना बोर्ड की यह घोषणा केवल आर्थिक पहल है या इसके पीछे कोई सियासी रणनीति भी छिपी है? वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ हो सकते हैं.