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नीतीश की नजरें इनायत अब शिक्षा विभाग पर, इन्हें मिलेगा अब बंपर लाभ
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, August 1, 2025
Last Updated On: Friday, August 1, 2025
बिहार में इन दिनों मौसम का मिजाज कुछ भी हो, लेकिन चुनावी साल की गर्मी में सरकारी घोषणाओं की बौछार तेज होती जा रही है. सावन बरसे या न बरसे, चुनावी वर्ष में सरकारी घोषणा की बारिश जबरदस्त हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की सरकार एक के बाद एक विभिन्न वर्गों को साधने की कोशिश में जुटी है. अब उनकी नजरें सीधी शिक्षा विभाग पर आ टिकी हैं.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Friday, August 1, 2025
शुक्रवार सुबह की गई बड़ी घोषणा में नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने शिक्षा विभाग से जुड़ी तीन प्रमुख श्रेणियों—रसोइया, रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों—के मानदेय में दो गुना तक की बढ़ोतरी कर दी. इस घोषणा ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार अब अपने पारंपरिक वोटबैंक से इतर उन वर्गों को भी साधना चाहती है, जो वर्षों से हाशिये पर थे और बदलाव की उम्मीद में थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने शुक्रवार की सुबह एक बड़े ऐलान के साथ राज्य के लाखों शिक्षा कर्मियों को राहत दी है. इस कदम को शिक्षा और मानव संसाधन के क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है.
रसोइयों के लिए दोगुना मानदेय
मध्यान्ह भोजन योजना (MDM) के तहत कार्यरत रसोइयों का मानदेय ₹1650 से बढ़ाकर ₹3300 प्रति माह कर दिया गया है. लंबे समय से मानदेय वृद्धि की मांग कर रहे इन रसोइयों के लिए यह निर्णय एक बड़ी राहत लेकर आया है.
रात्रि प्रहरियों को मिला सम्मान
मुख्यमंत्री ने उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत रात्रि प्रहरियों के लिए भी बड़ी घोषणा की. अब उन्हें ₹5000 के बजाय ₹10000 प्रति माह मानदेय मिलेगा. विद्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में यह एक सराहनीय कदम माना जा रहा है.
शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों को बड़ा तोहफा
तीसरी बड़ी घोषणा शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के लिए की गई, जिनका मानदेय ₹8000 से बढ़ाकर ₹16000 कर दिया गया है. साथ ही उनकी वार्षिक वेतन वृद्धि को भी ₹200 से बढ़ाकर ₹400 किया गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी.
मुख्यमंत्री का ट्वीट हुआ वायरल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इन सभी घोषणाओं की जानकारी शुक्रवार सुबह अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा की. उनका यह ट्वीट कुछ ही समय में वायरल हो गया और शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारियों के चेहरों पर खुशी साफ देखी गई.
चुनावी चाशनी में लिपटी सौगात
- हालांकि इन घोषणाओं के समय पर सवाल उठाना लाजिमी है. 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार की यह “दयालुता” केवल संयोग नहीं मानी जा सकती. यह एक रणनीतिक निर्णय है, जो न सिर्फ प्रशासनिक राहत देने की मंशा दर्शाता है, बल्कि वोटबैंक को मजबूत करने की भी कोशिश है.
- नीतीश कुमार की राजनीति हमेशा सामाजिक न्याय और विकास के दोहरे एजेंडे के इर्द-गिर्द घूमती रही है. इस घोषणा को भी उसी फ्रेम में देखा जा सकता है—जहां कल्याणकारी नीति और राजनीति एक-दूसरे से अलग नहीं हैं.
लाभ मिलना चाहिए, केवल घोषणा नहीं
सबसे अहम प्रश्न यह है कि इन घोषणाओं का ज़मीन पर कितना और कितनी जल्दी असर होगा? बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था में घोषणाओं और उनके क्रियान्वयन के बीच अक्सर लंबी दूरी रही है. इन श्रेणियों के लाखों कर्मियों को वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब मानदेय में बढ़ोतरी का बजटीय प्रावधान जल्द से जल्द लागू हो और विभागीय बाधाएं न खड़ी हों.
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में सराहना
नीतीश कुमार के इस फैसले की व्यापक सराहना हो रही है. शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न संगठनों ने इसे एक “सकारात्मक और जनकल्याणकारी निर्णय” बताया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम मुख्यमंत्री की जमीनी समझ और जनहित में तत्परता को दर्शाता है। नीतीश सरकार का यह फैसला शिक्षा व्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ उसमें कार्यरत कर्मियों को सम्मान देने की दिशा में एक बड़ा और प्रशंसनीय कदम है.















