वाकई तेजस्वी का नाम कट गया वोटर लिस्ट से, क्या है असली कहानी?
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, August 2, 2025
Last Updated On: Saturday, August 2, 2025
बिहार की राजनीति में शनिवार को उस वक्त हलचल मच गई जब नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने दावा किया कि उनका नाम नई मतदाता सूची से हटा दिया गया है. यह दावा उन्होंने उस समय किया जब चुनाव आयोग द्वारा राज्य की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की गई, जिसमें 7.24 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल हैं, लेकिन 65 लाख से अधिक नामों को हटाया गया है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Saturday, August 2, 2025
तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav Voter List) ने इसे “गंभीर साजिश” करार देते हुए कहा कि जब एक विधायक और विपक्ष के नेता का नाम ही मतदाता सूची से गायब हो सकता है, तो आम जनता का क्या होगा? उन्होंने सवाल उठाया कि यह कैसे संभव है कि वे विधानसभा में उपस्थित हैं, पार्टी की बैठकों में शामिल हो रहे हैं, लेकिन मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है.
तेजस्वी यादव का नाम वोटर लिस्ट से गायब? भाजपा ने बताया झूठा दावा
- तेजस्वी ने कहा, “मेरा नाम वोटर लिस्ट में नहीं है, तो मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?” उनके इस दावे से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है .हालांकि, भाजपा ने तेजस्वी यादव के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट में कहा कि तेजस्वी का यह दावा “झूठा है” और उन्होंने जानबूझकर गलत जानकारी फैलाने की कोशिश की है. मालवीय ने कहा, “तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में क्रमांक 416 पर दर्ज है. गलत सूचना फैलाने से पहले तथ्यों की पुष्टि करें. यह मतदाताओं को गुमराह करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है, जिसका पर्दाफाश होना चाहिए.”
- फिलहाल चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी संबंधित विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम मौजूद बताया गया है. ऐसे में इस दावे की सच्चाई को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनावों से पहले इस प्रकार के बयान और आरोप-प्रत्यारोप जनता का ध्यान आकर्षित करने का एक तरीका भी हो सकते हैं. अब देखना होगा कि तेजस्वी यादव इस पर क्या सफाई देते हैं और आगे की रणनीति क्या होती है.
आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग का कहना है कि यह संशोधन विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया के तहत किया गया है. आयोग का तर्क है कि जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, उनमें अधिकतर मृत, दोहराव वाले या पलायन कर चुके लोग शामिल हैं. यह भी बताया गया कि नाम हटाने से पहले भौतिक सत्यापन और घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करने की प्रक्रिया पूरी की गई.
क्या यह केवल तेजस्वी यादव का मामला है?
सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव के अलावा भी कई नामचीन नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं मिले हैं. कुछ मामलों में लोगों के नाम गलत बूथ या क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिए गए हैं, जबकि कुछ नामों को तकनीकी खामियों के चलते हटाया गया है.
क्या हो सकता है समाधान?
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह केवल ड्राफ्ट सूची है और इसमें आपत्ति दर्ज कराने और सुधार की प्रक्रिया जारी है. आम नागरिक 31 अगस्त 2025 तक मतदाता सूची में नाम जुड़वाने, हटवाने या सुधार कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
तेजस्वी यादव के इस दावे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. राजद ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए भाजपा और प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाया है. वहीं, सत्ता पक्ष ने तेजस्वी के दावे को “राजनीतिक ड्रामा” करार दिया और कहा कि हर नागरिक की तरह उन्हें भी सुधार प्रक्रिया के तहत अपने नाम की पुष्टि करनी चाहिए.
हालांकि यह स्पष्ट है कि नाम मतदाता सूची से हटा है, लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट है कि यह ड्राफ्ट सूची है और अंतिम सूची जारी होने से पहले सभी को सुधार का अवसर मिलेगा. ऐसे में यह मामला चाहे जानबूझकर हो या प्रशासनिक चूक का परिणाम, चुनावी मौसम में यह एक बड़ा मुद्दा बन चुका है.
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