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चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की चिंताओं और आरोपों का ऐसे दिया जवाब
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की चिंताओं और आरोपों का ऐसे दिया जवाब
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, January 7, 2025
Last Updated On: Sunday, April 27, 2025
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने हालिया वर्षों और आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर उठाए गए सवालों और आरोपों पर अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर जवाब देते हुए भारत की मतदान प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर दिया।
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Sunday, April 27, 2025
राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि कुछ क्षेत्रों में मतदाता सूची चुनाव आयोग (Election Commission) ने राजनीतिक दलों की चिंताओं और आरोपों का ऐसे दिया जवाबसे लोगों के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं या कुछ समूहों के नाम काटे जा रहे हैं। वहीं, कुछ इलाकों में अचानक 50,000 से अधिक वोटर जोड़ने के आरोप भी लगे हैं। इस पर सीईसी ने स्पष्ट किया कि देश में 10.50 लाख बूथ हैं और हर बूथ पर चार से पांच चुनाव अधिकारी तैनात होते हैं। इन अधिकारियों की कुल संख्या 45 से 50 लाख के बीच होती है। उन्होंने कहा कि यह सभी अधिकारी उसी राज्य के विभिन्न विभागों से होते हैं और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है।
ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप
सीईसी ने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा हर चुनाव में उठता है। कभी बैटरी की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं तो कभी मशीन की विश्वसनीयता पर। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने बार-बार इन आरोपों का जवाब दिया है और ईवीएम की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
चुनावी लिस्ट में गड़बड़ी के सवाल पर
सीईसी ने बताया कि चुनावी लिस्ट बनाने में पारदर्शिता पूरी तरह से सुनिश्चित की जाती है। उन्होंने कहा, “जब भी इलेक्टोरल रोल तैयार होता है, तब राजनीतिक दलों को दावे और आपत्तियां उठाने का पूरा मौका मिलता है। यदि किसी व्यक्ति का नाम हटाना या जोड़ना है, तो यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होती है और किसी भी नाम को बिना व्यक्तिगत सुनवाई के हटाया नहीं जा सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि हर साल मतदाता पहचान का सत्यापन किया जाता है और सभी दलों को यह जानकारी दी जाती है, जिससे किसी भी गड़बड़ी को तुरंत सुधारा जा सकता है।
ईवीएम से छेड़छाड़, बैट्री के मुद्दे पर
सीईसी ने ईवीएम की सुरक्षा और पारदर्शिता को लेकर की गई शिकायतों पर स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि चुनावी चिह्न डालने से लेकर मॉक पोल और बैट्री सीलिंग की प्रक्रिया तक, सब कुछ राजनीतिक दलों के एजेंट्स की मौजूदगी में होता है। इसके अलावा, अदालतों ने भी बार-बार यह कहा है कि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव नहीं है और यह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। “ईवीएम में वायरस या बग डालने का सवाल नहीं उठता।” उन्होंने यह भी बताया कि वीवीपैट प्रणाली के साथ ईवीएम का उपयोग चुनावों की सटीकता सुनिश्चित करता है।
मतदान खत्म होने के बाद वोटर टर्नआउट बढ़ने के सवाल पर
सीईसी ने वोटर टर्नआउट पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह एक गलत धारणा है। उन्होंने बताया कि मतदान के बाद अधिकारियों द्वारा सभी आंकड़ों को सही किया जाता है और यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक बूथ पर मतदान के आंकड़े तुरंत एजेंट्स को दिए जाते हैं, जिससे उन्हें पता होता है कि कितने वोट पड़े हैं। “सभी आंकड़े फॉर्म 17-सी में मौजूद होते हैं और ये मतदान के बाद भी सही किए जाते हैं।”
5 बजे के बाद वोटर टर्नआउट बढ़ने का मुद्दा
कुछ दलों ने आरोप लगाया कि मतदान समाप्त होने के बाद भी वोटर टर्नआउट बढ़ जाता है। इस पर सीईसी ने कहा कि आयोग ने सभी आरोपों की जांच की और आवश्यक वीडियो साक्ष्य भी साझा किए।
काउंटिंग और वोटिंग में मिसमैच
आरोप लगे कि कुछ क्षेत्रों में वोटिंग और गिनती के आंकड़े मेल नहीं खाते। कहीं कम तो कहीं ज्यादा गिने गए वोट। इस पर सीईसी ने स्पष्ट किया कि गिनती प्रक्रिया पूरी तरह से व्यवस्थित और पारदर्शी होती है। यदि किसी तरह की त्रुटि होती है तो उसकी जांच और सुधार तत्काल किया जाता है।
नियमों में बदलाव पर सवाल
आरोप है कि हाल में बदले गए कुछ नियमों से पारदर्शिता पर असर पड़ा है। सीईसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रक्रिया में कोई ऐसा बदलाव नहीं किया गया है जिससे पारदर्शिता प्रभावित हो।
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर जोर
सीईसी ने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि 2020 से अब तक 30 राज्यों में चुनाव हुए हैं, जिनमें अलग-अलग राजनीतिक दलों ने अधिकतम सीटें हासिल की हैं। यह दर्शाता है कि भारत की चुनाव प्रणाली निष्पक्ष और स्वच्छ है। उन्होंने कहा, “परिणामों के आधार पर प्रक्रिया का आकलन करना उचित नहीं है। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आयोग हर संभव कदम उठाता है।” मुख्य चुनाव आयुक्त ने जनता और राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे भारतीय चुनाव प्रणाली में विश्वास रखें और बिना तथ्यों के आरोप लगाने से बचें।
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