संजय सिंह के हाउस अरेस्ट होने की है ये कहानी, जम्मू-कश्मीर की सियासी रंग में ये हुआ भंग
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, September 12, 2025
Updated On: Friday, September 12, 2025
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में पिछले कुछ दिनों से बढ़ते तनाव और अशांति ने राज्य की नाजुक स्थिति को और जटिल बना दिया है. आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक मेहराज मलिक को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लेने और उसके विरोध में हुई हिंसक घटनाओं ने स्थानीय प्रशासन की चुनौती बढ़ा दी है. मेहराज मलिक के समर्थन में AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) आए और सुरक्षा-व्यवस्था के नाम पर उन्हें भी हाउस अरेस्ट (House Arrest ) किया गया. उनसे मिलने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुला (Farooq Adullah) आए, लेकिन मिलने नहीं दिया गया. इसको लेकर कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Friday, September 12, 2025
Sanjay Singh House Arrest Jammu Kashmir: डोडा और श्रीनगर में हालिया घटनाएँ यह साफ़ दिखाती हैं कि कश्मीर की राजनीति अब भी अत्यंत नाज़ुक है. विपक्षी दल सरकार के फैसलों को “लोकतंत्र पर हमला” बताकर जनता में सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि प्रशासन का तर्क है कि सुरक्षा और शांति सर्वोपरि हैं. एक ओर फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला जैसे नेता इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हैं. वहीं प्रशासन का कहना है कि कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इस पूरे घटनाक्रम ने घाटी की राजनीति में नया उबाल पैदा किया है, जहाँ “लोकतांत्रिक अधिकार बनाम सुरक्षा” की बहस फिर से उभर कर सामने आई है.
कश्मीर में राजनीतिक नौटंकी या संवेदनशीलता की कमी?
श्रीनगर सर्किट हाउस में AAP के सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) का फारूक अब्दुल्ला से मिलने से रोके जाने पर दरवाजे पर चढ़ना और पुलिस से बहस करना राजनीतिक परिपक्वता के बजाय नौटंकी जैसा प्रतीत हुआ. विशेषज्ञों का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विरोध दर्ज कराने के कई शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण तरीके मौजूद हैं. सांसद होने के नाते सार्वजनिक मंच पर इस तरह का प्रदर्शन न केवल उनकी गंभीरता पर सवाल उठाता है, बल्कि संवेदनशील कश्मीर क्षेत्र में तनाव बढ़ाने का भी कारण बनता है.
साथ ही यह भी समझना होगा कि जनप्रतिनिधि बनने के लिए सिर्फ़ चुनाव जीत लेना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उसके साथ-साथ आचरण और शिष्टता भी उतनी ही ज़रूरी है. यदि मेहराज मलिक पर प्रशासनिक अधिकारियों और महिलाओं के खिलाफ अभद्र भाषा के प्रयोग के आरोप सही हैं, तो यह न केवल नैतिक रूप से निंदनीय है बल्कि जनप्रतिनिधित्व की गरिमा पर भी धब्बा है.
संजय सिंह की इस कोशिश से आम जनता में भ्रम फैला
इसी बीच AAP के सांसद संजय सिंह का श्रीनगर पहुंचकर मेहराज मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करना और इसे “संवैधानिक अधिकार” बताना घाटी के संवेदनशील माहौल में विवाद की आग में घी डालने जैसा साबित हुआ. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विरोध केवल स्थानीय मुद्दा नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर “लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला” का संदेश देने का सुनियोजित प्रयास प्रतीत हुआ.
संजय सिंह की इस कोशिश से आम जनता में भ्रम फैला और माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया. प्रशासन ने ऐसे हालात को देखते हुए उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा ताकि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके और किसी भी अप्रिय स्थिति को टाला जा सके.
डोडा में विरोध प्रदर्शन के बाद निषेधाज्ञा लागू
आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक मेहराज मलिक की जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत हिरासत में लिए जाने के विरोध में भड़के प्रदर्शन के बाद, डोडा जिले के भलेसा क्षेत्र में BNSS की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. कल प्रशासन ने जनता को आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए दो घंटे की ढील दी थी, लेकिन आज बाज़ार पूरी तरह बंद रहे और सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. DIG डीकेआर ने कहा कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि प्रशासन लोगों के लगातार संपर्क में है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सतर्कता बरती जा रही है.
विशेषज्ञों का कहना है कि निषेधाज्ञा और समयबद्ध ढील का उद्देश्य हिंसा और उपद्रव को रोकना और स्थानीय सुरक्षा बनाए रखना है. प्रशासन ने नागरिकों से शांति बनाए रखने और निर्देशों का पालन करने की अपील की है.
मेहराज मलिक पर “सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने” और भीड़ को उकसाने के गंभीर आरोप
2024 के विधानसभा चुनाव में डोडा सीट से जीतकर आए मेहराज मलिक पर “सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने” और भीड़ को उकसाने के गंभीर आरोप हैं. प्रशासन ने यह कदम इसलिए उठाया कि पीएसए जैसे कठोर कानून केवल तब लागू होते हैं, जब किसी व्यक्ति से शांति और सुरक्षा को ठोस खतरा हो. उनकी गिरफ्तारी के बाद डोडा और आसपास के क्षेत्रों में उपद्रव और हिंसा ने यह साबित किया कि उनकी उपस्थिति स्थानीय हालात को और भड़काने वाली थी. इसीलिए कठुआ जेल में उनकी नजरबंदी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम माना गया.
AAP विधायक मेहराज मलिक की PSA हिरासत पर नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद ने उठाए सवाल
- आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक मेहराज मलिक को जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) की धाराओं के तहत हिरासत में लिए जाने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, “PSA किसी एक व्यक्ति या विधायक पर नहीं लगाया गया है, PSA लोकतंत्र पर लगाया गया है. भाजपा राज में देश का कानून मज़ाक बनकर रह गया है. अगर एक निर्वाचित विधायक को PSA के तहत अस्पष्ट आरोपों पर हिरासत में लिया जा सकता है, तो आप लोकतंत्र की हालत समझ सकते हैं. अगर उसकी गलती भी होती, तो दूसरे कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जा सकता था. इस कानून का इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ या राजनीतिक धमकी के लिए किया जाता है.”
- सांसद मेहदी का यह बयान 11 सितंबर को आया. उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों और कानून के उचित उपयोग पर गंभीर सवाल उठाने के रूप में पेश किया। प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन स्थानीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए निगरानी जारी है.
- राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि डोडा में हुई यह घटना जम्मू-कश्मीर की राजनीति में संवेदनशील मुद्दों के इस्तेमाल और चुनावी रणनीति के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को उजागर करती है. ऐसे समय में राज्य प्रशासन के कदमों को सुरक्षा और शांति बनाए रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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