राजस्थान के 9 जिलों पर सियासी जंग, भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
राजस्थान के 9 जिलों पर सियासी जंग, भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, December 30, 2024
Updated On: Monday, December 30, 2024
राजस्थान में 9 जिलों को भंग करने के राज्य सरकार के फैसले को लेकर सियासी टकराव बढ़ गया है। अशोक गहलोत सरकार द्वारा घोषित नए जिलों को भंग करने के बाद भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगा रहे हैं।
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, December 30, 2024
भजनलाल सरकार द्वारा नौ जिलों और तीन संभागों को खत्म करने के फैसले के बाद राजस्थान का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस निर्णय को अलोकतांत्रिक, विवेकहीन और जनता के हितों पर कुठाराघात बताया है। डोटासरा ने कहा कि यह निर्णय पर्ची पर लिया गया है और भाजपा सरकार ने जनता की उम्मीदों को एक झटके में खत्म कर दिया है।
क्या है मामला ?
अशोक गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल में 17 नए जिलों और 3 नए संभागों की घोषणा की थी। हालांकि, हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल ने 9 जिलों को भंग करने का फैसला किया, जिसे “राज्य के हित में” बताया गया। इसके बाद अब राजस्थान में कुल 41 जिले और 7 मंडल रह गए हैं।
ये 9 जिले किए गए भंग
डूडू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचोर।
ये जिले रहेंगे बरकरार
बालोतरा, ब्यावर, डीग-कुम्हेर, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूम्बर। भजनलाल सरकार ने पिछले प्रशासन द्वारा घोषित 20 जिलों में से केवल आठ जिलों को ही क्रियाशील रखा है। वहीं, नए प्रस्तावित तीन संभागों को भी रद्द कर दिया गया है।
समिति की सिफारिशें बनीं आधार
राजस्थान सरकार ने 1 जुलाई को एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसे नए जिलों और संभागों की उपयोगिता और उनकी व्यावहारिकता की समीक्षा करने का जिम्मा सौंपा गया था। समिति ने 10 प्रमुख बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की और जनप्रतिनिधियों व स्थानीय संगठनों से सुझाव एकत्र किए।
समिति ने 30 अगस्त को दी रिपोर्ट
रिपोर्ट को, 30 अगस्त को राज्य के प्रमुख राजस्व सचिव दिनेश कुमार को सौंपा गया था। 2 सितंबर को, समिति ने अपने निष्कर्ष कैबिनेट को प्रस्तुत किए। समिति के अध्यक्ष डॉ. ललित के. पवार ने कहा कि इन जिलों की स्थापना से राज्य पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ने की संभावना थी, जो दीर्घकालिक रूप से अव्यवहारिक माना गया। अब राजस्थान में कुल 41 जिले और 7 मंडल ही रहेंगे। सरकार का यह निर्णय राज्य के संसाधनों के बेहतर उपयोग और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने के लिए लिया गया है।
विरोध में राजस्थान कांग्रेस करेगी आंदोलन
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जब देश और दुनिया भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भावभीनी विदाई दे रही है, ऐसे समय में भाजपा सरकार ने इस जन विरोधी निर्णय को लागू कर दिया। उन्होंने इसे अनैतिक और असंवेदनशील करार दिया।डोटासरा ने शनिवार काे पत्रकार वार्ता कर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इस निर्णय को जन विरोधी बताते हुए कहा कि कांग्रेस और आम जनता इसके खिलाफ आंदोलन करेगी और जरूरत पड़ी तो कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि भाजपा नेता आज कह रहे हैं कि जिले छोटे हैं किन्तु छोटे जिले बनने से आमजन को सहूलियत मिलती है और त्वरित न्याय मिलता है, योजनाओं की मॉनिटरिंग अच्छे से होती है। इस पर भाजपा सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया केवल राजनीतिक द्वेषता के कारण जिले समाप्त करने का जनविरोधी निर्णय किया। प्रदेश में भौगोलिक दृष्टि के अनुसार पांच-सात नए जिले गठित किए जा सकते है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में इस जनविरोधी निर्णय के विरूद्ध भाजपा सरकार को घेरने का कार्य किया जाएगा तथा कांग्रेस पार्टी सड़क से लेकर सदन तक जिलों एवं संभागों को निरस्त करने के निर्णय के विरूद्ध जन-आंदोलन करेगी।
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