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क्या गाजियाबाद उपचुनाव में बदल जाएगा सिलसिला, बार-बार हार का मुंह की क्यों देखती है ‘साइकिल’
क्या गाजियाबाद उपचुनाव में बदल जाएगा सिलसिला, बार-बार हार का मुंह की क्यों देखती है ‘साइकिल’
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, November 7, 2024
Updated On: Thursday, November 7, 2024
गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में इस बार के उपचुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। हालांकि, इस सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) की चुनावी चुनौती हमेशा कमजोर रही है। अब तक गाजियाबाद में सपा (जिसका चुनाव चिन्ह साइकिल है) कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। भाजपा का इस क्षेत्र में मजबूत प्रभाव रहा है और पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को यहां 61 प्रतिशत से ज्यादा मत प्राप्त हुए थे।
Authored By: सतीश झा
Updated On: Thursday, November 7, 2024
पिछले चुनाव में भाजपा (BJP) के उम्मीदवार ने इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी, जिससे सपा और अन्य विपक्षी दलों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण रही है। इस बार उपचुनाव के मद्देनजर सभी दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, और भाजपा इस बार भी अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए पूरी तैयारी में जुटी है।
विश्लेषकों के अनुसार, गाजियाबाद की यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां भाजपा की ओर से किए गए विकास कार्य और पार्टी की जनाधार मजबूत करने वाली नीतियां प्रमुख कारण हैं, जिनके चलते सपा को पिछली बार भी यहां भारी हार का सामना करना पड़ा था।
सपा (SP) ने इस बार गाजियाबाद उपचुनाव में अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारते हुए पूरी ताकत झोंकने की कोशिश की है, लेकिन इसे भाजपा की लोकप्रियता के सामने कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में देखना होगा कि क्या सपा इस बार गाजियाबाद की जनता का समर्थन हासिल कर पाएगी या फिर भाजपा अपनी पकड़ बनाए रखेगी।
उप्र की नौ विधानसभा सीटों पर होने जा रहे चुनाव में सभी दलों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक दी है। पिछले चुनावों को देखें तो इसमें फुलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर की सीट भाजपा (BJP) के पास थी। वहीं मीरापुर की सीट रालोद (RLD) के पास रही और सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सपा (SP) के पास रही। इसमें गाजियाबाद ऐसी सीट है जो समाजवादी पार्टी के पास कभी नहीं थी।
इस बार गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 14 प्रत्याशी
मैदान में हैं। पिछली बार भी कुल 14 उम्मीदवार ही मैदान में थे। पिछली बार कुल पांच उम्मीदवार ऐसे थे जो नोटा से अधिक मत पाए थे। वहीं भाजपा के अतुल गर्ग (Atul Garg) को 150205 वोट मिले थे। वे 61.37 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 44668 वोट पाने वाले सपा के विशाल वर्मा (Vishal Verma) को 105,537 वोटों से हराये थे। विशाल वर्मा का वोट प्रतिशत मात्र 18.25 प्रतिशत था।
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इस बार जहां भाजपा ने संजीव शर्मा (Sanjeev Sharma) को टिकट दिया है। वहीं सपा ने सिंह राज जाटव (Singh Raj Jatav) को मैदान में उतारा है। बसपा ने पीएन गर्ग (PN Garg) को अपना उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है, जबकि एआईएमआईएम रवि गौतम को टिकट देकर सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है। पिछली बार के चुनाव परिणाम को देखें तो कुल वोट का आधे से काफी अधिक यानि 61.37 प्रतिशत भाजपा के अतुल गर्ग को मिला था। वे 150205 वोट पाये थे। दूसरे नम्बर पर सपा के विशाल गर्ग को मात्र 18.25 प्रतिशत ही वोट मिले थे। बसपा के कृष्ण कुमार को 13.36 प्रतिशत और कांग्रेस के सुशान गोयल को 11,818 वोट अर्थात 4.83 प्रतिशत वोट मिला था। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार निमित ने 1879 वोट अर्थात 0.77 प्रतिशत वोट हासिल किये थे, जबकि उनसे थोड़ा ही कम वोट नोटा को भी 1238 वोट मिले थे।
इससे पीछे के इतिहास को भी देखें तो सपा के पास यह सीट कभी नहीं रही। 2012 में बसपा के सुरेश बंसल ने जीत हासिल की थी। 2007 में भाजपा के पास यह सीट थी। 2002 में कांग्रेस के पास यह सीट रही। 1991, 1993 और 1996 में भाजपा के बालेश्वर त्यागी ने गाजियाबाद में जीत हासिल की थी। 1989 और 1985 में कांग्रेस ने इस सीट पर विजय हासिल की थी।
(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)