क्या नया एजेंडा पर कर रही है काम, केवल बहुजन समाज (Bahujan Samaj) की ही बात क्यों करती है मायावती

क्या नया एजेंडा पर कर रही है काम, केवल बहुजन समाज (Bahujan Samaj) की ही बात क्यों करती है मायावती

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, August 29, 2024

Last Updated On: Thursday, May 1, 2025

BSP supremo Mayawati
BSP supremo Mayawati

मायावती की यह रणनीति उनकी पार्टी के परंपरागत वोट बैंक को मजबूत करने और अपनी राजनीतिक स्थिति को पुनः सुदृढ़ करने के लिए है। वहीं, मायावती ने अपने सभी आलोचकों को यह कहते हुए जवाब दिया कि बसपा का मिशन केवल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता को स्थापित करना है।

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Thursday, May 1, 2025

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती इन दिनों एक नए एजेंडे पर काम करती नजर आ रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती का फोकस हमेशा की तरह दलित, पिछड़े, और अन्य वंचित वर्गों पर है, लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिरकार वह केवल बहुजन समाज की ही बात क्यों करती हैं?

मायावती ने हाल ही में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बसपा का उद्देश्य समाज के सभी कमजोर और उपेक्षित वर्गों को उनका हक दिलाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी बहुजन समाज के लोगों के उत्थान के लिए समर्पित है और उसी एजेंडे पर काम कर रही है।

मायावती का मानना है कि भारतीय समाज की संरचना में सबसे अधिक उपेक्षित और वंचित वर्ग बहुजन समाज का है, जिसमें दलित, पिछड़े और आदिवासी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये वर्ग वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित रहे हैं और उनके विकास के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मायावती का एजेंडा केवल बहुजन समाज के लिए ही नहीं, बल्कि सभी जरूरतमंद और वंचित वर्गों के लिए है। उनका मानना है कि समाज के इस तबके को मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष नीतियों और प्रयासों की आवश्यकता है। आलोचकों का कहना है कि अगले चुनावों को देखते हुए मायावती का नया एजेंडा क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन इतना साफ है कि वह बहुजन समाज के उत्थान के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं हैं।

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद संभल कर बोल रही है मायावती

लोकसभा चुनाव नतीजों में बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। उत्‍तर प्रदेश की 80 सीटों में से एक भी बसपा के पाले में नहीं आई है। बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने कहा कि पिछले कई चुनावों और इस बार लोकसभा चुनाव में उचित प्रतिनिधित्‍व देने के बावजूद मुस्लिम समाज बसपा को ठीक से समझ नहीं पा रहा है। अब ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझकर ही चुनाव में मौका दिया जाएगा, ताकि पार्टी को भविष्‍य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान ना हो। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को यूपी में शून्‍य सीटें मिली थीं। 10 साल बाद फिर ये इतिहास ने खुद को दोहराया। बसपा ने सबसे ज्‍यादा 35 उम्‍मीदवारों पर दांव लगाया था। बावजूद इसके मुस्लिमों का सारा वोट सपा और कांग्रेस का चला गया। बसपा का मुस्लिम दलित फैक्‍टर पूरी तरह से नाकाम रहा।

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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