10 Places to visit in Ranchi : रांची जाएं तो न भूलें इन 10 दर्शनीय स्थलों का दीदार करना

10 Places to visit in Ranchi : रांची जाएं तो न भूलें इन 10 दर्शनीय स्थलों का दीदार करना

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, February 3, 2025

Updated On: Monday, February 3, 2025

Top 10 tourist places to visit in Ranchi
Top 10 tourist places to visit in Ranchi

बहुत अधिक ऊंचाई से गिरते झड़ने, पहाड़, प्राकृतिक दृश्य और ऐतिहासिक स्थल रांची को बहुत ख़ास बनाते हैं. ज्यादातर महीनों में यहां का मौसम खुशगवार रहता है. इसलिए ब्रिटिश काल में यह बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. यदि आप रांची घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो इन टॉप 10 आकर्षक जगहों (10 Places to visit in Ranchi) को देखना नहीं भूलें.

Authored By: स्मिता

Updated On: Monday, February 3, 2025

10 Places to visit in Ranchi: रांची को “झरनों का शहर” कहा जाता है. इसके आस-पास कई झरने हैं, जिनमें हुंडरू, जोन्हा और दसम वॉटरफॉल प्रमुख हैं. रांची ने झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें विभिन्न भारतीय राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के लिए एक अलग राज्य की मांग की गई थी. ब्रिटिश काल के दौरान रांची बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में जानी जाती थी. पहाड़, जंगल और ऊंचाई से गिरते हुए झड़ने खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य बनाते हैं. इसलिए बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं. जानते हैं रांची के 10 खूबसूरत स्थान (10 Places to visit in Ranchi) के बारे में.

1. टैगोर हिल (Tagore Hill)

रांची में टैगोर हिल शहर के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है. टैगोर हिल की भौगोलिक विशेषता इसे सुंदर बनाती है. टैगोर हिल मोराबादी हिल के नाम से भी जाना जाता है. पहाड़ी की चोटी का महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर से गहरा नाता रहा है. रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर पत्नी कादंबरी देवी की मृत्यु के बाद 1912 में यहां आकर बस गए थे. उन्होंने शांति धाम नाम का एक घर और ब्रह्म स्थल नामक एक स्मारक बनवाया. बाद में 1925 में उनकी मृत्यु हो गई. दिव्यायन और कृषि व्यावसायिक संस्थान के केंद्र के साथ-साथ रामकृष्ण मिशन आश्रम भी इस पहाड़ी के परिसर में स्थित है.

2. जगन्नाथ मंदिर (Jaggannath Mandir)

रांची में भगवान जगन्नाथ को समर्पित 17वीं शताब्दी का एक मंदिर है. इसे बरकागढ़ जगन्नाथपुर के राजा ठाकुर अनी नाथ शाहदेव ने 1691 में बनवाया था. मंदिर एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर है. ओडिशा के पुरी में प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के समान यह मंदिर उसी स्थापत्य शैली में बनाया गया है. हालांकि यह छोटा है. पुरी की रथ यात्रा की तरह, इस मंदिर में आषाढ़ के महीने में एक वार्षिक मेला और रथ यात्रा आयोजित की जाती है. वर्ष 1691 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने मंदिर को अपवित्र और बर्बाद कर दिया था. बाद में इसका पुनर्निर्माण किया गया.

3. धुर्वा बांध (Dhurwa Bandh)

धुर्वा बांध को आधिकारिक तौर पर हटिया बांध के रूप में जाना जाता है. यह रांची में सुवर्णरेखा नदी पर बना एक महत्वपूर्ण बांध है. रूसी सहायता से 1963 में इस बांध का निर्माण कार्य पूरा हुआ था. यह रांची और इसके आसपास के क्षेत्रों को प्रतिदिन लगभग 9.5 मिलियन गैलन पीने का पानी प्रदान करता है, जिसमें शहर के लिए 8.5 मिलियन गैलन और हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HEC) के लिए 1 मिलियन गैलन है. यह बांध प्रस्तावित रांची स्मार्ट सिटी का भी समर्थन करता है, जिसका लक्ष्य अतिरिक्त 12 मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति करना है. गर्मियों के दौरान इसमें पानी का स्तर काफी कम हो जाता है. धुर्वा बांध की जलाशय क्षमता लगभग 1.37 किमी है. यह आगंतुकों को प्रकृति की सैर का आनंद लेने के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है.

4. कांके बांध (Kanke Bandh)

यह रांची रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर और बिरसा मुंडा हवाई अड्डे से 12 किलोमीटर दूर कांके नदी पर स्थित है. कांके बांध का विकास अंग्रेजों ने किया था. निर्माण का काम 1954 में पूरा हुआ था. कांके बांध नहाने, नौका विहार और मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध है. लोग यहां 25 दिसंबर और 1 जनवरी को पिकनिक मनाना पसंद करते हैं. कांके बांध गोंडा हिल्स की तलहटी में है. वहां एक छोटा सा पार्क है, जहां से पर्यटक सूर्यास्त देखते हैं. वे बांध के किनारे टहलते भी हैं. कांके बांध का उपयोग रांची शहर को पानी की आपूर्ति के लिए किया जाता है. झील में साइबेरियन क्रेन उतरते हैं. कांके का मौसम अधिक ठंडा रहता है, क्योंकि कांके में रांची के कंक्रीट जंगल की तुलना में अधिक खुले क्षेत्र हैं. रांची की तुलना में कांके में कृषि भूमि अधिक है, जिसके कारण जल जमाव हवा को ठंडा करता है और हवाओं को निर्बाध रूप से बहने में मदद करता है. प्रदूषण भी कम है.

5. रॉक गार्डन (Rock Garden)

रांची में रॉक गार्डन शहर के साथ-साथ राज्य के सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले स्थानों में से एक माना जाता है. रांची में प्रसिद्ध रॉक गार्डन अल्बर्ट अक्का चौक से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जयपुर गार्डन के बाद रांची रॉक गार्डन महत्व और प्रसिद्धि में दूसरे स्थान पर माना जाता है. रांची में रॉक गार्डन गोंडा पहाड़ी की चट्टानों से बनाया गया था. इस रॉक गार्डन में दो किनारों वाला लोहे की छड़ से बना झूला है. मूर्तियों और झरनों के विभिन्न रूप इस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.रॉक गार्डन का उपयोग पिकनिक स्पॉट के रूप में भी किया जाता है, जहां बड़ी संख्या में लोग एक साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं.

6. पहाड़ी मंदिर (Pahadi Mandir)

रांची में पहाड़ी की चोटी पर स्थित है पहाड़ी मंदिर. यह मंदिर शिव को समर्पित है. यह मंदिर समुद्र तल से 2140 फीट और जमीन से 350 फीट ऊपर स्थित है. पहाड़ पर स्थित शिव का यह मंदिर देश की आजादी से पहले अंग्रेजों के कब्जे में था. भारत के विभाजन के बाद से इस मंदिर पर धार्मिक झंडों के साथ-साथ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया जाता है. यह देश का पहला मंदिर है जहां तिरंगा फहराया जाता है. रांची रेलवे स्टेशन से यह 7 किमी दूर स्थित है. पहाड़ी बाबा मंदिर का पुराना नाम तिरीबुरू था, जिसे बाद में ब्रिटिश काल में बदलकर ‘हैंगिंग गैरी’ कर दिया गया, क्योंकि ब्रिटिश राज में यहां स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी जाती थी. आजादी के बाद रांची में सबसे पहला तिरंगा झंडा यहीं फहराया गया था, जिसे रांची के एक स्वतंत्रता सेनानी के.सी. दास ने फहराया था. उन्होंने यहां शहीद स्वतंत्रता सेनानियों की याद और सम्मान में तिरंगा फहराया था. उस समय से लेकर अब तक हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर यहां तिरंगा फहराया जाता है. पहाड़ी मंदिर में एक पत्थर है, जिस पर 14 और 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को देश की आजादी का संदेश लिखा हुआ है.

7. दस्सम जलप्रपात (Dassam Falls)

यह रांची से लगभग 40 किलोमीटर दूर और रांची-टाटा राजमार्ग पर स्थित है. राजमार्ग से यह जलप्रपात लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्थान को दस्सम गढ़ के नाम से भी जाना जाता है. इस जलप्रपात का मुख्य जल स्रोत कचनी नदी है, जो 144 फीट की ऊंचाई से यहां गिरती है. इस जलप्रपात की खासियत यह है कि जब जलप्रपात को देखा जाता है, तो 10 जलधाराएं भी गिरती हुई दिखाई देती हैं.

8. पतरातू घाटी (Patratu Valley)

रांची से पिथौरिया की ओर से छोटानागपुर पठार से उतरते समय पतरातू घाटी आती है. यह घाटी बहुत खूबसूरत लगती है. इसकी सड़कें घुमावदार मोड़ लेती हैं, जो हेयर पिन जैसी दिखाई देती है. यह खूबसूरत घाटी अपनी हरियाली, जगमगाते जल निकायों (water bodies) और नीचे की ओर जाती पहाड़ियों के साथ प्रकृति प्रेमियों और रोमांच के शौकीनों के लिए स्वर्ग है. दामोदर नदी पर बना पतरातू बांध यहां का मुख्य आकर्षण है.

9. हुंडरू जलप्रपात (Hundru Waterfall)

रांची का हुंडरू जलप्रपात भारत का 34वां सबसे ऊंचा जलप्रपात है. यह इस क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है. हुंडरू जलप्रपात रांची सुवर्णरेखा नदी के मार्ग पर बना है. यहां यह 320 फ़ीट की ऊंचाई से गिरता है, जिसके कारण यह राज्य का सबसे ऊंचा वाटरफॉल है. 750 सीढ़ियों से ऊपर जाते समय रास्ते भर झरने की आवाज़ सुन सकते हैं. हुंडरू फॉल सुंदरतम प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है.

10. भगवान बिरसा जैविक उद्यान (Bhagwan Birsa Biological Park)

भगवान बिरसा जैविक उद्यान को रांची चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है. यह ओरमांझी के चकला गांव में है. रांची चिड़ियाघर की स्थापना 1994 में गेतलसूद बांध के किनारे और रांची-हजारीबाग मुख्य राजमार्ग पर की गई थी. पार्क में दो विभाग हैं, प्राणी विज्ञान अनुभाग, जो 83 हेक्टेयर में है और वनस्पति विज्ञान अनुभाग, जो 21 हेक्टेयर में फैला हुआ है. यहां स्तनधारी की 27 प्रजातियां, पक्षी की 39 प्रजातियां, सांप की 17 प्रजातियां रहती हैं, यहां हर साल 8-10 लाख टूरिस्ट आते हैं.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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