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हर दिन प्रत्येक घंटे हो रही है सड़कों पर मौतें, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के चिंता के क्या है मायने
हर दिन प्रत्येक घंटे हो रही है सड़कों पर मौतें, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के चिंता के क्या है मायने
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, September 12, 2024
Updated On: Thursday, September 12, 2024
भारत में औसतन हर घंटे 53 सड़क हादसे होते हैं, जिनमें 18 लोगों की मौत हो जाती है। यानी हर दिन करीब 432 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भारतीय ऑटोमोबिल निर्माता संघ के वार्षिक सम्मेलन में गए, तो वहां उन्होंने कंपनियों के कर्ता-धर्ताओं को अपनी चिंता बताई।
Authored By: सतीश झा
Updated On: Thursday, September 12, 2024
सड़क हादसों (Road accidents) में शामिल कुल दुर्घटनाओं का 45 प्रतिशत हिस्सा दो पहिया वाहनों का होता है। ये आंकड़े देश में सड़क सुरक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर करते हैं, जो चिंता का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यातायात नियमों की अनदेखी, तेज गति, और सुरक्षा उपायों की कमी इस बढ़ती हुई समस्या के प्रमुख कारण हैं।
सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें
भारत की छवि तेजी से बढ़ते ऑटो उद्योग की है, लेकिन इसके साथ ही यह उन देशों में शामिल है, जहां सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें होती हैं। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Transport Minister Nitin Gadkari) के इस बारे में चिंता जताने से भी सूरत बदलेगी, इसकी आशा शायद ही किसी को होगी। गडकरी ने भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ के वार्षिक सम्मेलन में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में औसतन हर घंटे 53 सड़क हादसे होते हैं और 18 लोगों की मौत होती है। इसका मतलब है कि हर दिन 432 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। गडकरी ने यह भी बताया कि कुल सड़क दुर्घटनाओं में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी दो पहिया वाहनों की होती है। इसके अलावा, पैदल चलने वाले लोग भी लगभग 20 प्रतिशत दुर्घटनाओं के शिकार बनते हैं।
सड़क हादसों का समाधान: गडकरी के सुझाव और सरकारी जिम्मेदारी पर सवाल
भारत में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर इस गंभीर समस्या की ओर इशारा किया है। उन्होंने ऑटोमोबाइल कंपनियों के अधिकारियों से कहा कि वे सुरक्षित ड्राइविंग सिखाने वाले स्कूलों की संख्या बढ़ाएं। हालांकि, यह सुझाव महज सदिच्छा जैसा लगता है और इसे अमल में लाना एक चुनौती बनी हुई है।
गडकरी ने हादसों के एक बड़े कारण के रूप में सड़कों के असुरक्षित निर्माण को भी जिम्मेदार ठहराया, जिसकी जवाबदेही सीधे तौर पर सरकार की बनती है। उन्होंने कहा कि सड़कों की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार पहल कर रही है, लेकिन इस पहल के जमीन पर उतरने और इसके सकारात्मक परिणाम दिखने में कितना समय लगेगा, इस पर उन्होंने कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की।
यहां समस्या यह है कि गंभीर मसलों की जवाबदेही अक्सर दूसरों पर डाल दी जाती है, जो हमारी राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। जब बात सरकारी जिम्मेदारी की आती है, तो अधिकारी सामान्य बातें करके अपनी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं।
संभावित समाधान:
- सड़क सुरक्षा शिक्षा: सुरक्षित ड्राइविंग स्कूलों की स्थापना बढ़ाने और सड़क सुरक्षा के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग यातायात नियमों का पालन करें।
- सड़कों का सुरक्षित निर्माण: सड़कों के डिजाइन और गुणवत्ता में सुधार के लिए एक ठोस और जिम्मेदार योजना लागू की जानी चाहिए। इसके लिए विशेषज्ञों की मदद से रोड सेफ्टी ऑडिट्स करवाने की जरूरत है।
- कठोर यातायात नियम: यातायात नियमों के सख्त पालन के लिए बेहतर निगरानी और सख्त दंड व्यवस्था होनी चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
- तकनीकी सुधार: स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और सड़क सुरक्षा तकनीकों का उपयोग करके सड़क हादसों को कम किया जा सकता है।
जब तक सरकार और संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लेंगे और ठोस कदम नहीं उठाएंगे, तब तक सड़कों पर हादसे होते रहेंगे। हर स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना ही एकमात्र उपाय है जिससे भारत की सड़कों को सुरक्षित बनाया जा सकता है।