चौंकिए मत ! ममता के राज में मानव अंगों की हो रही तस्करी, आरजी कर अस्पताल में 200 करोड़ के घोटाले का संदेह

चौंकिए मत ! ममता के राज में मानव अंगों की हो रही तस्करी, आरजी कर अस्पताल में 200 करोड़ के घोटाले का संदेह

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, September 12, 2024

Updated On: Thursday, September 12, 2024

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुर्दाघर में कई वर्षों से शवों के अंगों की अवैध बिक्री का मामला सामने आया है। सीबीआई के जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि पिछले सात वर्षों में अंगों की तस्करी से 200 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। यह घोटाला राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों के मुर्दाघरों में भी फैल चुका है, जहां अज्ञात शवों से अवैध रूप से अंग निकाले जा रहे थे।

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुर्दाघर में मानव अंगों की अवैध बिक्री का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें सीबीआई (CBI) के जांचकर्ताओं ने पिछले सात वर्षों में 200 करोड़ रुपये के घोटाले का संदेह जताया है। इस खुलासे ने राज्य के चिकित्सा क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि यह घोटाला सिर्फ एक अस्पताल तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य सरकारी अस्पतालों के मुर्दाघरों में भी फैल चुका है।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, इन अंगों को चार से आठ लाख रुपये में बेचा जाता था और इनकी तस्करी न केवल देश के अन्य राज्यों, बल्कि एक पड़ोसी देश में भी की जाती थी। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि राज्य में चिकित्सा शिक्षा (Medical Education) के विस्तार के कारण अंगों की मांग बढ़ गई थी। खासकर दिल (Heart), लीवर (Liver), और किडनी (Kideny) जैसी अंगों की। नियमों के अनुसार, अज्ञात शवों को सात दिन बाद जला दिया जाना चाहिए और किसी भी अंग को निकालने के लिए स्वास्थ्य विभाग की अनुमति आवश्यक होती है। लेकिन इस मामले में डॉक्टरों का यह सिंडिकेट अवैध रूप से अंगों की बिक्री को नियंत्रित कर रहा था।

अख्तर अली (Akhtar Ali) से पूछताछ के बाद मुर्दाघर में चल रहे इस अवैध व्यापार का पता चला

आरजी कर अस्पताल के वित्तीय घोटाले की जांच के दौरान प्रमुख शिकायतकर्ता अख्तर अली से पूछताछ के बाद मुर्दाघर में चल रहे इस अवैध व्यापार का पता चला। जांचकर्ताओं को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी दो व्यक्तियों से भी सुराग मिला है, जिन्हें तीन बार पूछताछ के लिए बुलाया गया और अवैध अंग व्यापार के पुख्ता सबूत मिले।

सीबीआई ने पिछले सात वर्षों के पोस्टमॉर्टम रिकॉर्ड और लावारिस शवों से संबंधित दस्तावेजों की भी जांच की है, जिनमें कई अनियमितताएं पाई गई हैं। हालांकि, जांचकर्ताओं का मानना है कि यह घोटाला अभी पूरी तरह उजागर नहीं हुआ है और यह ‘हिमशैल की चोटी’ मात्र है।

अज्ञात शवों से अवैध रूप से अंग निकाले गए

सीबीआई (CBI) की जांच के अनुसार, इस घोटाले में अज्ञात शवों से अवैध रूप से अंग निकाले जा रहे थे और इन अंगों की तस्करी की जा रही थी। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह रैकेट अस्पताल के अधिकारियों, कर्मचारियों और बाहरी तस्करों के बीच मिलीभगत का नतीजा है, जो लंबे समय से बिना किसी डर के अपने घिनौने काम को अंजाम दे रहे थे।

200 करोड़ रुपये का घोटाला

सीबीआई का दावा है कि अंगों की अवैध तस्करी से पिछले सात वर्षों में करीब 200 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इसमें मानव अंगों की खरीद-फरोख्त के लिए एक संगठित नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसमें अस्पताल के कर्मचारी, स्थानीय एजेंट और अंतरराष्ट्रीय तस्कर शामिल हो सकते हैं।

अन्य सरकारी अस्पतालों में भी फैला घोटाला

यह घोटाला सिर्फ आरजी कर अस्पताल तक सीमित नहीं है। सीबीआई (CBI) की जांच में पता चला है कि राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों के मुर्दाघरों में भी यही धंधा चल रहा था, जहां अज्ञात और बेसहारा शवों को निशाना बनाकर अंगों की तस्करी की जा रही थी। दक्षिण बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में भी हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई थी, जहां मुर्दाघर से शवों की अवैध निकासी की कोशिश की गई थी। उस मामले में भी अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता का शक है, लेकिन जल्दी ही इस मामले को दबा दिया गया। जांचकर्ताओं का मान ना है कि राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों का एक सिंडिकेट इस अवैध व्यापार में शामिल है। आरजी कर अस्पताल के संदर्भ में संदीप घोष (Sandeep Ghosh) की भूमिका पर भी शक किया जा रहा है।

गंभीर जांच और सख्त कार्रवाई की मांग

इस मामले के सामने आने के बाद राज्य सरकार और चिकित्सा प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। आम जनता और सामाजिक संगठनों ने इस घोटाले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, अस्पतालों में मृतकों के शवों की सुरक्षा के लिए कठोर उपायों को लागू करने की भी मांग की जा रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।

(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

About the Author: सतीश झा
समसामायिक मुद्दों पर बीते दो दशक से लेखन। समाज को लोकदृष्टि से देखते हुए उसे शब्द रूप में सभी के सामने लाने की कोशिश।

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