मित्र और शत्रु दोनों है आपका मन: स्वामी स्वरूपानंद

मित्र और शत्रु दोनों है आपका मन: स्वामी स्वरूपानंद

Authored By: स्मिता

Published On: Saturday, October 26, 2024

swami chinmayanand
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कोई भी व्यक्ति तभी विकास कर सकता है, जब वह मन को एकाग्रचित्त कर पाता है। इसके बाद ही उसकी सोच उन्नत हो पाती है।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Saturday, October 26, 2024

स्वामी चिन्मयानंद की 108 वीं जयंती देश भर में मनाई जा रही है। इस अवसर पर चिन्मय मिशन के स्कूल और कॉलेज द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। चिन्मय डिग्री कॉलेज में आयोजित सामारोह में चिन्मय मिशन के ग्लोबल हेड स्वामी स्वरूपानंद ने मन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि मन ही मनुष्य का मित्र और शत्रु है। जयंती सामारोह के अंतर्गत एक माह के लिए सफाई पखवाड़ा भी मनाया गया। आज के दौर में गीता ज्ञान के उपयोग विषय पर छात्र-छात्राओं के साथ विचार गोष्ठी भी आयोजित की गई। भारतीय संत महात्माओं और विदुषियों के नाटकों का मंचन भी किया गया। इसी श्रृंखला में स्वामी स्वरूपानंद का चिन्मय डिग्री कॉलेज में आना (swami chinmayanand preachings) हुआ।

सांस्कृतिक पुनर्जागरण का नेतृत्व

स्वामी चिन्मयानंद 19 सदी के आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे पत्रकार थे। स्वामी चिन्मयानंद ने अपने मिशन के माध्यम से वैश्विक हिंदू आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का नेतृत्व किया। उन्होंने आध्यात्मिक ग्रंथों और मूल्यों को लोकप्रिय बनाया। उन्हें पूरे भारत और विदेश में अंग्रेजी में पढ़ाया।

मन को जीतना हो लक्ष्य

स्वामी स्वरूपानंद के अनुसार, हमें हर परिस्थिति में अपने मन की शक्ति से स्वयं को उन्नत करना चाहिए, क्योंकि मन स्वयं का मित्र भी है और शत्रु भी। मन को जीतने पर ही सुखी रहा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति तभी विकास कर सकता है, जब वह मन को एकाग्रचित्त कर पाता है। इसके बाद ही उसकी सोच उन्नत हो पाती है। अगर मन शांत है, तो एक सच्चे मित्र की भांति हर कदम पर साथ देगा। यदि मन अशांत है, तो वह कदम पर आपसे मांग करेगा। यह मांग नकारात्मक भी हो सकती है। इस तरह वह शत्रु का भी काम कर सकता है। चिन्मय मिशन का नेतृत्व पहले स्वामी तेजोमयानंद ने किया था और अब इसका नेतृत्व स्वामी स्वरूपानंद कर रहे हैं। पूरे भारत और विदेशों में 313 से ज़्यादा मिशन केंद्र हैं। उत्तरी अमेरिका में 30 से ज़्यादा केंद्र थे। वर्तमान में इसका संचालन मुंबई, भारत में सेंट्रल चिन्मय मिशन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिसके प्रमुख स्वामी स्वरूपानंद हैं।

अद्वैत दर्शन पर आधारित चिन्मय मिशन

चिन्मय मिशन अद्वैत दर्शन की समझ पर आधारित है। इसका लक्ष्य वेदांत के ज्ञान, आध्यात्मिक अभ्यास और समाज की सेवा के माध्यम से व्यक्तियों का आंतरिक परिवर्तन है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के आसपास एक खुशहाल दुनिया बन सकेगी। चिन्मय मिशन के विजन कार्यक्रम को चार शीर्षकों के अंतर्गत चिन्हित किया जाता है। एकीकृत विकास, भारतीय संस्कृति, देशभक्ति और सार्वभौमिक दृष्टिकोण। इन 4 महत्वपूर्ण विचारों के तहत आंतरिक विकास पर मुख्य रूप से जोर दिया जाता है। वास्तव में आध्यात्मिक यात्रा खुद के खोज की यात्रा नहीं है। यह पुनर्प्राप्ति की यात्रा है। यह अपनी आंतरिक प्रकृति को उजागर करने की यात्रा है। यह पहले से ही मौजूद है।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ) 

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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