Shree Mahakaleshwar Temple Shringar : भांग व ड्रायफ्रूट से ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार

Shree Mahakaleshwar Temple Shringar : भांग व ड्रायफ्रूट से ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, November 26, 2024

Updated On: Tuesday, November 26, 2024

shree mahakaleshwar temple shringar
shree mahakaleshwar temple shringar

भगवान महाकाल ने शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला धारण की। फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया।

Authored By: स्मिता

Updated On: Tuesday, November 26, 2024

उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को वैष्णव तिलक अर्पित कर आभूषण, रुद्राक्ष माला, रजत मुकुट पहनाया गया। भांग व ड्रायफ्रूट से दिव्य श्रृंगार किया गया। भगवान के इस दिव्य स्वरूप के हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं, उज्जैन में आज शाम भगवान महाकाल की कार्तिक-अगहन माह की अंतिम राजसी सवारी धूमधाम से निकाली जाएगी। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जानेंगे। इस दौरान भगवान दो स्वरूपों में भक्तों को दर्शन (Shree Mahakaleshwar Temple Shringar) देंगे।

दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से पंचामृत पूजन

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि परम्परा के अनुसार मार्गशीर्ष माह, कृष्ण पक्ष दशमी तिथि पर सोमवार तड़के 4:00 बजे मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद पण्डे-पुजारियों ने भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से पंचामृत पूजन किया। तत्पश्चात हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद भगवान महाकाल को वैष्णव तिलक, आभूषण, रुद्राक्ष माला और रजत मुकुट अर्पित किया गया। इसके बाद भांग, चन्दन और ड्रायफ्रूट से श्रृंगार कर भस्म चढ़ाई गई।

फल और मिष्ठान का भोग

भगवान महाकाल ने शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला धारण की। फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्मारती के दर्शन किए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने “जय श्री महाकाल” का उद्घोष भी किया।

कार्तिक-अगहन माह की अंतिम राजसी सवारी

महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि उज्जैन में महाकालेश्वर भगवान की कार्तिक-अगहन माह की अंतिम राजसी सवारी निकलेगी। सवारी निकलने के पहले सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन कर पालकी में विराजित किया जाएगा। सवारी पूरे लाव लश्कर के साथ नगर भ्रमण के लिए रवाना होगी। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान पालकी में विराजित भगवान के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप को सलामी देंगे। इसके बाद कारवां शिप्रा तट की ओर रवाना होगा।

क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन

सवारी मे पुलिस बैण्डज, घुड़सवार दल, सशस्त्रन पुलिस बल के जवान आदि शामिल रहेंगे। सवारी महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार कहारवाडी होते हुए रामघाट क्षिप्रातट पहुंचेगी, जहां क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन पश्चाेत भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यननारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।

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