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Ayurvedic Nature Test : राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान कर रहा प्रकृति परीक्षण
Ayurvedic Nature Test : राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान कर रहा प्रकृति परीक्षण
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, November 28, 2024
Updated On: Thursday, November 28, 2024
हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ के संतुलन से ही हम स्वस्थ रहते हैं। इनके कारण होने वाली बीमारियों से हम प्रकृति परीक्षण कराकर सुरक्षित रह सकते हैं।
Authored By: स्मिता
Updated On: Thursday, November 28, 2024
आमजन का स्वास्थ्य बेहतर हो, इसके लिए आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पूरे देश में प्रकृति परीक्षण किया जा रहा है। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानद विश्वविद्यालय जयपुर में कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा ने अपना प्रकृति परीक्षण करवा कर देश के प्रकृति परीक्षण अभियान का शुभारंभ किया।
कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आयुष मंत्रालय भारत सरकार की ओर से पूरे देश में प्रकृति परीक्षण का अभियान चलाया जा रहा है। इसका नाम देश का प्रकृति परीक्षण है। इस अभियान के अंतर्गत संस्थान में सभी चिकित्सकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और अस्पताल में आने वाले रोगियों और उनके परिजनों का प्रकृति परीक्षण किया जा रहा है। सभी देशवासी अपना प्रकृति परीक्षण करवा कर अपनी प्रकृति को जानें, ताकि जानकारी मिले कि उन्हें कौन-कौन सी बीमारियां (Ayurvedic Nature test) हो सकती हैं।
स्वस्थ रहने के लिए वात, पित्त और कफ का संतुलन
व्यक्ति किस तरह की चिकित्सा ले सकता है या किन-किन बीमारियों से वह अपना बचाव कर सकता है। यह प्रकृति परीक्षण हमारे लिए बहुत आवश्यक है। साथ ही हमारी चिकित्सा और देश के लिए भी बहुत आवश्यक है। देश में जो बीमारियां बढ़ रही हैं, उनके लिए समय पर कम करने का प्रयास किया जा सकेगा।
क्रिया शरीर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. छाजू राम यादव ने बताया, ‘हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ के संतुलन से ही हम स्वस्थ रहते हैं। इनके कारण होने वाली बीमारियों से हम प्रकृति परीक्षण कराकर सुरक्षित रह सकते हैं।
ऋतु के अनुसार मोबाइल एप पर जानकारी
प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है, जिसके कारण उनमें वात, पित्त और कफ के संतुलन नही होने के कारण कई रोग होते हैं। प्रकृति परीक्षण में आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन माध्यम से तैयार मोबाइल एप पर आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा उनसे शारीरिक और जीवन शैली से संबंधित जानकारी लेकर उनकी प्रकृति के विषय में जानकारी दी जाती है। जिससे उन्हें समय-समय पर आयुष मंत्रालय द्वारा जानकारी मिलती रहती है कि उन्हें अपने भोजन में ऋतु के अनुसार क्या क्या बदलाव करने के साथ ही जीवन शैली की आदतों में भी क्या-क्या सुधार करना है। इससे कि वह स्वस्थ रह सके और होने वाली बीमारियों से अपना बचाव कर सके। प्रधानमंत्री की पहल पर अब राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के चिकित्सकों द्वारा रोगियों और उनके परिजनों के साथ-साथ शहर और ग्रामीण इलाकों में भी आमजन का प्रकृति परीक्षण किया जाएगा।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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