Shahzadi Khan Death Row: आखिर कौन थी ‘शहजादी’ जिसे भारत से लेकर UAE तक मिला दर्द, बेवफा ब्यॉयफ्रेंड की वजह से मिली दर्दनाक मौत

Shahzadi Khan Death Row: आखिर कौन थी ‘शहजादी’ जिसे भारत से लेकर UAE तक मिला दर्द, बेवफा ब्यॉयफ्रेंड की वजह से मिली दर्दनाक मौत

Authored By: JP Yadav

Published On: Tuesday, March 4, 2025

Updated On: Tuesday, March 4, 2025

Shahzadi Khan Death Row: आखिर कौन थी 'शहजादी' जिसे भारत से लेकर UAE तक मिला दर्द, बेवफा ब्यॉयफ्रेंड की वजह से मिली दर्दनाक मौत
Shahzadi Khan Death Row: आखिर कौन थी 'शहजादी' जिसे भारत से लेकर UAE तक मिला दर्द, बेवफा ब्यॉयफ्रेंड की वजह से मिली दर्दनाक मौत

Shahzadi Khan Death Row: अबूधाबी में फांसी से पहले अंतिम बार फोन कॉल में शहजादी ने अपने पिता को किया था. शहजादी ने पिता से कहा था कि अब्बू मैं बेकसूर हूं.

Authored By: JP Yadav

Updated On: Tuesday, March 4, 2025

Shahzadi Khan Death Row: कहते हैं कि मरते वक्त या मरने से पहले कोई शख्स झूठ नहीं बोलता है. यह फलसफा सदियों से चला आ रहा है. भारत की ‘शहजादी’ खान की अबूधाबी (UAE) में मौत या कहें ‘हत्या’, ने करोड़ों लोगों को झकझोर दिया है. अबू धाबी में 4 महीने के मासूम की हत्या के मामले में भारत की रहने वाली युवती शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दे दी गई. सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में शहजादी के पिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये जानकारी विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई. शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दे दी गई. वहीं, इससे पहले पहले फोन पर अपने 70 वर्षीय पिता से बात करने के दौरान शहजादी ने कहा था कि वह बेकसूर है. 4 महीने का मासूम बीमारी के चलते मरा, जबकि उस पर गलत इल्जाम लगाया गया है.

8 साल की उम्र से बदकिस्मती का साया

इसे शहजादी खान की बदकिस्मती ही कहा जाएगा कि वह जिंदगी भर सच्चे प्यार और खुशनुमां जिंदगी को तरसती रही. यूपी के बांदा की रहने वाली शहजादी खान (Shahzadi Khan) बेहद सामान्य परिवार से थी. 8 साल की थी जब रसोई में उसके चेहरे पर खौलता हुआ पानी गिर गया था. चेहरा बुरी तरह से जल गया, लेकिन उसके परिवार के पास इलाज के पैसे नहीं थे. वह इस मंशा के साथ जीने लगी कि वह पढ़-लिख कर एक दिन इतने पैसे कमाएगी कि अपना चेहरा ठीक करवा सके. यह संभव नहीं हो सका और वह चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी नहीं करवा सकी.

मिला प्यार में धोखा

मिली जाननकारी के अनुसार, कोरोना के दौर में यानी वर्ष 2020 में शहजादी की सोशल मीडिया के जरिए मुलाकात आगरा के रहने वाले उजैर से हुई. सोशल मीडिया पर ही दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ने लगा. शहजादी को प्रेमी उजैर झुलसे हुए चेहरे के साथ अपनाने के लिए जो तैयार था, इस बात से वह बहुत खुश थी. इसके चलते वह बहुत अधिक भरोसा भी करने लगी थी. एक साल बीता था जान पहचान को. फिर भी वर्ष 2021 में शहजादी चेहरे के इलाज के लिए प्रेमी उजैर के कहने पर अबू धाबी जाने के लिए राजी हो गई. शहजादी अपने साथ 90 हजार रुपये और कुछ जेवरात लेकर वह एक अनजान देश पहुंच तो गई. इसके बाद उसे धोखा मिला जिसका पता उसे कुछ समय बाद चला. सिर्फ डेढ़ लाख रुपये में उजैर ने शहजादी को नौकरानी बना दिया.

प्रेमी ने बेच दिया शहजादी को

प्रेमी उजैर ने शहजादी को अबू धाबी में अपनी फूफी नाजिया के घर भेज दिया था. दरअसल, एक तरह से उजैर ने शहजादी को फूफी नाजिया के हाथों बेच दिया था. समय गुजरने के साथ उसे खुद के बेचे जाने और उजैर की बेवफाई का एहसास हुआ. उसका पासपोर्ट नाजिया और उसके पति के पास था. वह न तो देश छोड़कर जा सकती थी और न ही उसे बाहर नौकरी करने की अनुमति मिल रही थी.

मासूम की मौत का इल्जाम

नाजिया के बच्चे की देख-रेख शहजादी करती थी. 4 महीने के बच्चे को रुटीन का टीका लगाया गया. किन्हीं कारणों के चलते कुछ ही घंटों बाद बच्चे की मौत हो गई. नाजिया और उसके पति ने अस्पताल पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और बच्चे को दफना दिया. इसके बाद नाजिया और उसके पति ने शहजादी से जबरन यह कबूल करवाया कि उसने बच्चे को गला घोंटकर मारा है. एक वीडियो में उन्होंने शहजादी के हाथों बच्चे की मौत की बात कबूल करवाई और कबूलनामे का वीडियो फोन में बना उसे पुलिस स्टेशन ले जाकर पुलिस के हवाले कर दिया.

31 जुलाई को सुनाई गई थी मौत की सजा

इसके बाद मुकदमा चला और शहजादी को मौत की सजा सुनाई गई. उसके बूढ़े माता-पिता को 20 सितंबर 2024 के बाद उनकी बेटी को कभी भी मौत की सजा दी जा सकती है. माता-पिता ने नेताओं, फिल्मी हस्तियों और वकीलों से लेकर भारत सरकार तक से गुहार लगाई, लेकिन सब बेकार रहा. शहजादी खान 10 फरवरी, 2023 से अबू धाबी पुलिस की हिरासत में थी और उसे 31 जुलाई, 2023 को मौत की सजा सुनाई गई थी. फांसी दे दी गई है और दफनाया अबू धाबी में पांच मार्च को जाएगा.

About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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