Obesity Epidemic 2050 : भारत की एक तिहाई आबादी 2050 तक हो जाएगी मोटी, लांसेट स्टडी

Obesity Epidemic 2050 : भारत की एक तिहाई आबादी 2050 तक हो जाएगी मोटी, लांसेट स्टडी

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, March 4, 2025

Updated On: Tuesday, March 4, 2025

2050 तक भारत में मोटापा महामारी का रूप ले सकता है, लांसेट स्टडी
2050 तक भारत में मोटापा महामारी का रूप ले सकता है, लांसेट स्टडी

Obesity Epidemic 2050: प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन निष्कर्ष बताते हैं कि भारत में मोटापे को आधिकारिक तौर पर एक प्रमुख नॉन कोम्मुनिकेबल डिजीज के रूप में मान्यता दे देनी चाहिए. 2050 तक भारत में आधे से अधिक वयस्क और एक तिहाई बच्चे और किशोर अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त (Obesity Epidemic 2050) हो जाएंगे.

Authored By: स्मिता

Updated On: Tuesday, March 4, 2025

Obesity Epidemic 2050: मेडिकल जर्नल लैंसेट के अध्ययन में यह साफ़ तौर पर कहा गया है कि भारत में 2050 तक 21.8 करोड़ पुरुष और 23.1 करोड़ महिलाएं अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होंगी. कुल मिलाकर 44.9 करोड़ या देश की अनुमानित आबादी का लगभग एक तिहाई लोग मोटे होंगे. वैश्विक स्तर पर आधे से अधिक वयस्क और एक तिहाई बच्चे और किशोर अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो जाएंगे. चिंताजनक रूप से मोटापे का प्रचलन बड़े किशोरों में या 15 से 24 वर्ष की आयु के लोगों में बढ़ (Obesity Epidemic 2050) जाएगा.

मोटापे में भारत ने चीन और अमेरिका को पछाड़ा

युवा पुरुषों में अधिक वजन या मोटापे का प्रचलन 1990 में 0.4 करोड़ से बढ़कर 2021 में 1.68 करोड़ हो गया. 2050 तक 2.27 करोड़ तक बढ़ने का अनुमान है. युवा महिलाओं में यह संख्या 1990 में 0.33 करोड़ से बढ़कर 2021 में 1.3 करोड़ हो गई है. 2050 में 1.69 करोड़ तक जाने का अनुमान है. 2021 में पूर्ण संख्या के मामले में भारत इस श्रेणी में शीर्ष पर रहा, जिसने चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ दिया जो 1990 में आगे थे.

टाइप 2 डायबिटीज और ह्रदय रोग का बढ़ जाता है खतरा (Type 2 Diabetes and Heart Disease Risks)

यह अनुमानित वृद्धि इस बात को देखते हुए चिंताजनक है कि 2021 में दुनिया के आधे मोटे और अधिक वजन वाले वयस्क भारत सहित आठ देशों में रहते थे. बचपन में लगातार कुपोषण और व्यापक संक्रामक रोगों के साथ मिलकर मोटापा बीमारी के अतिरिक्त बोझ के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को पंगु बना सकता है. अध्ययन में आगे कहा गया है कि बचपन में कुपोषण भी वसा ऊतकों में ऊर्जा के संचय जैसे अनुकूलन को ट्रिगर करता है, इससे वयस्कता में मोटापा होता है. इससे टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और कुछ कैंसर जैसे कई जीवनशैली संबंधी विकारों के जल्दी शुरू होने का खतरा बढ़ जाता है.

मोटापा क्यों बढ़ रहा है (Cause of Obesity)

मोटापे की महामारी को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारणों में से एक नमक, चीनी और वसा से भरपूर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत में वृद्धि है. बहुराष्ट्रीय खाद्य और पेय निगम, फास्ट-फूड चेन अपने निवेश को उच्च आय वाले देशों से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्थानांतरित कर रहे हैं. यहां जनसंख्या वृद्धि, प्रति व्यक्ति आय में सुधार और कमजोर नियमों ने विस्तार के लिए अनुकूल बाजार बनाए जाते हैं. अध्ययन के अनुसार, 2009 और 2019 के बीच प्रति व्यक्ति अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य और पेय पदार्थों की बिक्री में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि कैमरून, भारत और वियतनाम में देखी गई है. बढ़ते शहरीकरण के कारण शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं. काम-काज डेस्क पर ही सीमित रह गया है. परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट, ट्रांस वसा और शर्करा से भरपूर कैलोरी वाले फ़ूड, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की ओर बदलाव ने वजन बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. काम से संबंधित तनाव, खराब नींद और मानसिक स्वास्थ्य विकारों को मोटापे से जोड़ा गया है.

मोटापा को कंट्रोल कैसे करें (Obesity Control)

स्वस्थ आहार, सक्रियता और जीवनशैली में बदलाव लाकर मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है. खाना हमेशा हेल्दी खाना चाहिए. ताजा बना खाना, विटामिन और मिनरल से भरपूर भोजन लेना चाहिए. सप्ताह में तीन से चार दिन कम से कम 60 मिनट मध्यम से तीव्र शारीरिक गतिविधि करें. दिन भर सक्रिय रहने के तरीके खोजें, जैसे सीढ़ियां चढ़ना या पुश-अप करना.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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