Debt Trap: पांच खराब वित्तीय आदतें, जो आपको कर्ज के जाल में फंसा सकती हैं

Debt Trap: पांच खराब वित्तीय आदतें, जो आपको कर्ज के जाल में फंसा सकती हैं

Authored By: Suman

Published On: Monday, March 10, 2025

Updated On: Monday, March 10, 2025

कर्ज के जाल से बचने के लिए इन 5 खराब वित्तीय आदतों से बचें
कर्ज के जाल से बचने के लिए इन 5 खराब वित्तीय आदतों से बचें

अगर आपको अपनी वित्तीय सेहत सही रखनी है तो अपनी आदतें भी दुरुस्त रखनी होंगी. ऐसी कई आदतें होती हैं जो व्यक्ति के कर्ज का बोझ बढ़ाती है और कर्ज जाल में फंसा देती हैं. ऐसी आदतों से बचकर रहना चाहिए.

Authored By: Suman

Updated On: Monday, March 10, 2025

आजकल ज्यादातर लोगों के लिए आमदनी अठन्नी और खर्च रुपैया की हालत होती है यानी इनकम सीमित होती है और खर्च बहुत ज्यादा. इसकी वजह से उनकी वित्तीय सेहत गड़बड़ हो जाती है. अगर आपको अपनी वित्तीय सेहत सही रखनी है तो अपनी आदतें भी दुरुस्त रखनी होंगी. ऐसी कई आदतें होती हैं जो व्यक्ति के कर्ज का बोझ बढ़ाती है और कर्ज जाल (Debt Trap) में फंसा देती हैं. ऐसी आदतों से बचकर रहना चाहिए. ऐसी पांच आदतों के बारे में आज आपको बताते हैं.

बजट न बनाना

अगर आपका अपने महीने के खर्च का कोई बजट (Budget) या प्लान नहीं है, आप अपने खर्चों पर निगरानी नहीं रखते तो यह तय है कि आपकी वित्तीय सेहत गड़बड़ हो जाएगी और आपके कर्ज के जाल में फंसने की गुंजाइश बनी रहेगी. अपने पूरे महीने का एक बजट बनाएं और खर्च के लिए समुचित ढंग से प्लानिंग करें. इसमें यह तय करें कि आपकी प्रायरिटी वाले खर्च कौन से हैं और किन खर्चों को नजरअंदाज किया जा सकता है. ध्यान रहे कि खर्च के मामले में आप अपनी जरूरतों पर ध्यान दें , भावनाओं पर नहीं. इससे आप ओवर स्पेंडिंग यानी जरूरत से ज्यादा खर्च से बच जाएंगे.

क्रेडिट कार्ड पर बहुत ज्यादा निर्भरता

आजकल ज्यादातर लोगों के पास क्रेडिट कार्ड (Credit Card) होता है. इस पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जा रही है क्योंकि इनसे आसानी से कर्ज मिल जाता है. आप क्रेडिट कार्ड के जरिये ऑनलाइन या ऑफलाइन कहीं भी आसानी से खरीद सकते हैं. लेकिन क्रेडिट कार्ड पर ब्याज बहुत ज्यादा 25 से 30 फीसदी सालाना होता है. इसकी वजह से लोग अक्सर कर्ज चुका नहीं पाते. ऐसे कई लोग हर महीने मिनिमिम अमाउंट देकर कर्ज को आगे बढ़ाते रहते हैं, और एक तरह के ट्रैप में फंस जाते हैं. कई बार लोग मंथली पेमेंट नहीं कर पाते जिसका उनके क्रेडिट स्कोर पर काफी बुरा असर पड़ता है.

इमरजेंसी फंड न बनाना

किसी भी व्यक्ति के वित्तीय सेहत के लिए सबसे पहले जरूरी यह है कि उसके पास एक इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) हो. आजकल खासकर निजी क्षेत्र की नौकरियों में काफी उतार-चढ़ाव रहता है, कई बार लोगों की नौकरी चली जाती है. इसी तरह सेल्फ एम्प्लॉयड लोगों के जीवन में भी काफी उतार-चढ़ाव आता है. इसी तरह सब कुछ सामान्य चल रहा हो तो भी अचानक कोई मेडिकल इमरजेंसी आ सकती है. ऐसे में आपके लिए इमजरेंसी फंड ही मददगार हो सकता है. आदर्श रूप में देखें तो आपके मंथली इनकम का कम से कम छह गुना का एक इमरजेंसी फंड होना चाहिए. यह बैंक या ऐसे लिक्विड म्यूचुअल फंड में जमा होना चाहिए जिसको आप जरूरत पड़ने पर तत्काल निकाल सकें. अगर आपके पास ऐसा फंड नहीं है तो आप क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन लेकर खर्च पूरा करने की कोशिश करेंगे और आपके कर्ज जाल में फंसने की पूरी गुंजाइश रहेगी.

वित्तीय साक्षरता को नजरअंदाज करना

वेल्थ यानी संपदा बनाने के मामले में नॉलेज की बहुत अहम भूमिका होती है. आप अगर पैसा कमा रहे हैं तो आपको उसे मैनेज करने आना चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि आप वित्तीय रूप से साक्षर यानी जागरूक हों. आपको बजट, सेविंग (Saving), निवेश (Investment), कर्ज के प्रबंधन जैसे पर्सनल फाइनेंस की बुनियादी बातों की समझ होनी चाहिए. अगर आप इस तरह की बेसिक नॉलेज नहीं रखेंगे तो सही डिसीजन नहीं ले पाएंगे और लॉन्ग टर्म में आपके कर्ज के जाल में फंसने की आशंका रहेगी. तो अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए वित्तीय जानकारी देने वाली वेबसाइट, न्यूजपेपर, चैनल देखते रहें और अच्छी किताबें पढ़ें.

छोटे खर्च बड़े संकट

अक्सर लोग हर दिन ऐसे तमाम छोटे खर्च करते हैं जो धीरे-धीरे करके महीने के अंत में इतने बड़े हो जाते हैं कि उन्हें समझ नहीं आता कि ये क्या हो गया. उदाहरण के लिए अगर आप किसी जगह पब्लिक ट्रासपोर्ट से 20 रुपये में पहुंचते हैं तो वहीं ऑटो या टैक्सी से जाने में 150 से 200 रुपये तक खर्च हो जाते हैं. आपको दिन भर बाहर रहना है और आप घर से ​टिफिन में कुछ खाना या फ्रूट्स लेकर नहीं निकलते हैं तो आपको बाहर खाने या नाश्ते पर 100 से 200 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. बाहर एक कॉफी पीने पर भी 50 से 100 रुपये तक खर्च हो जाते हैं. हर दिन के ऐसे छोटे-छोटे खर्च भी आपके लिए महीने के अंत में कई हजार का चूना लगा जाते हैं, जबकि थोड़ी सी प्लानिंग कर आप इन्हें बचा सकते थे. अगर आप इन खर्चों का सही मैनेजमेंट नहीं करते तो आपको कर्ज के जाल में फंसने से कोई नहीं बचा सकता.

About the Author: Suman
सुमन गुप्ता एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो आर्थिक और राजनीतिक विषयों पर अच्छी पकड़ रखती हैं। कई पत्र—पत्रिकाओं के लिए पिछले दस साल से स्वतंत्र रूप से लेखन। राष्ट्रीय राजनीति, कोर इकोनॉमी, पर्सनल फाइनेंस, शेयर बाजार आदि से जुड़े उनके सैकड़ों रिपोर्ट, आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।
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