Holi 2025 : होली के अवसर पर जानें मौन के रंग को

Holi 2025 : होली के अवसर पर जानें मौन के रंग को

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, March 13, 2025

Updated On: Thursday, March 13, 2025

नीले आकाश और हरियाली के बीच आत्मचिंतन करते व्यक्ति की छवि, जो होली 2025 के अवसर पर मौन के रंगों को महसूस कर रहा है।
नीले आकाश और हरियाली के बीच आत्मचिंतन करते व्यक्ति की छवि, जो होली 2025 के अवसर पर मौन के रंगों को महसूस कर रहा है।

Holi 2025 : जब आप चुपचाप नीला आकाश निहारते हैं या प्रकृति की हरियाली को आत्मसात करने की कोशिश करते हैं, तो उनका रंग आपके तन-मन को भिगोने लगता है. आप तरंगित होने लगते हैं। क्या यह मौन का रंग है? होली के अवसर पर जानें मौन के रंग.

Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, March 13, 2025

Holi 2025 : फ्रांसीसी लेखक रोमा रोलां ‘लाइफ ऑफ विवेकानंद एंड दि यूनिवर्सल गॉस्पेलÓ किताब में लिखते हैं, ‘स्वामी विवेकानंद को हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के आसपास भ्रमण करना और रहना बेहद पसंद था. अनंत सीमाओं तक फैली बर्फ की सफेदी उनके मन में असीम ऊर्जा का संचार करती थी. जब भी उन्हें देश और समाज की समस्याएं परेशान करतीं, स्वयं को प्रकृति की ऊर्जा से अनुप्राणित करने के लिए हल्द्वानी-अल्मोड़ा की यात्रा करते. दरअसल, ऐसी जगहों पर वे मौन रहकर वे सिर्फ स्वयं से संवाद करते थे. होली के अवसर पर जानें मौन के रंग (Holi 2025) को…

मौन का सफेद रंग

मौन का सफेद रंग उनके अंतर्मन में उठते विचारों को शांति और शाीतलता प्रदान करता था. प्रकृति और मौन के बीच बड़ा ही सुंदर तालमेल है. जब हम प्रकृति के बीच मौन खड़े होते हैं, तो हमारा औरों से संवाद टूट जाता है. हम सिर्फ प्रकृति की आवाज सुनते हैं. उसकी सुंदरता पर मौन होकर मुग्ध होते रहते हैं. सफेद बर्फ के साथ-साथ नीला आकाश, सूर्य के धवल प्रकाश, दुधिया चांदनी, पेड़-पौधों की हरीतिमा या समुद्र के मटमैले रंग पर जब आपकी दृष्टि पड़ती है, तो उसका रंग आपके मनो-मस्तिष्क को झंकृत कर देता है. मानो आप गहरी नींद से जागे हों.

नीले आकाश में शांति का रंग

बोलते-बोलते अगर थक गए हों या आसपास के शोरगुल परेशान करने लगे हों, तो घर के किसी कोने में चुपचाप एकांत होकर बैठ जाएं. यह सच है कि शोर-शराबे के बीच हम अपने आसपास की आवाजों, अनुभवों को तटस्थ भाव से दर्ज करते रहते हैं. इसलिए प्रकृति के बीच जाने का हमें कोई अवसर नहीं चूकना चाहिए. नीला आकाश या नीली नदी हमें अंदर तक शांत कर सकती है. जैसे ही ये दिखें बस वहीं शांत बैठ जाएं. उनकी नीलिमा को निहारते रहें. यह अनुभव न सिर्फ आपको अंतमुर्खी बनाता है, बल्कि आपके विचलित मन को भी शांत कर देता है. ‘समाधि के नृत्य-गीतÓ किताब में ओशो कहते हैं कि नीला रंग आध्यात्मिक रंगों में से एक है. यह शांति का, मौन का रंग है. यह थिरता का, विश्राम का, लीनता का रंग है.

केसरिया सूर्य की सात्विकता

सुबह के उगते सूरज को मौन रहकर निहारें. आसपास कोयल की कूक, खिलती कली, वृक्षों की लताओं के बीच घूमती आनंद-मग्न हवाएं. इस अपार सौंदर्य को देखकर कुछ समय बाद आप विस्मय विमुग्ध हो जाते हैं. आपके विचार थम जाते हैं. अंतराकाश पर सूर्य यानी उत्साह का केसरिया रंग बिखर जाता है. यही वजह है कि ईसा पूर्व में भारत को एक सूत्र में बांधने वाले चाणक्य ब्रह्मïमुहुर्त के बाद उगने वाले सूर्य से साक्षात्कार करने को कहते थे. कई चक्रवर्ती सम्राट और दार्शनिक भी सूर्य की आराधना करते थे. सूर्य का सफेद रंग उत्साह, संयम और सात्विकता बढ़ाता है। सुषुप्तावस्था में पड़ा आपका मन जाग्रत हो जाता है और आप सुकर्म करने के लिए प्रेरित होते हैं. मन में लहरों की तरह उठने वाले सकारात्मक विचार किसी भी व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता को श्रेष्ठता प्रदान कर सकती है. तभी तो राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर कहते हैं, ‘ विधाता ने हमें नगरों में ईंट एवं गारे के बीच जन्म लेने के उद्देश्य से नहीं बनाया. वृक्ष, पौधे, शुद्ध, वायु, स्वच्छ तालाब पुस्तक, परीक्षा और रोजगार से कम आवश्यक नही हैं.

प्रकृति की हरियाली के हरे रंग का आनंद

आपस में बातें करते-टकराते हरे बांस के पेड़, पीपल और केले के हरे-भरे पत्ते। प्रकृति तब और हरी-भरी हो जाती है जब पतझड़ के बाद वसंत ऋतु आती है. तब चिडिय़ा भी कुछ क्षण चहचहाना और कूकना छोड़ मौन होकर प्रकृति की हरियाली को निहारने लगती है. यदि आप इस दृश्य को आत्मसात करेंगे, तो जीवन का गूढ़ दर्शन समझ में आ जाएगा. शीत से झुलसे पेड़ों और झरे हुए पत्तों के बाद नई कोंपलें वसंत में ही आती हैं. यह हमें बताता है कि जीवन किसी एक बिंदू पर ठहरता नहीं है. यह चलता रहता है निरंतर…। यही निरंतरता हम सभी में उम्मीद जगाती है. मानो पूरे जीवन की थकावट दूर हो गई। स्फूर्ति और आनंद से भरपूर हो जाते हैं हम.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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