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Best Places to Visit Jaipur – गलियों से किलों तक, एक शाही शहर की 12 शानदार सैर
Best Places to Visit Jaipur – गलियों से किलों तक, एक शाही शहर की 12 शानदार सैर
Authored By: Nishant Singh
Published On: Monday, July 7, 2025
Last Updated On: Monday, July 7, 2025
जयपुर, यानी गुलाबी शहर, हर उस मुसाफ़िर के लिए जादू से कम नहीं जो इतिहास, कला और संस्कृति का दीवाना है. यहां की हर गली, हर महल और हर किला एक कहानी सुनाता है. अगर आप परिवार या दोस्तों के साथ जयपुर में घूमने लायक जगहें सोच रहे हैं, तो इस लेख में आपको मिलेंगी Best Places to Visit Jaipur, आमेर किला से लेकर हवा महल, सिटी पैलेस से चोखी ढाणी तक. यह एक ऐसा सफर है, जो आपके दिल और कैमरे दोनों में बस जाएगा. चलिए, जयपुर की शाही गलियों में कुछ खास तलाशते हैं!
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Monday, July 7, 2025
अगर कभी समय में पीछे जाकर राजाओं की दुनिया को महसूस करना चाहें, तो एक बार राजस्थान की राजधानी जयपुर, यानी ‘गुलाबी नगर’ ज़रूर आइए. गुलाबी रंग से सजा ये शहर सिर्फ इमारतों का संग्राह नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और परंपराओं की जीवित तस्वीर है. यहां की हवाओं में कहानियां हैं, महलों में राजसी ठाठ और गलियों में रंग-बिरंगी ज़िंदगी. जयपुर की सबसे खास बात है कि हर उम्र, हर रुचि और हर सफर के लिए कुछ न कुछ खास छुपा है. चाहे आप इतिहास प्रेमी हों या फोटोग्राफी के शौकीन, खाने के दीवाने हों या शांति के तलाश में यहां घूमने की बेशुमार जगहें हैं. इस लेख में हम आपके लिए चुनकर लाए हैं best places to visit in Jaipur, जो आपकी ट्रैवल डायरी को रंगों से भर देंगे और दिल में हमेशा के लिए बस जाएंगे.
आमेर किला (Amber Fort)

हवा महल को ‘पैलेस ऑफ विंड्स’ कहा जाता है और यह जयपुर का एक पहचान चिन्ह बन चुका है. यह best places to visit in Jaipur में से सवसे प्रसिद्ध है. इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था ताकि राजघराने की महिलाएं बिना देखे बाहर का जीवन देख सकें. महल की 5 मंजिलों में कुल 953 झरोखे हैं, जिनसे ठंडी हवा का संचार होता है. गुलाबी बलुआ पत्थर से बना यह महल वास्तुकला का अद्वितीय नमूना है. इसके झरोखे, नक्काशी और गुलाबी रंग पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. महल के सामने बनी सड़क और आसपास की दुकानों से इसे देखने का अनुभव बेहद रोचक होता है.
प्रमुख आकर्षण:
- 953 झरोखे
- राजस्थानी और मुग़ल वास्तुकला
- आसपास का बाजार
- फोटो खिंचवाने के लिए प्रसिद्ध स्थल
विवरण | जानकारी |
---|---|
समय | सुबह 9:00 बजे – शाम 5:00 बजे |
भारतीय शुल्क | ₹50 |
विदेशी शुल्क | ₹200 |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | बाड़ी चौपर |
हवा महल (Hawa Mahal)

हवा महल को ‘पैलेस ऑफ विंड्स’ कहा जाता है और यह जयपुर का एक पहचान चिन्ह बन चुका है. यह best places to visit in Jaipur में से सवसे प्रसिद्ध है. इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था ताकि राजघराने की महिलाएं बिना देखे बाहर का जीवन देख सकें. महल की 5 मंजिलों में कुल 953 झरोखे हैं, जिनसे ठंडी हवा का संचार होता है. गुलाबी बलुआ पत्थर से बना यह महल वास्तुकला का अद्वितीय नमूना है. इसके झरोखे, नक्काशी और गुलाबी रंग पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. महल के सामने बनी सड़क और आसपास की दुकानों से इसे देखने का अनुभव बेहद रोचक होता है.
प्रमुख आकर्षण:
- 953 झरोखे
- राजस्थानी और मुग़ल वास्तुकला
- आसपास का बाजार
- फोटो खिंचवाने के लिए प्रसिद्ध स्थल
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 9:00 बजे – शाम 5:00 बजे |
भारतीय शुल्क | ₹50 |
विदेशी शुल्क | ₹200 |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | बाड़ी चौपर |
सिटी पैलेस (City Palace)

JAIPUR का सिटी पैलेस एक ऐतिहासिक राजमहल है जो राजपूताना वैभव और मुग़ल स्थापत्य कला का मिश्रण प्रस्तुत करता है. यह महल सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा 1727 में बनवाया गया था. महल परिसर में कई छोटे-बड़े महल हैं जैसे चंद्र महल और मुबारक महल, जिनमें आज भी शाही परिवार निवास करता है. सिटी पैलेस में वस्त्रों, हथियारों और कलाकृतियों का संग्रह देखने लायक है. इसके विशाल आंगन, सजावटी द्वार और दरबार हॉल इसकी भव्यता को दर्शाते हैं. महल का एक भाग अब संग्रहालय के रूप में आम जनता के लिए खुला है.
प्रमुख आकर्षण:
- चंद्र महल और मुबारक महल
- शाही वस्त्र और अस्त्र-शस्त्र संग्रह
- चार सुंदर दरवाज़े – ऋतुओं का प्रतीक
- दरबार हॉल
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 9:30 बजे – शाम 5:00 बजे |
भारतीय शुल्क | ₹200 |
विदेशी शुल्क | ₹700 |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | त्रिपोलिया बाजार |
जंतर मंतर (Jantar Mantar)

जंतर मंतर एक खगोलीय वेधशाला है जिसे महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में बनवाया था. यह 19 विशाल खगोलीय यंत्रों का संग्रह है जो ग्रहों, तारों और समय की सटीक गणना के लिए बनाए गए थे. इसका सबसे प्रसिद्ध यंत्र है ‘सम्राट यंत्र’, जो विश्व की सबसे बड़ी सौर घड़ी है. यहां वैज्ञानिक सोच और वास्तुकला का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है. यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. यह स्थान विज्ञान के विद्यार्थियों और खगोल प्रेमियों के लिए किसी तीर्थ स्थान से कम नहीं है.
प्रमुख आकर्षण:
- सम्राट यंत्र – विशाल सूरज घड़ी
- जय प्रकाश यंत्र
- खगोलीय गणना उपकरण
- UNESCO विश्व धरोहर स्थल
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 9:00 बजे – शाम 4:30 बजे |
भारतीय शुल्क | ₹50 |
विदेशी शुल्क | ₹200 |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | सिटी पैलेस |
जल महल (Jal Mahal)

मान सागर झील के मध्य में स्थित जल महल जयपुर की एक अनोखी और रहस्यमयी संरचना है. यह महल पानी के ऊपर तैरता हुआ प्रतीत होता है और मुख्य रूप से शिकारगाह और विश्राम स्थल के रूप में बनाया गया था. इसके पांच मंजिलों में से चार पानी के अंदर डूबी रहती हैं. बाहर से यह लाल पत्थरों से बना हुआ है, जो झील की नीली पृष्ठभूमि में अत्यंत सुंदर दिखता है. सूर्यास्त के समय इसका प्रतिबिंब पानी में पड़ता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है. झील के किनारे बैठकर यहां शांति का अनुभव किया जा सकता है.
प्रमुख आकर्षण:
- झील के बीच स्थित महल
- शांत वातावरण और पक्षी विहार
- सूर्यास्त के समय खूबसूरत दृश्य
- बोटिंग (यदि उपलब्ध हो)
विवरण | जानकारी |
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समय | केवल बाहरी दृश्य संभव |
भारतीय शुल्क | नहीं |
विदेशी शुल्क | नहीं |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | जल महल बस स्टॉप |
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम (Albert Hall Museum)

अल्बर्ट हॉल म्यूजियम राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है, जिसे 1887 में महाराजा सवाई राम सिंह ने बनवाया था. यह राम निवास गार्डन के बीच में स्थित है और इसकी वास्तुकला इंडो-सारासेनिक शैली में बनी है. संग्रहालय में प्राचीन सिक्के, कलाकृतियां, चित्रकला, ममी, शस्त्र और वाद्य यंत्रों का अद्भुत संग्रह है. मिस्र की ममी यहां का विशेष आकर्षण है, जिसे देखने हज़ारों लोग आते हैं. संग्रहालय का बाहरी हिस्सा रात के समय रोशनी में नहाकर और भी सुंदर दिखता है. इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह एक खजाने जैसा स्थल है.
प्रमुख आकर्षण:
- मिस्र की असली ममी
- लोक कला, चित्रकला और वाद्य यंत्र
- राजस्थानी वेशभूषा और शस्त्र
- संग्रहालय भवन की रोशनी (रात में)
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 9:00 बजे – शाम 5:00 बजे |
भारतीय शुल्क | ₹40 |
विदेशी शुल्क | ₹300 |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | राम निवास गार्डन |
नाहरगढ़ किला (Nahargarh Fort)

अरावली पहाड़ियों पर स्थित नाहरगढ़ किला कभी जयपुर की सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा हुआ करता था. इसका निर्माण 1734 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था. यहां से पूरे जयपुर शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. पहले यह शिकारगाह और गर्मियों का विश्राम स्थल था. किले के अंदर मादो महल और कुछ छोटे महल हैं जो भव्य चित्रों और स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां बने कैफ़े और रेस्टोरेंट युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. सूर्यास्त के समय यह किला फोटोग्राफी और सैर के लिए बेहतरीन स्थान बन जाता है.
प्रमुख आकर्षण:
- शहर का पैनोरमिक दृश्य
- मादो महल
- कैफे और रेस्टोरेंट
- सूर्यास्त का दृश्य
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 10:00 बजे – शाम 6:00 बजे |
भारतीय शुल्क | ₹50 |
विदेशी शुल्क | ₹200 |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | त्रिपोलिया बाज़ार से टैक्सी |
जयगढ़ किला (Jaigarh Fort)

जयगढ़ किला आमेर किले के पास ही स्थित है और इसे “किलों का किला” कहा जाता है. इसका निर्माण 1726 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था. यह किला अपनी सामरिक ताकत और विश्व की सबसे बड़ी तोप “जयवाना तोप” के लिए प्रसिद्ध है. किले में शस्त्रागार, जलाशय और राजाओं की युद्ध रणनीति से जुड़ी संरचनाएं हैं. यहां से आमेर और अरावली पहाड़ियों का दृश्य बेहद शानदार दिखता है. इतिहास प्रेमियों और फ़ोटोग्राफ़रों के लिए यह स्थान विशेष रुचिकर है.
प्रमुख आकर्षण:
- जयवाना तोप – विश्व की सबसे बड़ी तोप
- युद्ध सामग्री संग्रह
- अरावली पर्वत श्रृंखला का दृश्य
- जलाशय और सुरंगें
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 9:00 बजे – शाम 4:30 बजे |
भारतीय शुल्क | ₹70 |
विदेशी शुल्क | ₹200 |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | आमेर |
बिड़ला मंदिर (Birla Mandir)

बिड़ला मंदिर जयपुर का एक भव्य और शांत मंदिर है जो भगवान लक्ष्मी नारायण को समर्पित है. यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है और इसके आंतरिक भाग में सुंदर नक्काशी और भगवान की मूर्तियां हैं. मंदिर के बाहरी दीवारों पर भी ऐतिहासिक और धार्मिक पात्रों की आकृतियां उकेरी गई हैं. रात में रोशनी से सजा यह मंदिर और भी मनमोहक लगता है. यहां का वातावरण शांति और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है, जहां लोग पूजा के साथ-साथ आत्मिक शांति के लिए भी आते हैं.
प्रमुख आकर्षण:
- सफेद संगमरमर की वास्तुकला
- रात की रोशनी में अद्भुत दृश्य
- शांतिपूर्ण वातावरण
- मंदिर परिसर का सौंदर्य
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 6:00 बजे – दोपहर 12:00 बजे, शाम 3:00 – रात 9:00 |
भारतीय शुल्क | नहीं |
विदेशी शुल्क | नहीं |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | मोती डूंगरी |
चोखी ढाणी (Chokhi Dhani)

अगर आप राजस्थान की संस्कृति, भोजन और लोक जीवन को एक ही जगह अनुभव करना चाहते हैं, तो चोखी ढाणी सबसे उपयुक्त स्थान है. यह एक सांस्कृतिक गांव है, जहां लोक नृत्य, कठपुतली शो, राजस्थानी व्यंजन, ऊंट-सवारी और पारंपरिक खेल उपलब्ध हैं. यहां परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम देखने को मिलता है. यह जगह परिवार, बच्चों और विदेशी पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है. शाम के समय यहां का माहौल रोशनी, संगीत और संस्कृति से भरपूर होता है.
प्रमुख आकर्षण:
- राजस्थानी थाली (शुद्ध देसी भोजन)
- लोक नृत्य और कठपुतली शो
- ऊंट, बैलगाड़ी और हाथी की सवारी
- हस्तशिल्प और सजावटी वस्तुओं की दुकानें
विवरण | जानकारी |
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समय | शाम 5:00 बजे – रात 11:00 बजे |
प्रवेश शुल्क | ₹750 से शुरू (पैकेज अनुसार) |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | टोंक रोड |
गोविंद देव जी मंदिर (Govind Dev Ji Temple)

गोविंद देव जी मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और यह सिटी पैलेस परिसर में स्थित है. यह मंदिर जयपुर राजघराने के आराध्य देव का मंदिर है. यहां की आरती और दर्शन का विशेष महत्व है और दिनभर सात बार आरती होती है. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं. मंदिर में भक्तिमय संगीत, भजन और सुंदर मूर्तियां मन को शांति और आनंद देती हैं. जन्माष्टमी जैसे पर्वों पर यहां विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें हज़ारों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं.
प्रमुख आकर्षण:
- भगवान गोविंद देव जी की भव्य मूर्ति
- दिनभर की सात आरतियां
- भक्तिमय माहौल और भजन
- जन्माष्टमी का विशेष आयोजन
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 4:30 बजे – रात 9:00 बजे (आरती अनुसार) |
प्रवेश शुल्क | नहीं |
सप्ताह का अवकाश | कोई नहीं |
नजदीकी बस स्टॉप | सिटी पैलेस परिसर |
जगत शिरोमणि मंदिर (Jagat Shiromani Temple)

जगत शिरोमणि मंदिर जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित है और यह मंदिर देवी मीरा बाई, भगवान कृष्ण और विष्णु को समर्पित है. इसका निर्माण 1608 में रानी कंकावती ने अपने पुत्र की स्मृति में करवाया था. मंदिर की स्थापत्य कला बेहद शानदार है, जिसमें नक्काशीदार पत्थर, स्तंभ और सुंदर मूर्तियां शामिल हैं. यह मंदिर धार्मिक महत्व के साथ-साथ स्थापत्य प्रेमियों के लिए भी खास है. शांत और आध्यात्मिक वातावरण के कारण यह पर्यटकों के लिए एक छिपा हुआ रत्न है.
प्रमुख आकर्षण:
- मीरा बाई और कृष्ण को समर्पित मंदिर
- राजस्थानी और मुग़ल स्थापत्य कला
- शांत और कम भीड़-भाड़ वाला स्थल
- नक्काशीदार पत्थर की दीवारें
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 6:00 बजे – शाम 8:00 बजे |
भारतीय शुल्क | नहीं |
विदेशी शुल्क | नहीं |