बिहार में मतदाता सूची का बड़ा घोटाला? आधार आंकड़े खोल रहे राज

बिहार में मतदाता सूची का बड़ा घोटाला? आधार आंकड़े खोल रहे राज

Authored By: Nishant Singh

Published On: Thursday, July 10, 2025

Last Updated On: Thursday, July 10, 2025

बिहार मतदाता सूची घोटाले में आधार और वोटर आईडी मिलान करते अधिकारी
बिहार मतदाता सूची घोटाले में आधार और वोटर आईडी मिलान करते अधिकारी

बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान सामने आए आधार कार्ड के आंकड़ों ने प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. सीमावर्ती मुस्लिम बहुल जिलों जैसे किशनगंज, कटिहार और अररिया में आधार सैचुरेशन 120% से भी ऊपर पहुंच गया है, यानी वास्तविक जनसंख्या से कहीं अधिक आधार कार्ड जारी हुए हैं. यह आंकड़े अवैध घुसपैठ और फर्जी पहचान की आशंका को बल देते हैं. इस पर राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई है, वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला पहुंच गया है. यह मुद्दा चुनावी प्रक्रिया और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों से जुड़ गया है.

Authored By: Nishant Singh

Last Updated On: Thursday, July 10, 2025

Bihar Voter List Scam: बिहार में एक ऐसा रहस्य खुला है जिसने सियासी गलियारों से लेकर सुरक्षा एजेंसियों तक को हिला दिया है. सीमावर्ती जिलों से आए आधार कार्ड के आंकड़े इतने “ओवरडोज़” में हैं कि हर 100 लोगों पर 120 से ज़्यादा कार्ड बन चुके हैं. अब सवाल ये उठता है कि ये कार्ड आखिर किसके लिए हैं? क्या ये अवैध घुसपैठ की दस्तक है या कोई और खेल चल रहा है? मतदाता सूची के पुनरीक्षण की आड़ में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें वोट, नागरिकता और सुरक्षा तीनों की परतें खुलती नजर आ रही हैं. इस मसले पर बहस गरम है, अदालतें सज रही हैं और बिहार चुनाव से पहले एक तूफान खड़ा हो चुका है.

चुनाव से पहले चौंकाने वाला आंकड़ा

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आधार कार्ड पंजीकरण को लेकर चौंकाने वाला डेटा सामने आया है. इन आंकड़ों ने न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकता से जुड़ी चिंताओं को भी हवा दे दी है. जहां पूरे राज्य की औसत आधार सैचुरेशन दर 94% है, वहीं मुस्लिम बहुल जिलों, जिनका बॉर्डर दूसरे देश से लगा है, वहां यह आंकड़ा 120 फीसदी से भी अधिक पहुंच गया है.

 100 लोग, 126 आधार, क्या ये मुमकिन है?

सबसे हैरान करने वाला आंकड़ा किशनगंज जिले का है, जहां 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है, लेकिन आधार सैचुरेशन 126 फीसदी है. यानी कि वहां हर 100 लोगों पर 126 आधार कार्ड जारी हुए हैं. यही हालात कटिहार (44% मुस्लिम आबादी, 123% आधार), अररिया (43%, 123%) और पूर्णिया (38%, 121%) जैसे अन्य जिलों में भी देखने को मिल रहे हैं. इसका सीधा मतलब यह है कि इन जिलों में वास्तविक जनसंख्या से कहीं अधिक आधार कार्ड बनाए गए हैं.

असल जनसंख्या से ज्यादा आधार कार्ड

आधार सैचुरेशन का तात्पर्य यह है कि किसी क्षेत्र की कुल जनसंख्या की तुलना में कितने प्रतिशत लोगों ने आधार बनवा लिया है. सामान्यतः यह आंकड़ा 100% के आसपास होना चाहिए, लेकिन जब यह 100 फीसदी से अधिक हो जाता है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है.

क्या यह अवैध घुसपैठ का इशारा है?

यह डेटा गंभीर चिंताओं का कारण बन गया है. सवाल यह है कि क्या यह अवैध घुसपैठ का संकेत है? पूर्वोत्तर सीमाओं से सटे इन जिलों में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ की आशंकाएं पहले से ही जताई जाती रही हैं. इतनी अधिक संख्या में अतिरिक्त आधार कार्डों का जारी होना इन संदेहों को मजबूत करता है. किसके नाम पर ये अतिरिक्त आधार बनाए जा रहे हैं? बिना दस्तावेजों के विदेशी नागरिकों को यदि अवैध रूप से आधार कार्ड दिए गए हैं, तो यह न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया बल्कि सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का भी बड़ा खतरा है.

आधार को नागरिकता का रास्ता क्यों बनाना चाहते हैं कुछ दल?

क्या यही कारण है कि विपक्ष और वामपंथी लॉबी आधार को नागरिकता का प्रमाण बनाने पर जोर देते हैं? क्योंकि अगर आधार नागरिकता का प्रमाण बनता है, तो ऐसे अवैध आधार कार्डधारी भी कानूनी रूप से भारतीय नागरिक बन सकते हैं.

रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब पश्चिम बंगाल पर भी सवाल उठ रहे हैं, जहां ममता बनर्जी सरकार पहले ही एनआरसी और सीएए के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. अनुमान है कि वहां की स्थिति भी बिहार से अलग नहीं होगी.

तेजस्वी यादव की तगड़ी नाराज़गी

राष्ट्रवादी जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा है कि उनकी पत्नी ने दिल्ली में पहले वोटर आईडी आधार कार्ड के आधार पर बनवाई थी, इसलिए बिहार में भी आधार कार्ड को मान्यता क्यों नहीं दी जा रही है. उन्होंने इस फैसले को असंगत और जनता के अधिकारों के खिलाफ बताया है.

वहीं, अन्य विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी चुनाव आयोग के इस कदम को गरीब, वंचित और प्रवासी मतदाताओं को मतदान से वंचित करने वाला बताया है. उनका तर्क है कि आधार, राशन कार्ड और रोजगार गारंटी योजना के कार्ड जैसे दस्तावेजों को नागरिकता प्रमाण के लिए स्वीकार न करना लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर सकता है, खासकर उन लोगों को जो गरीबी और अशिक्षा के कारण अन्य दस्तावेज नहीं जुटा पाते. 

अब कोर्ट तय करेगा आधार की हकिकत

इस पूरे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें चुनाव आयोग की प्रक्रिया को संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है. विपक्ष का कहना है कि इस पुनरीक्षण का समय और दस्तावेज़ीकरण की सख्ती लोकतंत्र और सार्वभौमिक मताधिकार के सिद्धांतों के खिलाफ है.

(आईएएनएस इनपुट के साथ) 

About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
Leave A Comment

अन्य खबरें

अन्य खबरें