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क्या चंपई, हेमंत सोरेन के लिए छोड़ेंगे कुर्सी या झारखंड के बनेंगे जीतनराम मांझी
क्या चंपई, हेमंत सोरेन के लिए छोड़ेंगे कुर्सी या झारखंड के बनेंगे जीतनराम मांझी
Authored By: Gunjan Shandilya
Published On: Sunday, June 30, 2024
Updated On: Saturday, July 27, 2024
हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के जेल से बाहर आने के बाद झारखंड में सियासी गरमी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भविष्य और कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। कुछ लोग तो आशंका व्यक्त करते हैं कि कहीं चंपई झारखंड के जीतनराम मांझी न बन जाएं।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जमानत पर रिहा हो गए हैं। एक जमीन घोटाले के आरोप में जेल गए सोरेन को रांची उच्च न्यायालय से बेल मिल गया है। जेल से बाहर आते ही वे सबसे पहले अपने पिता एवं जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन से मिलने गए। उनके जेल से बाहर आने के बाद झारखंड की सियासत गरमा गई है। अब मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भविष्य और कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। कुछ लोग तो आशंका व्यक्त करने लगे हैं कि कहीं चंपई सोरेन झारखंड के जीतनराम मांझी न बन जाएं।
क्या हेमंत सोरेन (Hemant Soren) फिर बनेंगे मुख्यमंत्री
दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा सोरेन परिवार की पार्टी है। शिबू सोरेन के बाद उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन कमान संभालते लेकिन उनकी आकस्मिक मौत ने सोरेन के दूसरे बेटे हेमंत के लिए दरवाजा खोज दिया। हेमंत सोरेन को एक जमीन घोटाले के आरोप में 31 दिसंबर को ईडी ने गिरफ्तार किया था। अपनी गिरफ़्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तब उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन (Champai Soren) को मुख्यमंत्री बनाया था। अब जबकि वे जेल से बाहर आ चुके हैं तो रांची के सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो चली है कि क्या हेमंत फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे।
दो गुट में बंटी पार्टी
इसी साल के अंत में यहां विधानसभा चुनाव भी होना है। देखना यह भी बेहद दिलचस्प होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा किसके नेतृत्व में चुनावी बिगुल बजाता है। पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं कि हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले। वहीं कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि चंपई बेहतर काम कर रहे हैं। इसलिए उन्हें हटाने के बजाय हेमंत चुनाव की तैयारी में लगेंगे। इस तरह देखा जाए तो जेएमएम इस मुद्दे पर दो ध्रुव में बंट गया है। यहां पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन (Shibu Soren) की भूमिका अहम होगी। देखना होगा कि वे किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चाहते हैं। हालांकि पार्टी सूत्रों ने बताया कि शिबू सोरेन चाहते हैं कि हेमंत मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले।
नेतृत्व बदलने के आसार नहीं
पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। एक तरह से कहें तो ये चंपई सोरेन के समर्थक नेता हैं, जो नहीं चाहते हैं कि उनके नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़े। इस तरह देखें तो हेमंत सोरेन की जमानत पर रिहाई के साथ ही रांची में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा तेज हो गई है। जेएमएम के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि हेमंत सोरेन राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। वे अपना अगला कदम बहुत सोच समझकर उठायेंगे। वे आगे कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि वे अभी मुख्यमंत्री बनेंगे। क्योंकि उनके जेल जाने पर पार्टी को लोकसभा में सहानुभूति वोट भी मिला है। हेमंत सहानुभूति के उस वोट को और बढ़ाएंगे, बिना मुख्यमंत्री बने। यदि वे चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो उन्हें सहानुभूति नहीं मिलेगी। इसलिए फिलहाल नेतृत्व बदलने के आसार नहीं लगते हैं।
कहीं मांझी तो नहीं बन जाएंगे चंपई
इस देश की राजनीति में कई चेलों को गुरु बनते देखा है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चित हुए हैं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी। 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी। तब उन्होंने अपने सबसे भरोसेमंद जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया। 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले नीतीश कुमार ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। उसके बाद नीतीश को उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतारने के लिए कई चाल चलनी पड़ी। वही डर अब झारखंड में हेमंत सोरेन को भी सता रहा है।
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सोरेन परिवार की भी नजर
उत्तर प्रदेश के मुलायम परिवार की तरह झारखंड में सोरेन परिवार के अधिकांश सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं। शिबू सोरेन के तीनों बेटे (बड़े का निधन), दो बहुएं और दो पोती यहां सक्रिय राजनीति करती हैं। हेमंत सोरेन जेल जाने के दौरान अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन तब परिवार के अंदर ही इसका विरोध हो गया था। शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन (अब भाजपा में चली गई हैं) और सबसे छोटा बेटा बसंत सोरेन भी प्रदेश का कमान संभालना चाहते थे। इस विरोध को देखते हुए ही शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ने परिवार से बाहर चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया। यह बात चंपई भी भलीभांति जानते हैं।