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Jharkhand Assembly Election 2024 : क्या हेमंत सोरेन रच पाएंगे इतिहास, 2 चरणों में होना है विधानसभा का चुनाव
Jharkhand Assembly Election 2024 : क्या हेमंत सोरेन रच पाएंगे इतिहास, 2 चरणों में होना है विधानसभा का चुनाव
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, October 15, 2024
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
चुनाव आयोग ने झारखंड में दो चरणों में विधानसभा चुनाव कराने का निर्णय लिया है। पहले चरण के वोट 13 नवंबर को डाले जाएंगे जबकि दूसरे चरण के लिए मतदान 20 नवंबर को होंगे। वहीं, झारखंड चुनाव के नतीजे भी महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे के साथ 23 नवंबर को आएंगे। जनता के बीच बड़ा सवाल है कि वर्तमान मुख्यमंत्री अपनी सत्ता को बचा पाएंगे और राज्य में लगातार दो बार मुख्यमंत्री बनने का इतिहास बना पाएंगे?
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
झारखंड की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है क्योंकि मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इस बार चुनाव राज्य में दो चरणों में संपन्न होंगे। पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को होगा, जबकि दूसरे चरण के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के साथ घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली सरकार के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। बीजेपी झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को सत्ता से बाहर करने और राज्य में अपना प्रभुत्व फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही है।
झारखंड का चुनावी कार्यक्रम
पहला चरण
अधिसूचना: 18 अक्तूबर
नामांकन की आखिरी तारीख: 25 अक्तूबर
नामांकन पत्रों की जांच: 28 अक्तूबर
नाम वापसी: 30 अक्तूबर
मतदान: 13 नवंबर
मतगणना: 23 नवंबर
दूसरा चरण
अधिसूचना: 22 अक्तूबर
नामांकन की आखिरी तारीख: 29 अक्तूबर
नामांकन पत्रों की जांच: 30 अक्तूबर
नाम वापसी: 1 नवंबर
मतदान: 20 नवंबर
मतगणना: 20 नवंबर
हेमंत सोरेन के लिए कैसी है अग्निपरीक्षा
हेमंत सोरेन के दूसरे कार्यकाल में कई चुनौतियाँ आईं। 2022 में, चुनाव आयोग ने झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस को एक याचिका पर अपनी सिफारिश भेजी थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद को एक खनन पट्टा आवंटित कर चुनावी कानून का उल्लंघन किया है और इसलिए उन्हें विधायक के रूप में अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
हालांकि, राज्यपाल की ओर से इस याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे मामला अनिर्णीत रह गया। हेमंत सोरेन ने इस आरोप का सामना करते हुए अपनी सरकार को स्थिर बनाए रखा और राज्य में विभिन्न विकास कार्यों और योजनाओं पर काम जारी रखा। लेकिन इस विवाद ने उनके कार्यकाल को विवादों में घेर रखा और उनकी सरकार पर विपक्षी दलों के हमले बढ़ते गए। वर्तमान में, इस मामले को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन यह मुद्दा हेमंत सोरेन और उनकी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
पिछले 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में, झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था। झामुमो (JMM), कांग्रेस (Congress) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के इस गठबंधन ने 81 सीटों में से 47 सीटों पर जीत दर्ज कर निर्णायक बढ़त हासिल की थी, जिससे हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
इस बार बीजेपी ने अपनी रणनीति और संगठन को मजबूत किया है, और वह झामुमो सरकार की नीतियों और कार्यशैली पर हमला कर रही है। वहीं, झामुमो और उसके सहयोगी दल राज्य में अपने कामकाज को लेकर जनता के बीच जाकर अपनी उपलब्धियों को गिनाने में जुटे हैं।
झारखंड के मतदाताओं के सामने एक बार फिर सत्ता चुनने का मौका है। क्या वे झामुमो गठबंधन को एक और मौका देंगे, या बीजेपी सत्ता में वापसी करेगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी संघर्ष का परिणाम किसके पक्ष में जाता है।