दिन में दो बार शंख बजाकर पाएं खर्राटों से हमेशा के लिए मुक्ति

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, August 14, 2025

Updated On: Thursday, August 14, 2025

Shankh Blow से दिन में दो बार अभ्यास कर खर्राटों से हमेशा के लिए मुक्ति पाएं और नींद की गुणवत्ता को सुधारें.

यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल ओपन रिसर्च में प्रकाशित शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यदि दिन में दो बार शंख बजाया जाए, तो सोने पर आने वाले खर्राटों से मुक्ति मिल सकती है.



Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, August 14, 2025

नींद में खर्राटे लेने के बीमारी बहुत-से लोगों को होती है. खर्राटे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसे नींद से जुड़ी गंभीर समस्या का भी कारण बन सकते हैं. खर्राटे से छुटकारा पाने का उपाय प्राचीन भारतीय परंपरा में छिपा हो सकता है. जयपुर के इटरनल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने अपने अध्ययन में पाया कि नियमित रूप से शंख बजाने (Shankh Blow) से न केवल खर्राटों में कमी आती है, बल्कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कई मामलों में ब्रीदिंग मशीन की जरूरत भी खत्म हो सकती है.

क्या है खर्राटे पर रिसर्च (Research on Snoring)

पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. के के शर्मा और प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी एंड मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव गुप्ता के नेतृत्व में किया गया यह शोध यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल ओपन रिसर्च में भी प्रकाशित हुआ.

शोध में मध्यम स्तर के ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया वाले 30 मरीजों को दो समूहों में बांटा गया. पहले समूह में शामिल 14 मरीज को दिन में दो बार 15 मिनट के लिए शंख बजाने का प्रशिक्षण दिया गया. दूसरी तरफ दूसरे समूह में शामिल 16 मरीज को गहरी सांस लेने के व्यायाम करवाये गये. छह महीने बाद शंख बजाने वाले समूह में खर्राटे में 34% कमी और नींद की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया.

क्या कहता है आयुर्वेद

यह पहला रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल है. आयुर्वेद में शंख बजाना फेफड़ों की क्षमता, मानसिक एकाग्रता और समग्र
स्वास्थ्य सुधार का साधन माना गया है. यह तकनीक महंगी मशीनों का विकल्प बन सकती है. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवेर्सिटी में भी एक और अध्ययन किया जा रहा है.

मजबूत होती हैं श्वसन मांसपेशियां

शंख बजाने से ग्रसनी (pharynx), जीभ और अन्य श्वसन मांसपेशियां मजबूत होती हैं. इससे वायुमार्ग खुला रहता है और खर्राटों व स्लीप एपनिया की संभावना घटती है. वर्ष 2018 में डॉ. गुप्ता की टीम ने राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज के जर्नल में यह अवधारणा रखी कि शंख बजाना अन्य वायु वाद्य यंत्रों की तरह स्वास्थ्य लाभ दे सकता है. हालांकि इस पर अभी और शोध किए जा रहे हैं.

क्यों आते हैं खर्राटे

खर्राटे मुख्य रूप से ऊपरी वायुमार्ग (मुंह, नाक और गले) में स्थित कोमल ऊतकों में कंपन के कारण होते हैं. नींद के दौरान हवा ऊतकों के माध्यम से गुजरती है. यह रुकावट कई कारकों के कारण हो सकती है. इनमें शारीरिक परिवर्तन, मांसपेशियों में शिथिलता और बाहरी प्रभाव शामिल हैं.

इन कारणों से भी आ सकते हैं खर्राटे

  • वजन: ज्यादा वजन या मोटापे से गले में अतिरिक्त ऊतक जमा हो सकते हैं. इससे वायुमार्ग संकरा हो सकता है.
  • उम्र: उम्र के साथ मांसपेशियों की मजबूती कम हो जाती है. इससे वायुमार्ग के सिकुड़ने का खतरा बढ़ जाता है.
  • एलर्जी और बीमारियां: एलर्जी या सर्दी-जुकाम के कारण नाक बंद होने से वायुप्रवाह अवरुद्ध हो सकता है.
  • नींद की कमी: पर्याप्त नींद न लेने से मांसपेशियों में शिथिलता बढ़ सकती है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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