Ganesh Chaturthi 2025: गणेश जी के संपूर्ण शरीर से मिलती है सीख
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, August 27, 2025
Last Updated On: Wednesday, August 27, 2025
Ganesh Chaturthi 2025: देश भर में गणेश जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो चुकी है. गणेश प्रतिमा स्थापित हो चुके हैं. बीके शिवानी के अनुसार, अगर हम गौर करें, तो गणेश जी के प्रत्येक अंग हमें सरल सीख देते हैं.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, August 27, 2025
Ganesh Chaturthi 2025: देश भर में गणेश जन्मोत्सव शुरू हो चुका है. हर ओर सिर्फ गणपति बप्पा मोरया… की गूंज सुनाई दे रही है. गणेशजी बुद्धि और विवेक के देवता हैं. हम उनसे सुख समृद्धि के साथ-साथ बुद्धि और विवेक भी अपने लिए मांगते हैं. वास्तव में गणेशजी के शरीर के सभी अंग विशेष अर्थ रखते हैं. ब्रह्माकुमारी शिवानी उन विशेष अर्थ को सरल शब्दों में बताती हैं.
गणेश जी के अंगों के गहरे प्रतीकात्मक अर्थ
हम गणेश जी को विशाल शरीर और हाथी के मुख वाला पाते हैं. धर्मग्रंथ बताते हैं कि गणेश जी का विशाल उदर सृष्टि का प्रतीक है. हाथी का सिर ज्ञान का प्रतीक है. गणपति अथर्वशीर्ष उपनिषद में भगवान गणेश के स्वरूप के संबंध में गहरे प्रतीकात्मक अर्थों के विभिन्न रूप सामने आते हैं. बीके शिवानी उनके स्वरुप की सरल व्याख्या करती हैं.
अच्छी चीजों को ग्रहण करने की सीख देते हैं कान
बीके शिवानी के अनुसार, गणेशजी के कान सिर्फ बड़े और सूप जैसे दिखाई देते हैं. मस्तक हाथी का होने के कारण उनके कान सूप आकार के हैं. वास्तव में सूप छाननी का काम करता है. अच्छी चीज को निथार लेता है और कचरे को बाहर कर देता है. यदि हम अपने कान को सूप की तरह प्रयोग करें, तो इसका मतलब होगा हम सिर्फ अच्छी बातों को ग्रहण करेंगे. दूसरी बातों यानी बुरी बातों को अंदर जाने भी नहीं देंगे. यह कहा भी जाता है कि एक कान से सुनो और दूसरे से निकाल दो, लेकिन ऐसा हम करते नहीं हैं. अगर हमने कुछ सुन लिया, तो वह हमारे मन के अंदर चला ही जाएगा. मन पर उसकी छाप लग ही जाएगी. अगर हमें सही जीवन जीना है, तो बुरी बातों को जानने की कोशिश करना या सुनना ही नहीं चाहिए.
सभी के प्रति कोमल भावना
बीके शिवानी के अनुसार, गणेश जी की सूंड पर भी हमें गौर करना चाहिए. सूंड की क्या विशेषता है? सूंड एक पेड़ को भी उखाड़ लेती है, लेकिन एक बच्चे को भी बहुत प्यार से उठाती है. जिन लोगों में आध्यात्मिकता जग जाएगी, वे बहुत कोमल हो जायेंगे. प्रेमिल भी हो जायेंगे, लेकिन वे बहुत शक्तिशाली भी होंगे. हम अगर कोमल हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम कायर हैं या हममें शक्ति नहीं है.
बुराइयों को भी करें स्वीकार
- गणेश जी देवता हैं, लेकिन उनका उदर बड़ा दिखता है. बाकी सभी देवी-देवता सर्वांग सुंदर दिखते हैं. उनकी कंचन काया है, लेकिन गणेश जी का पेट इतना बड़ा दिखता है. इसका कारण है कि जो बुद्धिमान आत्मा है, वह हर बात को अपने पेट में समा लेती है. आज भी अगर कोई व्यक्ति हर बात को लोगों से सुनाता फिरता है, तो लोग कहते हैं इसके पेट में बात ही नहीं टिकती है.
- गणेश जी का पेट बड़ा इसलिए दिखाते हैं, क्योंकि इधर से सुना उधर सुनाया, ये ज्ञान रूपी आत्मा की गुणवत्ता नहीं होती है. हरेक से मिलें. हरेक को स्वीकार करते चले जाएंगे, स्वाभाविक रूप से पेट बड़ा हो जाएगा. हरेक के संस्कार अलग-अलग हैं. हरेक को उनकी अच्छाइयों के साथ-साथ उनकी बुराइयों को भी स्वीकार करना चाहिए.
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