51 Shaktipeeth: देवी के 51 शक्तिपीठों की महत्ता

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, September 15, 2025

Last Updated On: Tuesday, September 16, 2025

51 Shaktipeeth और देवी के पवित्र शक्तिपीठ.
51 Shaktipeeth और देवी के पवित्र शक्तिपीठ.

51 Shaktipeeth : इतिहासकार और लेखिका अलका पांडे ने अपनी पुस्तक "शक्ति: 51 सेक्रेड पीठाज ऑफ द गोडेस' में सर्वशक्तिमान देवी शक्ति के गुणों का बखान किया है. उन्होंने विश्वविख्यात 51 शक्तिपीठ के बारे में धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बताया है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, September 16, 2025

51 Shaktipeeth: शक्तिपीठ हिंदू धर्म में दिव्य स्त्री शक्ति, मां शक्ति को समर्पित पवित्र मंदिर हैं. ये मंदिर आध्यात्मिक साधकों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माने जाते हैं. इनका महत्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि इन स्थानों पर देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे. इन स्थानों में उनकी शक्तिशाली ऊर्जा का संचार हुआ था. भक्तगण शक्ति, सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद पाने के लिए यहां आते हैं. नवरात्र जैसे त्योहारों के दौरान अनुष्ठानों में भाग लेते हैं. ये स्थल भारत की विविध परंपराओं और स्थापत्य कला के चमत्कारों के प्रतीक के रूप में सांस्कृतिक महत्व भी रखते हैं. इतिहासकार और लेखिका अलका पांडे ने अपनी पुस्तक “शक्ति: 51 सेक्रेड पीठाज ऑफ द गोडेस’ में विश्वविख्यात 51 शक्तिपीठ (51 Shaktipeeth) के बारे में धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बताया है.

शक्तिपीठ की पौराणिक कथा ( Shaktipeeth in Puran)

इतिहासकार और लेखिका अलका पांडे ने अपनी पुस्तक “शक्ति: 51 सेक्रेड पीठाज ऑफ द गोडेस’ में सर्वशक्तिमान देवी शक्ति के गुणों का बखान किया है. उन्होंने विश्वविख्यात 51 शक्तिपीठ के बारे में धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बताया है. जैसा कि हम सभी यह पौराणिक कथा जानते हैं कि सती के अग्निकुंड में स्वयं को समर्पित करते ही शिवजी क्रोधाग्नि में जलने लगते हैं. वे सती के शरीर को अपने साथ लेकर तांडव नृत्य करने लगते हैं.

भगवान विष्णु ने चलाया सुदर्शन चक्र

वे संसार के विनाश के लिए चल पड़ते हैं. तब संपूर्ण ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र चला दिया. चक्र से सती का शरीर 51 भागों में विभाजित हो जाता है. सती के शरीर के सभी 51 खंड पृथ्वी के अलग-अलग स्थान पर गिर गए. सती के शरीर का स्पर्श पाते ही ये सभी स्थान परम पूजनीय शक्तिपीठ बन गए.

प्रेरणादायी हैं शक्तिस्वरूपा देवी की कथाएं (( Shaktipeeth Katha)

लेखिका के अनुसार, ये सभी शक्तिपीठ न सिर्फ धर्म, बल्कि दर्शन और अध्यात्म के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं. सभी शक्तिपीठ की अपनी-अपनी पूजा-पद्धति और अपनी-अपनी महत्ता है. इन पीठों की कथाएं लोक में शामिल हो गईं. हजारों-हजार वर्ष बीत जाने के बावजूद ये कथाएं उसी स्वरूप में आज भी प्रेरणादायी हैं.

शांति और उमंग का संचार करते हैं देवी के श्लोक

लेखिका ने हर शक्तिपीठ के बारे में पौराणिक आख्यानों का संदर्भ देते हुए विस्तार से बताया है. प्रत्येक अध्याय की शुरुआत देवी के श्लोक से होती है. ये श्लोक पाठक के मन में असीम शांति और उमंग का संचार करते हैं. पुस्तक में सभी शक्तिपीठों के आकर्षक चित्र भी प्रस्तुत किए गए हैं, जो आत्मिक ऊर्जा का भाव जगाते हैं. लेखिका अंत में बताती हैं कि भले ही देवी के 51 शक्तिपीठ हैं, लेकिन वे सर्वत्र मौजूद हैं. वे जगत की पालनकर्ता हैं. वे अपने भक्तों के हर विघ्न और बाधा को दूर करती हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर संहार भी करती हैं.

पुस्तक : शक्ति : 51 सेक्रेड पीठाज ऑफ द गोडेस
लेखिका : अलका पांडे
प्रकाशन : रूपा पब्लिकेशन

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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