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फ़िजी में एचआईवी एड्स बना राष्ट्रीय संकट
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Monday, October 6, 2025
Last Updated On: Monday, October 6, 2025
दस लाख से भी कम आबादी वाला दक्षिण प्रशांत क्षेत्र का एक छोटा सा देश फिजी, पिछले पांच वर्षों में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती एचआईवी (Fiji Health Crisis) महामारियों में से एक का केंद्र बन गया है। आखिर क्यों और कैसे?
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Monday, October 6, 2025
सर्वाइवर एडवोकेसी नेटवर्क की शुरुआत एक दशक पहले फिजी की राजधानी सुवा में हुई थी। यह संगठन एचआईवी-एड्स से पीड़ित लोगों के लिए काम करता है। इसकी ज़रूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि फिजी में एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी। एक दशक बाद भी यह संख्या कम नहीं हुई है, बल्कि तेज़ी से बढ़ रही है। हाल के वर्षों में हज़ारों फिजीवासी इस रक्त-जनित वायरस से संक्रमित हुए हैं।
संक्रमित लोगों में से कई 19 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं। नसों के ज़रिए नशीली दवाओं का सेवन संक्रमण का एक प्रमुख कारण माना जाता है। फिजी में ज़्यादा युवा नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं। सर्वाइवर एडवोकेसी नेटवर्क यौनकर्मियों और नशीली दवाओं का सेवन करने वालों को सहायता प्रदान करता है।
तेज़ी से बढ़ते एचआईवी मामले
साल 2014 में, फ़िजी में एचआईवी से संक्रमित 500 से भी कम लोग थे। 2024 तक, यह संख्या बढ़कर 5,900 से ज्यादा हो गई है। यह संक्रमित लोगों की संख्या में ग्यारह गुना से भी ज़्यादा की वृद्धि दर्शाता है। पिछले साल फ़िजी में 1,583 नए मामले दर्ज किए गए। यह सामान्यतः पांच-वर्षीय औसत से तेरह गुना ज़्यादा है।
फ़िजी में एचआईवी बना राष्ट्रीय संकट
इन आंकड़ों के कारण फ़िजी के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा विभाग ने इस साल जनवरी में एचआईवी प्रकोप की घोषणा की। पिछले सप्ताह, सहायक स्वास्थ्य मंत्री पेनियोनी रवुनावा ने चेतावनी दी कि फ़िजी में 2025 के अंत तक 3,000 से ज़्यादा नए एचआईवी मामले दर्ज हो सकते हैं। उसे इन्होंने एक राष्ट्रीय संकट बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह कम नहीं हो रहा है।
वर्तमान में, फ़िजी की लगभग एक प्रतिशत आबादी एचआईवी पॉजिटिव है। अगर सहायक स्वास्थ्य मंत्री पेनियोनी की आशंका सच साबित होती हैं, तो कुछ ही महीनों में फिजी में लगभग 9,000 लोग एचआईवी से संक्रमित हो जाएंगे। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जिनका अभी तक परीक्षण नहीं हुआ है।
नाबालिग भी हो रहे हैं संक्रमित
पिछले साल दर्ज किए गए नए एचआईवी मामलों में से 41 मामले 15 साल या उससे कम उम्र के नाबालिगों में पाए गए। जबकि 2023 में यह संख्या केवल 11 थी। 15 से 18 वर्ष के युवाओं की बात करें तो यह संख्या और भी बढ़ जाती है। यह संख्या भी भयावह है।
क्यों बढ़ रहे हैं एचआईवी संक्रमण
फिजी में एचआईवी महामारी नशीली दवाओं के उपयोग, असुरक्षित यौन संबंध, सुई साझा करने और ब्लूटूथ के उपयोग के बढ़ते प्रचलन से बढ़ रही है। ब्लूटूथ के उपयोग का बढ़ता प्रचलन नया है और पूरे देश में तेज़ी से फैल रहा है। ब्लूटूथ के उपयोग को फिजी में एचआईवी संक्रमण में तेजी से वृद्धि का सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
एक अन्य कारण यह बताया जा रहा है कि लोग यौन संबंधों से पहले या उसके दौरान नशीली दवाओं का सेवन करते हैं। इसके लिए वे अक्सर मेथामफेटामाइन का उपयोग करते हैं। दुनिया भर के ज़्यादातर देशों के विपरीत, फ़िजी में क्रिस्टल मेथ का सेवन मुख्य रूप से नसों में इंजेक्शन के ज़रिए किया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी पाया कि 2024 के पहले नौ महीनों में दर्ज किए गए 1,093 नए मामलों में से 223 (लगभग 20 प्रतिशत) नसों में नशीली दवाओं के इस्तेमाल के कारण थे।
ब्लूटूथिंग क्या है?
इस स्थिति में, एक व्यक्ति नशे में धुत होकर अपना खून निकालकर किसी दूसरे व्यक्ति में इंजेक्ट कर देता है। फिर वह किसी तीसरे व्यक्ति में भी ऐसा ही कर सकता है। इस तरह खून के इंजेक्शनों की संख्या बढ़ जाती है। गैर-सरकारी संगठन ‘ड्रग फ्री फ़िजी’ की कार्यकारी निदेशक कलेसी वोलाताबू ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि उन्होंने एक दिन फ़िजी की राजधानी सुवा में खून से सनी एक सुई देखी। एक युवती को पहले ही इंजेक्शन लगाया जा चुका था और वह खून निकाल रही थी। फिर उसने दूसरी लड़कियों को अपना खून इंजेक्ट किया। उस समय कतार में लगभग 7-8 महिलाएं खड़ी थीं।
वह कहती हैं, ‘वे सिर्फ़ सुइयां ही नहीं बांट रहे हैं। वे खून भी बांट रहे हैं।’ ब्लूटूथ के इस्तेमाल की रिपोर्टें दक्षिण अफ्रीका और लेसोथो में भी मिली हैं, जो दुनिया में एचआईवी की सबसे ज़्यादा दर वाले दो देश हैं। पिछले कुछ सालों में यह चलन फ़िजी में भी काफ़ी लोकप्रिय हो गया है और एचआईवी संक्रमण भी तेज़ी से बढ़ रहा है।